Buddhism – Origin, Spread, Sects of Buddhism
बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदाय और इसका विस्तार:
बौद्ध(Buddhism) धर्म, भगवान बुद्ध के उपदेशों और विचारों पर आधारित है। यह धर्म एक सरल और व्यावहारिक जीवनशैली का संदेश देता है। समय के साथ, बौद्ध धर्म में विभाजन हुआ और कई संप्रदाय उभरे। इसके साथ ही, यह धर्म भारत से बाहर अन्य देशों में भी विस्तारित हुआ।
बौद्ध धर्म के प्रमुख संप्रदाय
1. महायान (Mahayana)
- महायान का अर्थ “महान मार्ग” है।
- यह बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा और सबसे व्यापक संप्रदाय है।
- यह संप्रदाय करुणा और बोधिसत्त्व की अवधारणा पर केंद्रित है।
- इसमें बुद्ध को एक दैवीय रूप में पूजा जाता है।
- मुख्य ग्रंथ: प्रज्ञापारमिता सूत्र।
- प्रसार क्षेत्र: चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत, मंगोलिया।
2. हीनयान/थेरवाद (Hinayana/Theravada)
- हीनयान का अर्थ “छोटा मार्ग” है (हालांकि थेरवाद अनुयायी इस शब्द का उपयोग नहीं करते)।
- यह बौद्ध धर्म का प्राचीन और मूल रूप है।
- इस संप्रदाय में व्यक्ति के मोक्ष (निर्वाण) पर जोर दिया जाता है।
- भगवान बुद्ध को एक शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है।
- मुख्य ग्रंथ: त्रिपिटक।
- प्रसार क्षेत्र: श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया।
3. वज्रयान (Vajrayana)
- वज्रयान का अर्थ “वज्र का मार्ग” है।
- यह तांत्रिक और रहस्यमय परंपराओं पर आधारित है।
- बौद्ध प्रतीकों और मंत्रों का उपयोग प्रमुख है।
- बोधिसत्त्व के साथ गुरु की भूमिका को अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
- प्रसार क्षेत्र: तिब्बत, भूटान, मंगोलिया।
4. जेन (Zen Buddhism)
- यह महायान बौद्ध धर्म की एक शाखा है।
- ध्यान (ध्यान और मानसिक अनुशासन) पर मुख्य जोर है।
- प्रसार क्षेत्र: जापान और चीन।
5. अजिवक और अन्य छोटे संप्रदाय
- समय के साथ, बौद्ध धर्म में कई छोटे-छोटे संप्रदाय भी उभरे।
बौद्ध (Buddhism) धर्म का विस्तार
1. भारत में बौद्ध धर्म का विकास
- शुरुआत:
- बौद्ध धर्म की स्थापना 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध द्वारा हुई।
- इसके बाद यह धर्म मगध क्षेत्र में तेजी से फैला।
- मौर्य साम्राज्य का योगदान:
- अशोक महान (273-232 ई. पू.) ने बौद्ध धर्म को राजधर्म के रूप में अपनाया और इसके प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- अशोक ने धर्म प्रचारकों को श्रीलंका, मध्य एशिया, और दक्षिण-पूर्व एशिया भेजा।
- गुप्त काल:
- गुप्त काल में बौद्ध धर्म का पतन शुरू हुआ।
- हिंदू धर्म के पुनरुत्थान के कारण इसका प्रभाव कम हो गया।
2. भारत से बाहर विस्तार
- श्रीलंका:
- मौर्य सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए श्रीलंका भेजा।
- थेरवाद बौद्ध धर्म ने श्रीलंका में जड़ें जमाईं।
- चीन:
- प्रथम शताब्दी में बौद्ध धर्म चीन पहुंचा।
- यहां यह धर्म महायान के रूप में विकसित हुआ।
- फाह्यान और ह्वेनसांग जैसे चीनी भिक्षु भारत आए और धर्म ग्रंथों का अनुवाद किया।
- दक्षिण-पूर्व एशिया:
- थेरवाद बौद्ध धर्म म्यांमार, थाईलैंड, लाओस और कंबोडिया में प्रमुखता से फैल गया।
- तिब्बत:
- वज्रयान बौद्ध धर्म तिब्बत में 7वीं शताब्दी में पहुंचा।
- इसे गुरु पद्मसंभव द्वारा व्यापक रूप से प्रचारित किया गया।
- जापान और कोरिया:
- बौद्ध धर्म चीन के माध्यम से जापान और कोरिया में पहुंचा।
बौद्ध (Buddhism)धर्म के पतन के कारण
- हिंदू धर्म का पुनरुत्थान और ब्राह्मणवाद का प्रभाव।
- गुप्त काल में वेदों और पुराणों का पुनः प्रचार।
- बौद्ध मठों में भ्रष्टाचार और विलासिता।
- मुस्लिम आक्रमणों के कारण बौद्ध मठों का विनाश।
निष्कर्ष
बौद्ध धर्म अपने सरल और व्यावहारिक सिद्धांतों के कारण भारत से बाहर कई देशों में फैला। हालांकि, भारत में इसका प्रभाव समय के साथ कम हो गया, लेकिन आज भी यह विश्व के कई हिस्सों में महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव रखता है। UPSC जैसे परीक्षाओं में इसके विभिन्न संप्रदायों और इसके ऐतिहासिक विकास के बारे में गहन अध्ययन आवश्यक है।
बौद्ध धर्म में संघ की संस्था
संघ बौद्ध धर्म की एक महत्वपूर्ण संस्था है, जिसे भगवान बुद्ध ने अपने धर्म के प्रचार और अनुशासन के लिए स्थापित किया। यह संस्था बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों का समुदाय है, जो धर्म का पालन और प्रचार करते हैं। संघ की स्थापना ने बौद्ध धर्म को एक संगठित रूप दिया और इसे पूरे भारत तथा अन्य देशों में फैलाने में मदद की।
संघ की विशेषताएं और उद्देश्य
- संघ की स्थापना:
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- भगवान बुद्ध ने संघ की स्थापना अपने पहले पांच शिष्यों के साथ की थी।
- यह संस्था उन लोगों के लिए थी जो सांसारिक जीवन त्यागकर आत्मज्ञान और निर्वाण प्राप्ति की ओर अग्रसर होना चाहते थे।
- संघ में प्रवेश के नियम:
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- संघ में प्रवेश के लिए व्रत (प्रत्येक सांसारिक सुख का त्याग) लेना अनिवार्य था।
- व्यक्ति को अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह का पालन करना होता था।
- संघ की संरचना:
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- भिक्षु (पुरुष भिक्षु): जो संघ के मुख्य सदस्य थे।
- भिक्षुणी (महिला भिक्षु): महिलाओं के लिए भी संघ का द्वार खुला था।
- उपासक और उपासिका: गृहस्थ अनुयायी जो संघ का समर्थन करते थे।
- संघ का कार्य:
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- बौद्ध धर्म का प्रचार।
- अनुशासन और साधना का पालन।
- संघ ने शिक्षा, ध्यान और सामाजिक सेवा का माध्यम बनकर धर्म के प्रसार में योगदान दिया।
- संघ का महत्व:
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- यह धर्म का प्रचार-प्रसार करने वाला मुख्य माध्यम था।
- बौद्ध धर्म के अनुशासन और नैतिकता का पालन कराने में संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- संघ ने बौद्ध धर्म को संस्थागत स्वरूप प्रदान किया।
बौद्ध(Buddhism) धर्म के पतन के कारण
समय के साथ बौद्ध धर्म भारत में कमजोर पड़ गया और इसके प्रभाव में गिरावट आई। इसके पतन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. ब्राह्मण धर्म का पुनरुत्थान:
- गुप्त काल में ब्राह्मण धर्म का पुनर्जागरण हुआ और वेदों तथा पुराणों का प्रचार-प्रसार बढ़ा।
- हिंदू धर्म ने अपने धार्मिक सिद्धांतों में सरलता और लचीलापन लाकर लोगों को आकर्षित किया।
2. बौद्ध मठों का भ्रष्टाचार:
- बौद्ध मठों में विलासिता और भौतिकता का प्रवेश हो गया।
- भिक्षु अनुशासन का पालन करने में असफल रहे और मठ धर्म प्रचार की जगह संपत्ति संग्रह के केंद्र बन गए।
3. संघ की गिरावट:
- संघ की संस्थागत शक्ति कमजोर हो गई।
- मठों में बढ़ती शिथिलता और अनुशासन की कमी ने धर्म के प्रति लोगों की आस्था को कम कर दिया।
4. मुस्लिम आक्रमण:
- भारत में मुस्लिम आक्रमणों के दौरान बौद्ध मठों और संस्थाओं को भारी नुकसान पहुंचा।
- नालंदा और तक्षशिला जैसे बड़े शिक्षण केंद्रों को नष्ट कर दिया गया।
5. हिंदू धर्म द्वारा समाहित करना:
- बौद्ध धर्म के कई सिद्धांतों और भगवान बुद्ध को हिंदू धर्म ने अपने दायरे में शामिल कर लिया।
- बुद्ध को विष्णु का अवतार माना गया, जिससे बौद्ध धर्म का स्वतंत्र अस्तित्व कमजोर हो गया।
6. सामाजिक समर्थन का अभाव:
- बौद्ध धर्म ने समाज की जाति-आधारित संरचना को चुनौती दी, जिससे इसे उच्च जातियों का पर्याप्त समर्थन नहीं मिला।
- इसके विपरीत, हिंदू धर्म ने जाति व्यवस्था को बनाए रखते हुए समाज के हर वर्ग को अपने में समाहित किया।
7. विदेशों में प्रसार:
- बौद्ध धर्म भारत के बजाय श्रीलंका, चीन, जापान, और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में अधिक लोकप्रिय हो गया।
- भारत में इसका आधार कमजोर होता चला गया।
निष्कर्ष
संघ की स्थापना ने बौद्ध धर्म को एक सशक्त धार्मिक और सामाजिक आंदोलन बनाया। हालांकि, समय के साथ आंतरिक कमजोरियां और बाहरी चुनौतियां बौद्ध धर्म के पतन का कारण बनीं। इसके बावजूद, बौद्ध धर्म ने भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इतिहास में गहरा प्रभाव छोड़ा और आज भी विश्व स्तर पर यह एक प्रमुख धर्म के रूप में स्थापित है। UPSC जैसे परीक्षाओं में संघ और बौद्ध धर्म के पतन के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है।
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