Civil Uprisings Before 1857 in hindi

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Civil Uprisings Before 1857 in hindi

1857 से पहले के नागरिक विद्रोह (Pre-1857 Civil Revolts) के बारे में

भारत में 1857 से पहले कई नागरिक विद्रोह हुए, जिनमें किसानों, सैनिकों और स्थानीय शासकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया। ये विद्रोह भारतीय समाज में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ असंतोष को दर्शाते हैं।

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1. सूरत का विद्रोह (1664)

  • स्थल: सूरत, गुजरात
  • कारण: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारियों द्वारा स्थानीय व्यापारियों और लोगों पर किए गए शोषण के कारण।
  • विशेषता: यह विद्रोह सूरत के व्यापारी वर्ग और स्थानीय लोगों ने मिलकर ब्रिटिश व्यापारियों के खिलाफ किया था। हालांकि, यह विद्रोह ब्रिटिशों के खिलाफ एक व्यापक संघर्ष का रूप नहीं ले सका।

2. सिंध युद्ध (1843)

  • स्थल: सिंध (अब पाकिस्तान में)
  • कारण: ब्रिटिश साम्राज्य ने सिंध क्षेत्र में अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए आक्रमण किया।
  • विशेषता: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आक्रमण के खिलाफ स्थानीय शासक महाराजा मिर्जा के सुभानी ने विद्रोह किया, लेकिन वे हार गए और सिंध ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया।

3. पलासी का युद्ध (1757)

  • स्थल: बंगाल, पलासी
  • कारण: बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला का ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से संघर्ष।
  • विशेषता: यह युद्ध भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण था क्योंकि ब्रिटिशों ने इसे जीतकर भारत में अपने शासन की नींव रखी।
  • परिणाम: सिराजुद्दौला की हार के बाद, ब्रिटिशों ने बंगाल पर नियंत्रण स्थापित किया और भारत में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया।

4. कलपाक वेल्लाला विद्रोह (1780)

  • स्थल: आंध्र प्रदेश
  • कारण: ब्रिटिश द्वारा स्थानीय किसानों से अत्यधिक कर वसूली और प्रशासनिक शोषण के खिलाफ।
  • विशेषता: यह विद्रोह मुख्य रूप से किसानों और सामान्य लोगों द्वारा ब्रिटिश शासकों के खिलाफ किया गया था।

5. उलगुलान (1831-1832)

  • स्थल: बिहार
  • कारण: स्थानीय आदिवासियों द्वारा ब्रिटिशों के खिलाफ भूमि से संबंधित संघर्ष।
  • विशेषता: यह विद्रोह सिदो और कान्हू के नेतृत्व में हुआ, जिनका उद्देश्य अपनी भूमि और अधिकारों की रक्षा करना था।
  • परिणाम: यह विद्रोह बुरी तरह दबा दिया गया, लेकिन इसने भारतीय समाज के बीच असंतोष को उभार दिया।

6. लक्ष्मीबाई और मराठा विद्रोह (1818-1830)

  • स्थल: महाराष्ट्र
  • कारण: मराठा साम्राज्य के पतन के बाद ब्रिटिश द्वारा स्थानीय शासकों की शक्ति को खत्म करना और मराठा साम्राज्य का विस्तार करना।
  • विशेषता: मराठों के विद्रोह ने ब्रिटिशों के खिलाफ उनके मनोबल को ऊंचा किया, खासकर लक्ष्मीबाई की नेतृत्व क्षमता ने उन्हें एक प्रतीक बना दिया।

7. बुंदेलखंड विद्रोह (1842)

  • स्थल: बुंदेलखंड
  • कारण: बुंदेलखंड के राजाओं और आदिवासियों का ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ संघर्ष।
  • विशेषता: यह विद्रोह मुख्य रूप से स्थानीय राजाओं और आदिवासी समुदायों ने ब्रिटिशों के खिलाफ किया था।

8. पहली चंपारण विद्रोह (1780)

  • स्थल: बिहार
  • कारण: स्थानीय किसानों द्वारा ब्रिटिशों के लगाए गए कठोर कृषि करों के खिलाफ संघर्ष।
  • विशेषता: इस विद्रोह में किसानों की मांग थी कि उन्हें करों में राहत मिले और उनके शोषण को रोका जाए।

Raja of Vizianagaram, Paika Rebellion, Vellore Mutiny

1. विजयनगरम का विद्रोह (Raja of Vizianagaram, 1794)

  • कारण:
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने विजयनगरम के राजा पर भारी लगान (राजस्व) लगाया।
    • जब राजा ने इस बोझ का विरोध किया, तो कंपनी ने उनकी संपत्ति को जब्त करने की धमकी दी।
  • घटनाएं:
    • राजा ने अपने राज्य की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए विद्रोह किया।
    • ब्रिटिश सेना ने विद्रोह को दबाने के लिए विजयनगरम पर हमला किया।
  • परिणाम:
    • राजा को पराजित कर उनकी संपत्ति छीन ली गई।
    • यह विद्रोह ब्रिटिश राजस्व और प्रशासनिक नीतियों के प्रति जनता की असहमति का एक उदाहरण था।

2. पाइका विद्रोह (Paika Rebellion, 1817)

  • स्थान: उड़ीसा (खुर्दा क्षेत्र)।
  • नेतृत्व: बख्शी जगबंधु विद्यााधर।
  • कारण:
    • ब्रिटिश शासन ने पाइका समुदाय के परंपरागत भूमि अधिकारों को समाप्त कर दिया।
    • लगान (राजस्व) की अत्यधिक वसूली और धार्मिक हस्तक्षेप।
  • घटनाएं:
    • पाइका (स्थानीय सैन्य वर्ग) ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ हथियार उठाए।
    • जगबंधु ने खुर्दा के राजा के समर्थन में विद्रोह का नेतृत्व किया।
    • विद्रोह उड़ीसा के कई हिस्सों में फैल गया।
  • परिणाम:
    • ब्रिटिश सेना ने विद्रोह को बर्बरता से दबा दिया।
    • विद्रोह असफल रहा, लेकिन यह उड़ीसा में ब्रिटिश सत्ता के प्रति गहरे असंतोष का प्रतीक बना।

3. वेल्लोर विद्रोह (Vellore Mutiny, 1806)

  • स्थान: वेल्लोर (तमिलनाडु)।
  • प्रमुख कारण:
    • ब्रिटिश सेना ने भारतीय सैनिकों के लिए नई पोशाक और हेडगियर पेश की, जिसमें धार्मिक भावनाओं की अनदेखी की गई।
    • सैनिकों को आदेश दिया गया कि वे अपने माथे पर धार्मिक चिह्न (जैसे तिलक) न लगाएं।
    • भारतीय सैनिकों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने का संदेह।
  • घटनाएं:
    • जुलाई 1806 में भारतीय सैनिकों ने वेल्लोर किले में विद्रोह कर दिया।
    • उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों को मार डाला और किले पर कब्जा कर लिया।
  • परिणाम:
    • ब्रिटिश सेना ने विद्रोह को बेरहमी से दबा दिया।
    • लगभग 100 सैनिकों को मार दिया गया और कई विद्रोहियों को फांसी दी गई।
    • यह विद्रोह 1857 के विद्रोह से पहले का सबसे बड़ा सैन्य विद्रोह माना जाता है।

निष्कर्ष:

विजयनगरम का विद्रोह, पाइका विद्रोह, और वेल्लोर विद्रोह 1857 से पहले भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति असंतोष और प्रतिरोध के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। ये विद्रोह भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों (जमींदार, किसान, और सैनिक) द्वारा ब्रिटिश प्रशासन की दमनकारी नीतियों का विरोध करते थे। हालांकि ये विद्रोह व्यापक पैमाने पर सफल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए रास्ता तैयार किया।

1857 से पहले के प्रमुख नागरिक विद्रोह

1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पहले भारत में कई नागरिक विद्रोह हुए, जो ब्रिटिश शासन की नीतियों और अन्यायपूर्ण तरीकों के खिलाफ थे। ये विद्रोह विभिन्न वर्गों, जैसे किसान, आदिवासी, जमींदार, और सैनिकों द्वारा किए गए, जो ब्रिटिश शोषण और दमन का शिकार थे।

1. विजयनगरम का विद्रोह (1794)

  • स्थान: आंध्र प्रदेश।
  • नेतृत्व: विजयनगरम के राजा।
  • कारण:
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारी लगान (राजस्व) लगाया गया।
    • राजा और जनता पर आर्थिक दबाव बढ़ता गया।
  • घटनाएं:
    • राजा और उनके अनुयायियों ने ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ विद्रोह किया।
    • ब्रिटिश सेना ने इस विद्रोह को दबा दिया और राजा को पराजित किया।

2. चुआर विद्रोह (1767-1809)

  • स्थान: बंगाल और बिहार।
  • नेतृत्व: स्थानीय जमींदार और आदिवासी समुदाय।
  • कारण:
    • कंपनी शासन द्वारा भूमि और वन अधिकार छीनना।
    • भारी कर प्रणाली और दमनकारी नीतियां।
  • घटनाएं:
    • चुआरों (आदिवासियों) ने ब्रिटिश अधिकारियों और सिपाहियों पर हमला किया।
    • यह विद्रोह कई बार हुआ और लंबे समय तक चला।

3. पोलिगार विद्रोह (1795-1805)

  • स्थान: तमिलनाडु।
  • नेतृत्व: स्थानीय पोलिगार (पलयक्कार)।
  • कारण:
    • ब्रिटिश राजस्व नीति और सैन्य नियंत्रण।
    • स्थानीय शासकों की स्वतंत्रता छीनना।
  • घटनाएं:
    • पोलिगारों ने ब्रिटिश सेना से लड़ाई लड़ी।
    • विद्रोह को कठोरता से दबा दिया गया।

4. पाइका विद्रोह (1817)

  • स्थान: उड़ीसा (खुर्दा)।
  • नेतृत्व: बख्शी जगबंधु।
  • कारण:
    • ब्रिटिश द्वारा पाइका समुदाय की भूमि छीनना।
    • अत्यधिक कर और धार्मिक हस्तक्षेप।
  • घटनाएं:
    • पाइकों ने ब्रिटिश अधिकारियों और संपत्तियों पर हमला किया।
    • विद्रोह व्यापक था लेकिन असफल रहा।

5. वेल्लोर विद्रोह (1806)

  • स्थान: वेल्लोर, तमिलनाडु।
  • नेतृत्व: भारतीय सैनिक।
  • कारण:
    • ब्रिटिश सेना द्वारा धार्मिक भावनाओं का अनादर।
    • सैनिकों को नई पोशाक पहनने और धार्मिक प्रतीकों (जैसे तिलक) हटाने के आदेश।
  • घटनाएं:
    • भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश अधिकारियों पर हमला किया और किले पर कब्जा कर लिया।
    • विद्रोह को सख्ती से दबा दिया गया।

6. संथाल विद्रोह (1855-1856)

  • स्थान: बंगाल, बिहार, झारखंड।
  • नेतृत्व: सिदो और कान्हू।
  • कारण:
    • ब्रिटिश राजस्व नीति और जमींदारी प्रथा।
    • आदिवासियों की भूमि छीनना और कर्ज के कारण शोषण।
  • घटनाएं:
    • संथाल समुदाय ने ब्रिटिश अधिकारियों और जमींदारों पर हमला किया।
    • विद्रोह को बर्बरता से दबा दिया गया।

7. खासी विद्रोह (1829-1833)

  • स्थान: मेघालय।
  • नेतृत्व: उ तिरोत सिंह।
  • कारण:
    • ब्रिटिश शासन द्वारा खासी पहाड़ियों पर नियंत्रण।
    • आदिवासियों के पारंपरिक अधिकारों का हनन।
  • घटनाएं:
    • खासी जनजातियों ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
    • यह विद्रोह भी असफल रहा।

8. कोल विद्रोह (1831-1832)

  • स्थान: झारखंड।
  • कारण:
    • ब्रिटिश राजस्व नीतियों से आदिवासियों का उत्पीड़न।
    • भूमि अधिकारों का हनन।
  • घटनाएं:
    • कोल आदिवासियों ने ब्रिटिश अधिकारियों और जमींदारों पर हमला किया।
    • विद्रोह को ब्रिटिश सेना ने दमन कर समाप्त किया।

निष्कर्ष:

1857 से पहले हुए ये नागरिक विद्रोह भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष और संघर्ष की झलक देते हैं। हालांकि ये विद्रोह अलग-अलग क्षेत्रों में हुए और ज्यादातर असफल रहे, लेकिन इन्होंने ब्रिटिश शासन के प्रति जनता के विरोध और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए आधार तैयार किया।

FAQ

सूरत विद्रोह (1664) क्यों हुआ?

यह विद्रोह ब्रिटिश व्यापारियों द्वारा सूरत के स्थानीय व्यापारियों और लोगों पर किए गए शोषण के खिलाफ हुआ था।

पलासी का युद्ध (1757) का क्या महत्व था?

पलासी का युद्ध बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच लड़ा गया।,इसमें कंपनी की जीत ने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव रखी।

कलपाक वेल्लाला विद्रोह (1780) किसके खिलाफ था?

यह विद्रोह ब्रिटिश शासन की अत्यधिक कर वसूली और किसानों के शोषण के खिलाफ था।

सिंध युद्ध (1843) में किसने ब्रिटिशों का विरोध किया?

सिंध के स्थानीय शासक महाराजा मिर्जा के सुभानी ने ब्रिटिश आक्रमण के खिलाफ संघर्ष किया।

उलगुलान (1831-1832) का नेतृत्व किसने किया?

इस विद्रोह का नेतृत्व सिदो और कान्हू ने किया।, यह झारखंड के आदिवासियों का ब्रिटिश शासन के खिलाफ भूमि और अधिकारों के लिए संघर्ष था।

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