Cripps Mission in hindi

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क्रिप्स मिशन के कारण (Reasons for the Cripps Mission)

क्रिप्स मिशन 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में राजनीतिक स्थिति को शांत करने और भारतीय नेताओं के सहयोग से द्वितीय विश्व युद्ध में सहायता प्राप्त करने के लिए भेजा गया था। इसके पीछे कई कारण थे, जो ब्रिटिश सरकार के दृष्टिकोण और युद्ध की स्थिति को दर्शाते हैं।

क्रिप्स मिशन के प्रमुख कारण:

  1. द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सहयोग की आवश्यकता: ब्रिटिश सरकार को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों और संसाधनों की जरूरत थी। भारत, ब्रिटिश साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, और ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि भारतीयों का सहयोग मिले ताकि वे युद्ध में ब्रिटिश साम्राज्य का साथ दे सकें।
  2. भारतीय असंतोष और विरोध: भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा था, विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के विरोध के कारण। क्रिप्स मिशन का उद्देश्य इस असंतोष को शांत करना और भारतीय नेताओं से सहयोग प्राप्त करना था। ब्रिटिश सरकार को यह महसूस हो रहा था कि अगर वे भारतीयों को कुछ राजनीतिक सुधार और स्वायत्तता का आश्वासन देते हैं, तो उन्हें युद्ध में भारतीय सहयोग मिल सकता है।
  3. गांधीजी का नेतृत्व और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम: महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहले ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलनों की शुरुआत कर दी थी। क्रिप्स मिशन का उद्देश्य गांधीजी और कांग्रेस को यह आश्वासन देना था कि भारत को स्वतंत्रता की दिशा में कुछ कदम उठाए जाएंगे, ताकि वे ब्रिटिश साम्राज्य का साथ दें।
  4. भारत में बढ़ती राजनीतिक स्थिति: ब्रिटिश सरकार को यह चिंता थी कि अगर भारत में राजनीतिक स्थिति और अधिक बिगड़ती है, तो इसके परिणामस्वरूप साम्राज्य के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। क्रिप्स मिशन ने भारतीय नेताओं से बातचीत करके इस स्थिति को सुधारने की कोशिश की।
  5. अंतरराष्ट्रीय दबाव: ब्रिटिश साम्राज्य पर द्वितीय विश्व युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव था। इससे यह भी जरूरी था कि भारत को कुछ राजनीतिक स्वायत्तता दी जाए ताकि भारत का समर्थन ब्रिटिश साम्राज्य को मिल सके और साम्राज्य के समर्थन से युद्ध में सफलता प्राप्त की जा सके।
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क्रिप्स मिशन 1942 के प्रस्ताव (Proposals of the Cripps Mission 1942)

क्रिप्स मिशन का प्रमुख उद्देश्य भारतीय नेताओं से द्वितीय विश्व युद्ध में सहयोग प्राप्त करना था, और इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने कुछ प्रस्ताव दिए थे। ये प्रस्ताव भारतीय नेताओं को संतुष्ट करने और भारतीयों को राजनीतिक अधिकारों का आश्वासन देने के लिए थे।

क्रिप्स मिशन के प्रमुख प्रस्ताव:

  1. भारत को पूर्ण स्वतंत्रता का आश्वासन: क्रिप्स मिशन में यह वादा किया गया कि युद्ध के बाद भारत को पूर्ण स्वतंत्रता का अवसर दिया जाएगा। इसके तहत भारतीयों को एक संविधान बनाने की स्वतंत्रता मिलेगी, जिसे भारतीय लोग स्वयं तैयार करेंगे। हालांकि, यह संविधान ब्रिटिश सरकार की स्वीकृति से ही लागू होगा।
  2. स्वायत्तता की दिशा में कदम: मिशन ने यह प्रस्ताव रखा कि भारतीय प्रांतों को स्वायत्तता दी जाएगी और वे अपनी घरेलू समस्याओं का समाधान स्वयं करेंगे। हालांकि, यह प्रस्ताव सीमित था और केंद्रीय सरकार का नियंत्रण कायम रहेगा।
  3. काउंसिल में भारतीय प्रतिनिधित्व: ब्रिटिश सरकार ने काउंसिल में भारतीयों का अधिक प्रतिनिधित्व देने का वादा किया। इसके तहत वाइसरॉय की काउंसिल में भारतीयों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाएगा और उन्हें सरकारी निर्णयों में भागीदारी का अवसर मिलेगा।
  4. मुस्लिम लीग को आश्वासन: मुस्लिम लीग के नेताओं को यह आश्वासन दिया गया कि संविधान में मुस्लिम समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा और उनके अधिकारों का ध्यान रखा जाएगा। यह प्रस्ताव मुस्लिम समुदाय की चिंता को शांत करने के लिए था, खासकर मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग के संदर्भ में।
  5. संविधान पर भारतीय नेताओं से सहयोग: क्रिप्स मिशन ने यह भी प्रस्ताव दिया कि एक भारतीय संविधान सभा गठित की जाएगी, जिसमें भारतीय नेताओं को संविधान निर्माण में भागीदारी का अवसर मिलेगा। इस संविधान सभा का उद्देश्य भारतीय स्वायत्तता की दिशा में कदम उठाना था।
  6. प्रांतीय स्वायत्तता: क्रिप्स मिशन ने यह भी प्रस्ताव दिया कि प्रत्येक प्रांत को अपनी सरकार बनाने और अपने मामलों में स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार दिया जाएगा। हालांकि, यह प्रांतीय स्वायत्तता सीमित थी और केंद्रीय सरकार का नियंत्रण कायम रहेगा।
  7. किसी भी भारतीय प्रांत को संविधान से बाहर रहने का अधिकार: क्रिप्स मिशन में यह प्रस्ताव था कि कोई भी भारतीय प्रांत अगर नए संविधान से सहमत नहीं होता, तो वह उस संविधान से बाहर रह सकता था। इस प्रस्ताव को मुस्लिम लीग की आपत्ति को दूर करने के लिए प्रस्तुत किया गया था, क्योंकि वे पाकिस्तान की मांग कर रहे थे।

निष्कर्ष:

क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण मोड़ थे, लेकिन भारतीय नेताओं ने इन्हें अस्वीकार कर दिया। कांग्रेस ने इन प्रस्तावों को अपर्याप्त और अधूरे समझा, क्योंकि यह प्रस्ताव भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं थे। गांधीजी और कांग्रेस ने इन प्रस्तावों को एक “छोटा पैकेज” माना, जो ब्रिटिश साम्राज्य का समर्थन करने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन यह भारत को पूर्ण स्वाधीनता देने के लिए पर्याप्त नहीं था। इस कारण से क्रिप्स मिशन असफल रहा और भारतीय आंदोलन में नया मोड़ आया।

क्रिप्स मिशन की असफलता (Failure of the Cripps Mission)

क्रिप्स मिशन 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजा गया एक प्रयास था, जिसका उद्देश्य भारतीय नेताओं से द्वितीय विश्व युद्ध में सहयोग प्राप्त करना था और भारत को स्वतंत्रता की दिशा में कुछ कदम उठाने का आश्वासन देना था। हालांकि, यह मिशन असफल हो गया और इसके कई कारण थे:

क्रिप्स मिशन की असफलता के प्रमुख कारण:

  1. पूर्ण स्वतंत्रता का अभाव: क्रिप्स मिशन में यह वादा किया गया था कि युद्ध के बाद भारत को स्वतंत्रता का अवसर मिलेगा, लेकिन इसमें कोई ठोस योजना नहीं दी गई थी। मिशन ने भारत को पूरी स्वतंत्रता देने का वादा नहीं किया, बल्कि ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में भारत की राजनीतिक स्थिति को बनाए रखने का प्रस्ताव रखा। भारतीय नेताओं के लिए यह एक अधूरी पेशकश थी, और वे इससे संतुष्ट नहीं हुए।
  2. कांग्रेस की असहमति: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मिशन के प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया क्योंकि कांग्रेस का मानना था कि यह प्रस्ताव भारत की स्वायत्तता की दिशा में बहुत कम कदम थे। गांधीजी और कांग्रेस ने इसे ब्रिटिश साम्राज्य की स्थिति को मजबूत करने का एक प्रयास माना और इस पर असहमति व्यक्त की। कांग्रेस ने भारत की पूरी स्वतंत्रता की मांग की थी, न कि एक आंशिक सुधार।
  3. मुस्लिम लीग की असहमति: मुस्लिम लीग ने भी क्रिप्स मिशन को अस्वीकार किया, क्योंकि उन्हें यह महसूस हुआ कि इसमें मुस्लिम समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला। वे पाकिस्तान की मांग को लेकर पहले से ही असंतुष्ट थे, और क्रिप्स मिशन ने उनके हितों को पूरी तरह से संबोधित नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप मुस्लिम लीग ने भी इस मिशन का विरोध किया।
  4. प्रांतीय स्वायत्तता की सीमित योजना: मिशन के तहत प्रांतीय स्वायत्तता का प्रस्ताव था, लेकिन यह बहुत सीमित था। कांग्रेस को यह लगा कि प्रांतीय स्वायत्तता की योजना पर्याप्त नहीं है और इससे ब्रिटिश साम्राज्य के प्रभाव को खत्म करने में कोई मदद नहीं मिलेगी। कांग्रेस ने इसे एक अस्थायी और अधूरी योजना माना।
  5. संविधान की असमझौते वाली योजना: क्रिप्स मिशन ने संविधान के निर्माण के लिए एक संविधान सभा का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इस प्रस्ताव में भारतीय नेताओं को एक वास्तविक भूमिका निभाने की बजाय ब्रिटिश सरकार के तहत निर्णय लेने का अधिकार था। इससे भारतीय नेताओं को लगा कि ब्रिटिश साम्राज्य भारतीयों को पूरी तरह से स्वतंत्रता नहीं देना चाहता।

क्रिप्स मिशन का महत्व (Significance of the Cripps Mission)

क्रिप्स मिशन के असफल होने के बावजूद, इसका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और ब्रिटिश शासन पर प्रभाव पड़ा। इसके कुछ महत्वपूर्ण पहलु निम्नलिखित हैं:

  1. भारत में असंतोष और जागरूकता का बढ़ना: क्रिप्स मिशन के असफल होने के बाद भारतीय नेताओं और जनता के बीच असंतोष बढ़ा। यह असफलता ब्रिटिश सरकार की वादाखिलाफी को उजागर करती थी, और भारतीयों में यह भावना और मजबूत हुई कि ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिए संघर्ष और तेज किया जाना चाहिए। इससे भारतीय जनता में एक नई राजनीतिक जागरूकता आई।
  2. गांधीजी और कांग्रेस की स्थिति में मजबूती: क्रिप्स मिशन के असफल होने के बाद महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एकजुटता से विरोध करना जारी रखा, और इस असफलता ने उनके संघर्ष को और मजबूत किया। यह घटना बाद में “क्विट इंडिया मूवमेंट” की शुरुआत के लिए एक प्रेरणा बन गई।
  3. भारत के विभाजन की संभावना को और अधिक मजबूती मिली: क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद मुस्लिम लीग ने अपनी मांग को और तेज किया, और पाकिस्तान की मांग को मजबूती मिली। इससे भारत के विभाजन की संभावना बढ़ी, क्योंकि मुस्लिम लीग ने यह महसूस किया कि वे अपने समुदाय के लिए एक अलग राष्ट्र की स्थापना के लिए मजबूर हो सकते हैं।
  4. ब्रिटिश सरकार की कमजोरी उजागर हुई: क्रिप्स मिशन के असफल होने से ब्रिटिश सरकार की कमजोरी भी उजागर हुई। यह दिखाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य अब भारतीय नेताओं के साथ कोई समझौता करने में असमर्थ था और उनकी इच्छाओं का सम्मान नहीं कर रहा था। इससे ब्रिटिश शासन की असफलता का अहसास हुआ और भारतीयों के लिए स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ाने का अवसर मिला।
  5. संविधान निर्माण में असफलता: क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों में भारत के संविधान निर्माण के लिए जो प्रयास किए गए थे, वे असफल हो गए। इससे भारतीयों में यह समझ बढ़ी कि वे अपने संविधान को स्वतंत्र रूप से तैयार करने के लिए और भी संघर्ष करेंगे, जो भविष्य में स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पहलू बना।

निष्कर्ष:

क्रिप्स मिशन ब्रिटिश सरकार का एक महत्वपूर्ण प्रयास था, लेकिन यह भारतीय नेताओं और जनता के विश्वास को हासिल करने में असफल रहा। इसका प्रमुख कारण था कि मिशन में भारत को स्वतंत्रता की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। इसके बावजूद, यह मिशन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है, जिसने भारतीय नेताओं को यह समझने में मदद की कि ब्रिटिश साम्राज्य भारत को अपनी स्वतंत्रता नहीं देगा और उन्हें अपने संघर्ष को तेज करना होगा।

क्रिप्स मिशन और अगस्त प्रस्ताव में क्या अंतर था?

बिंदु अगस्त प्रस्ताव (1940) क्रिप्स मिशन (1942)
उद्देश्य भारतीयों का द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन प्राप्त करना भारत को स्वतंत्रता देने की योजना बनाना
प्रमुख शर्त अल्पसंख्यकों की सहमति के बिना कोई संवैधानिक बदलाव नहीं होगा भारत को युद्ध के बाद डोमिनियन स्टेटस दिया जाएगा
कांग्रेस की प्रतिक्रिया इसे ठुकरा दिया गया इसे भी ठुकरा दिया गया
मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया समर्थन किया इसे भी ठुकरा दिया गया

FAQ

1. क्रिप्स मिशन क्या था?

क्रिप्स मिशन ब्रिटिश सरकार द्वारा मार्च 1942 में भारत भेजा गया एक संवैधानिक प्रस्ताव था, जिसका उद्देश्य भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार का समर्थन देने के बदले भविष्य में कुछ संवैधानिक सुधारों का आश्वासन देना था।

2. क्रिप्स मिशन का नेतृत्व किसने किया?

क्रिप्स मिशन का नेतृत्व ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मंत्री सर स्टैफोर्ड क्रिप्स (Sir Stafford Cripps) ने किया था।

3. क्रिप्स मिशन की असफलता का क्या परिणाम हुआ?

भारतीयों का ब्रिटिश सरकार से भरोसा उठ गया।, 1942 में गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) का आह्वान किया।, ब्रिटिश सरकार को यह अहसास हुआ कि भारतीय अब स्वतंत्रता से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।

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