Emergency Provisions in hindi

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Emergency Provisions in hindi

आपातकालीन प्रावधान Emergency Provisions

परिचय

भारत का संविधान आपातकालीन परिस्थितियों में केंद्र सरकार को असाधारण शक्तियाँ प्रदान करता है। आपातकालीन प्रावधानों का मुख्य उद्देश्य देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और सुचारु शासन को सुनिश्चित करना है।

📌 संविधान में आपातकालीन प्रावधान

  • अनुच्छेद 352 – राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency)
  • अनुच्छेद 356 – राज्य आपातकाल (State Emergency)
  • अनुच्छेद 360 – वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency)

📌 आपातकालीन प्रावधानों को संविधान के भाग-18 (Part XVIII) में शामिल किया गया है।

🔹 विशेषताएँ:
✅ केंद्र सरकार को अत्यधिक शक्तियाँ प्राप्त हो जाती हैं।
✅ राज्यों की स्वायत्तता अस्थायी रूप से समाप्त हो जाती है।
✅ नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
✅ संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है।

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1️ राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) – अनुच्छेद 352

📌 यह आपातकाल तब लगाया जाता है जब

  1. देश की सुरक्षा पर बाहरी आक्रमण (External Aggression) या युद्ध (War) का खतरा हो।
  2. देश में सशस्त्र विद्रोह (Armed Rebellion) हो रहा हो। (44वें संशोधन, 1978 से “आंतरिक गड़बड़ी” को हटाकर “सशस्त्र विद्रोह” जोड़ा गया।)

घोषणा:

  • राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर इसे घोषित करते हैं।
  • लोकसभा और राज्यसभा को 1 महीने के भीतर इसे अनुमोदित करना होता है।
  • एक बार स्वीकृति मिलने के बाद यह छः महीनों के लिए लागू होता है और इसे संसद की स्वीकृति से अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है।

प्रभाव:

  • केंद्र सरकार को अत्यधिक शक्तियाँ मिल जाती हैं।
  • राज्यों की स्वतंत्रता अस्थायी रूप से समाप्त हो जाती है।
  • मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है (अनुच्छेद 19 स्वतः निलंबित हो जाता है)।
  • संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति मिल जाती है।

अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया:

  1. 1962 – भारत-चीन युद्ध।
  2. 1971 – भारत-पाकिस्तान युद्ध।
  3. 1975 – तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आंतरिक आपातकाल (Controversial Emergency)।

2️ राज्य आपातकाल (President’s Rule) – अनुच्छेद 356

📌 यह आपातकाल तब लगाया जाता है जब

  • किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह विफल हो जाए।
  • राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य करने में असमर्थ हो।

घोषणा:

  • राष्ट्रपति, राज्यपाल की रिपोर्ट या किसी अन्य आधार पर इसे लागू कर सकते हैं।
  • संसद की स्वीकृति के बिना यह 2 महीने तक लागू रह सकता है।
  • संसद की स्वीकृति मिलने के बाद इसे 6 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है, लेकिन अधिकतम 3 वर्षों के लिए लागू किया जा सकता है।

प्रभाव:

  • राज्य की विधानसभा निलंबित या भंग कर दी जाती है।
  • राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार राज्य का प्रशासन संभालती है।
  • संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति मिल जाती है।

अब तक 100+ बार राज्य आपातकाल लगाया गया।

  • सबसे पहला राष्ट्रपति शासन पंजाब (1951)
  • इंदिरा गांधी सरकार के दौरान 39 बार राज्य आपातकाल लगाया गया।
  • 1994 में SR Bommai केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

3️ वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) – अनुच्छेद 360

📌 यह आपातकाल तब लगाया जाता है जब

  • देश की वित्तीय स्थिरता संकट में हो।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था चरमरा जाए और केंद्र सरकार वित्तीय मामलों को नियंत्रित करने में असमर्थ हो।

घोषणा:

  • राष्ट्रपति इसे जारी कर सकते हैं, लेकिन संसद की स्वीकृति आवश्यक होती है।
  • यह अनिश्चितकाल तक लागू रह सकता है।

प्रभाव:

  • केंद्र सरकार को वित्तीय मामलों में पूर्ण नियंत्रण मिल जाता है।
  • सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में कटौती की जा सकती है।
  • सभी राज्यों को केंद्र सरकार के वित्तीय निर्देशों का पालन करना होता है।

अब तक भारत में वित्तीय आपातकाल कभी लागू नहीं हुआ।

4️ आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन

📌 अनुच्छेद 358 – राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 के मौलिक अधिकार स्वतः निलंबित हो जाते हैं।
📌 अनुच्छेद 359 – राष्ट्रपति को किसी भी मौलिक अधिकार को निलंबित करने का अधिकार होता है।

44वें संविधान संशोधन (1978) के बाद:

  • अनुच्छेद 20 और 21 (जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार) को निलंबित नहीं किया जा सकता।

5️ आपातकाल से संबंधित महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले

📌 1. केशवानंद भारती केस (1973) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान का मूल ढांचा (Basic Structure) नहीं बदला जा सकता।
📌 2. मिनर्वा मिल्स केस (1980) – अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग को रोकने पर जोर दिया गया।
📌 3. SR Bommai केस (1994) – राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356) के अनुचित प्रयोग को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश दिए गए।

 निष्कर्ष

📌 आपातकालीन प्रावधान भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन इनका दुरुपयोग लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकता है।
📌 44वें संशोधन (1978) के बाद आपातकालीन शक्तियों को सीमित किया गया ताकि इनका सही तरीके से उपयोग हो सके।
📌 UPSC के दृष्टिकोण से, आपातकालीन प्रावधानों की ऐतिहासिक घटनाओं और न्यायिक फैसलों को समझना बेहद जरूरी है।

 UPSC में संभावित प्रश्न:

1️⃣ भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों का विश्लेषण करें।”
2️⃣ “1975 के आपातकाल और उसके प्रभावों पर चर्चा करें।”
3️⃣ “SR Bommai केस के निर्णय का संघवाद पर प्रभाव समझाइए।”

FAQ

1. आपातकालीन प्रावधान क्या हैं?

आपातकालीन प्रावधान भारतीय संविधान में ऐसी स्थितियों के लिए बनाए गए हैं जब देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को खतरा हो। ये प्रावधान राष्ट्रपति को विशेष शक्तियाँ देते हैं ताकि देश को अस्थिरता से बचाया जा सके।

2. भारतीय संविधान में कितने प्रकार के आपातकाल का प्रावधान है?

भारतीय संविधान में तीन प्रकार के आपातकाल का प्रावधान है:

  1. राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) – अनुच्छेद 352

  2. राज्य आपातकाल / राष्ट्रपति शासन (State Emergency) – अनुच्छेद 356

  3. वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) – अनुच्छेद 360

3. राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) क्या होता है?

  • अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर सकते हैं यदि देश को युद्ध, बाहरी आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह (armed rebellion) का खतरा हो।

  • यह पूरे देश या किसी विशेष भाग में लागू किया जा सकता है।

4. राष्ट्रीय आपातकाल कब-कब लगाया गया है?

भारत में अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया है:

  1. 1962 – चीन के आक्रमण के कारण।

  2. 1971 – पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के कारण।

  3. 1975 – आंतरिक अशांति (Internal Disturbance) के कारण, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लागू किया था।

5. राष्ट्रीय आपातकाल लागू होने पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • नागरिकों के मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) निलंबित किए जा सकते हैं।

  • केंद्र सरकार की शक्ति बढ़ जाती है और राज्य सरकारें कमजोर हो जाती हैं।

  • संसद को राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है।

6. राष्ट्रीय आपातकाल लगाने की प्रक्रिया क्या है?

  • राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर आपातकाल घोषित कर सकते हैं।

  • संसद द्वारा इसे एक महीने के भीतर मंजूरी देनी होती है।

  • मंजूरी मिलने के बाद यह 6 महीने तक लागू रहता है और इसे बार-बार बढ़ाया जा सकता है।

7. राज्य आपातकाल (State Emergency) या राष्ट्रपति शासन क्या है?

  • अनुच्छेद 356 के तहत, यदि किसी राज्य की सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर रही है तो राष्ट्रपति वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।

  • इसे “संवैधानिक तंत्र की विफलता” (Failure of Constitutional Machinery) भी कहा जाता है।

8. राज्य आपातकाल लागू होने पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • राज्य की विधान सभा को निलंबित या भंग किया जा सकता है।

  • राज्य के कार्यों का संचालन राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।

  • संसद को उस राज्य के मामलों पर कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है।

9. राज्य आपातकाल कितने समय तक लागू रह सकता है?

  • इसे 6 महीने के लिए लागू किया जाता है।

  • अधिकतम 3 साल तक इसे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए संसद की मंजूरी आवश्यक होती है।

10. अब तक कितनी बार राज्य आपातकाल लागू किया गया है?

  • भारत में 100 से अधिक बार राज्य आपातकाल लागू किया जा चुका है।

  • सबसे ज्यादा बार यह जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में लागू हुआ है।

11. वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) क्या है?

  • अनुच्छेद 360 के तहत, यदि देश की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है, तो राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल घोषित कर सकते हैं।

  • अब तक भारत में कभी भी वित्तीय आपातकाल लागू नहीं किया गया है।

12. वित्तीय आपातकाल लागू होने पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • केंद्र सरकार को राज्यों के वित्तीय मामलों पर पूरा नियंत्रण मिल जाता है।

  • सरकार वेतन और पेंशन में कटौती कर सकती है।

  • राष्ट्रपति सभी वित्तीय बिलों को अपनी स्वीकृति के बिना पारित नहीं होने दे सकते।

13. राष्ट्रीय आपातकाल हटाने की प्रक्रिया क्या है?

  • राष्ट्रपति स्वयं किसी भी समय आपातकाल को हटा सकते हैं।

  • लोकसभा में साधारण बहुमत (Simple Majority) से इसे रद्द किया जा सकता है।

14. राज्य आपातकाल हटाने की प्रक्रिया क्या है?

  • राष्ट्रपति राज्य सरकार की सिफारिश पर या संसद द्वारा अनुमोदन न मिलने पर इसे हटा सकते हैं।

15. क्या आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?

  • राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार निलंबित किए जा सकते हैं।

  • अनुच्छेद 20 और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के अधिकार हमेशा लागू रहते हैं और इन्हें निलंबित नहीं किया जा सकता।

16. 44वें संविधान संशोधन (1978) के बाद आपातकाल में क्या बदलाव किए गए?

  • आंतरिक अशांति (Internal Disturbance) को हटाकर सशस्त्र विद्रोह (Armed Rebellion) शब्द जोड़ा गया।

  • लोकसभा द्वारा आपातकाल को रद्द करने के लिए साधारण बहुमत पर्याप्त कर दिया गया।

  • अनुच्छेद 20 और 21 के मौलिक अधिकारों को निलंबित करने की अनुमति नहीं दी गई।

17. आपातकाल का दुरुपयोग कैसे रोका जा सकता है?

  • संसद और न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

  • 44वें संशोधन के बाद लोकसभा को अधिक शक्ति दी गई है कि वह आपातकाल को हटाने के लिए प्रस्ताव पारित कर सके।

18. आपातकाल का भारत के लोकतंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर सकता है।

  • नागरिक अधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

  • केंद्र सरकार की शक्ति बहुत बढ़ जाती है, जिससे संघीय ढांचा प्रभावित होता है।

19. क्या भारत में दोहरे आपातकाल (Dual Emergency) की संभावना है?

  • हां, एक ही समय में राष्ट्रीय आपातकाल और वित्तीय आपातकाल लागू किया जा सकता है।

  • हालांकि, राज्य आपातकाल किसी भी एक या कई राज्यों में अलग से लगाया जा सकता है।

20. क्या न्यायपालिका आपातकाल की समीक्षा कर सकती है?

  • हां, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय आपातकाल की संवैधानिक वैधता की समीक्षा कर सकते हैं।

  • 1977 के “केशवानंद भारती केस” और “मिनर्वा मिल्स केस” में न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की बात कही थी।

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