French Revolution in hindi

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फ्रांसीसी क्रांति 1789

फ्रांसीसी क्रांति 1789 में शुरू हुई और यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी, जिसने फ्रांस और पूरी दुनिया के राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक ढांचे को बदलकर रख दिया। फ्रांसीसी क्रांति ने लोकतंत्र, समानता और स्वतंत्रता जैसे मूलभूत सिद्धांतों को सामने लाया और प्राचीन शासन प्रणालियों को समाप्त किया। यह घटना यूरोप के अन्य देशों में क्रांतिकारी आंदोलनों की शुरुआत का कारण बनी।

फ्रांसीसी क्रांति के कारण

फ्रांसीसी क्रांति के कई कारण थे, जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर थे:

1. सामाजिक असमानताएँ:

  • फ्रांस में समाज तीन वर्गों में विभाजित था: पहला वर्ग (धर्मगुरु), दूसरा वर्ग (जमींदार), और तीसरा वर्ग (सामान्य जनता)
  • पहला और दूसरा वर्ग टैक्स से मुक्त थे, जबकि तीसरा वर्ग, जिसमें किसान, मजदूर, और व्यापारी शामिल थे, भारी करों के बोझ तले दबा हुआ था। यह असमानता क्रांति का एक प्रमुख कारण बनी।

2. आर्थिक संकट:

  • फ्रांस में राजा लुई XVI और उनके शासनकाल के दौरान बड़े पैमाने पर युद्ध हुए, जिनमें अमेरिकी क्रांति में समर्थन देने के कारण फ्रांस का खजाना खाली हो गया।
  • इसके अलावा, जाड़े की असफल फसलें, खाद्यान्न की कमी और बढ़ती महंगाई ने सामान्य जनता को परेशान किया।

3. राजनीतिक असंतोष:

  • फ्रांस में मोनार्की (राजतंत्र) था, जहां राजा का अत्यधिक अधिकार था और जनता को राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया था।
  • राजा लुई XVI की निरंकुश नीतियाँ और शासन के खिलाफ असंतोष बढ़ता गया।

4. विचारधारात्मक परिवर्तन:

  • आधुनिकता, समानता, और स्वतंत्रता जैसे विचार यूरोपीय दार्शनिकों द्वारा फैलाए गए थे, विशेषकर जॉन लॉक, वोल्टेयर, और रूसो की विचारधाराओं ने फ्रांसीसी जनता को प्रभावित किया।
  • इन विचारों के तहत यह सोचा गया कि जनता को सत्ता में भागीदारी का अधिकार होना चाहिए और राजा के निरंकुश शासन के खिलाफ विद्रोह करना चाहिए।

5. नौकरशाही और कर प्रणाली की समस्याएँ:

  • फ्रांस की कर प्रणाली बहुत जटिल और अन्यायपूर्ण थी। राजा और चर्च को करों में छूट थी, जबकि आम जनता भारी करों का भुगतान करती थी।
  • यह स्थिति जनता में असंतोष और विद्रोह का कारण बनी।
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फ्रांसीसी क्रांति की प्रमुख घटनाएँ

1. ऐस्टेट जनरल और नेशनल असेंबली (1789):

  • 1789 में राजा लुई XVI ने वित्तीय संकट को सुधारने के लिए ऐस्टेट जनरल की बैठक बुलवाई। इस बैठक में तीनों वर्गों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
  • तीसरे वर्ग के प्रतिनिधि, जिन्हें अपनी आवाज़ को दबा हुआ महसूस हुआ, ने नेशनल असेंबली का गठन किया और संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू की।

2. बास्टिल किले की घेराबंदी (14 जुलाई 1789):

  • 14 जुलाई 1789 को पेरिस के नागरिकों ने बास्टिल किले पर हमला किया, जो निरंकुशता और राजतंत्र का प्रतीक था।
  • यह घटना फ्रांसीसी क्रांति का प्रतीक बन गई और प्रत्येक वर्ष 14 जुलाई को बास्टिल दिवस के रूप में मनाई जाती है।

3. मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा (1789):

  • 26 अगस्त 1789 को मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा (Declaration of the Rights of Man and of the Citizen) को अपनाया गया, जिसमें स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के सिद्धांतों की स्थापना की गई।
  • इस घोषणापत्र ने व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता के महत्व को स्पष्ट किया।

4. फ्रांसीसी क्रांति का संघर्ष और आतंक काल (1793-1794):

  • 1793 में लुई XVI को गिलोटिन से मृत्युदंड दिया गया, जिससे राजतंत्र समाप्त हो गया।
  • इसके बाद, मैक्सिमिलियन रोबेसपierre की अगुवाई में आतंक काल (Reign of Terror) शुरू हुआ, जिसमें हजारों लोग गिलोटिन से मारे गए।

5. नपोलियन बोनापार्ट का उदय:

  • 1799 में नपोलियन बोनापार्ट ने कू दएतट (coup d’état) करके सत्ता पर कब्जा कर लिया और फ्रांस के शासक बने।
  • नपोलियन ने क्रांति के सिद्धांतों को आगे बढ़ाया, लेकिन अपनी निरंकुश सत्ता की स्थापना की। उसने फ्रांस को एक साम्राज्य में बदल दिया, लेकिन इसके बावजूद उसने कई सुधार किए, जैसे नपोलियन संहिता (Napoleonic Code) का निर्माण।

फ्रांसीसी क्रांति के प्रभाव

  1. लोकतंत्र और समानता के विचार यूरोप और पूरी दुनिया में फैलने लगे।
  2. राजतंत्र के अंत और संविधानात्मक सरकार की स्थापना हुई।
  3. धर्म और चर्च का राजनीतिक प्रभाव कम हुआ।
  4. फ्रांसीसी क्रांति ने अन्य देशों में भी स्वतंत्रता और समानता के लिए संघर्ष को प्रेरित किया।
  5. यह क्रांति नपोलियन बोनापार्ट के माध्यम से फ्रांस के साम्राज्यवादी विस्तार की ओर बढ़ी, जिससे यूरोप के राजनीतिक मानचित्र पर बदलाव आया।
  6. फ्रांसीसी क्रांति ने मानवाधिकार, स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक शासन के सिद्धांतों को वैश्विक स्तर पर फैलाया।

निष्कर्ष:

फ्रांसीसी क्रांति ने न केवल फ्रांस को बदल दिया, बल्कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता के विचारों को फैलाया। यह क्रांति सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से एक नए युग की शुरुआत थी, जिसने आधुनिक दुनिया के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

क्रांति के पूर्व फ्रांस की स्थिति (France on the Eve of the Revolution)

फ्रांसीसी क्रांति 1789 में प्रारंभ हुई और यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी जिसने न केवल फ्रांस की राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक संरचनाओं को बदल दिया, बल्कि पूरी दुनिया को भी प्रभावित किया। क्रांति के पूर्व फ्रांस की स्थिति अत्यधिक संकटपूर्ण और असंतोष से भरी हुई थी। फ्रांस में उस समय कई प्रकार की समस्याएं थीं, जो बाद में क्रांति की वजह बनीं।

1. सामाजिक असमानता

फ्रांस में समाज को तीन वर्गों में विभाजित किया गया था:

  • पहला वर्ग: यह वर्ग धर्मगुरुओं (Clergy) से बना था, जिनमें बिशप, पुजारी और अन्य धार्मिक अधिकारी शामिल थे। इस वर्ग को विशेषकर करों से मुक्त किया गया था और उन्हें कई विशेष अधिकार प्राप्त थे। यह वर्ग समाज का 5% था, लेकिन उसकी शक्ति और धन बहुत था।
  • दूसरा वर्ग: यह वर्ग जमींदारों (Nobles) का था, जिनमें प्रमुख जमींदार, दरबारी, और उच्च वर्ग के लोग थे। इनकी स्थिति भी विशेषाधिकार प्राप्त थी, और इन्हें भी करों में छूट मिली हुई थी।
  • तीसरा वर्ग: यह वर्ग सामान्य जनता (Commoners) से बना था, जिसमें किसान, मजदूर, व्यापारी, और शहरी वर्ग शामिल थे। इस वर्ग का फ्रांस की कुल जनसंख्या में लगभग 98% हिस्सा था, लेकिन इसके पास कोई राजनीतिक अधिकार नहीं था। इस वर्ग पर भारी करों का बोझ था और यह आर्थिक और सामाजिक असमानताओं से पीड़ित था।

2. आर्थिक संकट

फ्रांसीसी शासन के तहत फ्रांस का आर्थिक हालात बहुत खराब थे:

  • युद्धों का बोझ: फ्रांस ने 18वीं शताब्दी के अंत में अमेरिकी क्रांति में हस्तक्षेप किया था, जिससे उसे बड़ी वित्तीय समस्याएँ पैदा हुईं। युद्धों के कारण फ्रांस का खजाना खाली हो गया और सरकार कर्ज के बोझ तले दब गई।
  • कृषि संकट: 1780 के दशक में फ्रांस में कई सालों तक खराब फसलें हुईं, जिससे खाद्य पदार्थों की कमी हो गई। इस कारण अन्न की कीमतें बढ़ गईं, विशेषकर रोटी की कीमत में जबरदस्त वृद्धि हुई, जो गरीबों के लिए भोजन का मुख्य साधन था।
  • कर प्रणाली: फ्रांस में करों की प्रणाली अत्यधिक अन्यायपूर्ण थी। पहला और दूसरा वर्ग करों से मुक्त थे, जबकि तीसरे वर्ग को भारी करों का सामना करना पड़ता था। इस असमान कर प्रणाली ने समाज में गहरी असंतोष की भावना पैदा की।

3. राजनीतिक असंतोष

फ्रांस में उस समय एक निरंकुश राजतंत्र था, जहाँ राजा लुई XVI की सत्ता बहुत सख्त थी और वह बिना किसी कानूनी बाध्यता के शासन करते थे।

  • राजा का शासन: लुई XVI की नीतियाँ कमजोर और अक्षम थीं। उन्होंने संकट के समय में फैसले लेने में लापरवाही बरती, और उनका शासन जनता की आवश्यकताओं और समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं था।
  • धार्मिक प्रभाव: चर्च (कैथोलिक चर्च) का समाज में अत्यधिक प्रभाव था और यह जमींदारों के साथ मिलकर फ्रांस के शासन में भागीदार था, जिससे सामान्य जनता को और अधिक दबाव महसूस होता था।

4. विचारधारात्मक बदलाव

फ्रांसीसी क्रांति के पूर्व, यूरोप में कुछ बड़े विचारधारात्मक बदलाव हो रहे थे, जो क्रांति को प्रेरित करने वाले सिद्धांतों की नींव बने:

  • प्रकाशन विचारधारा: वोल्टेयर, रूसो, और मोंटेस्क्यू जैसे विचारकों ने स्वतंत्रता, समानता, और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया। रूसो ने सामाजिक समझौता” (Social Contract) का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने माना कि शासन केवल जनता की इच्छा से वैध हो सकता है।
  • आधुनिकता और राष्ट्रीयता: इन विचारों ने फ्रांस की जनता को यह विश्वास दिलाया कि उन्हें अधिकार है अपने शासन को चुनने का और राजा की निरंकुशता का विरोध करना चाहिए।

5. सामाजिक असंतोष और शहरी वर्ग की असहमति

फ्रांस के शहरी इलाकों में स्थित व्यापारी वर्ग, बौद्धिक वर्ग और निम्न श्रेणी के श्रमिकों में असंतोष था। विशेषकर पेरिस जैसे शहरों में, जहाँ लोगों को भोजन, नौकरी और जीविका के लिए संघर्ष करना पड़ता था।

  • महंगाई और बेरोजगारी: अन्न की बढ़ती कीमतें और बढ़ती बेरोजगारी ने शहरी नागरिकों को परेशान कर दिया, और यह असंतोष एक सामाजिक विद्रोह में बदलने के लिए तैयार था।
  • महिलाओं का योगदान: 1789 में पेरिस की महिलाएं महल की ओर मार्च करती हुई गईं और लुई XVI से रोटी की मांग की। उनका यह आंदोलन सामाजिक असंतोष का प्रतीक था।

निष्कर्ष

फ्रांसीसी क्रांति के पूर्व, फ्रांस में एक गहरी सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक असंतोष की स्थिति थी। असमानता, आर्थिक संकट, निरंकुश शासन, और नए विचारों के प्रभाव ने जनता को एकजुट किया और क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया। फ्रांस में जमीनी स्तर पर बदलाव की आवश्यकता महसूस हो रही थी, और यही कारण था कि 1789 में यह ऐतिहासिक क्रांति शुरू हुई, जिसने पूरी दुनिया के इतिहास को बदलकर रख दिया।

फ्रांसीसी क्रांति के कारण (Causes of the French Revolution)

फ्रांसीसी क्रांति 1789 में शुरू हुई और यह घटना फ्रांस की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था में गहरे परिवर्तन का कारण बनी। इस क्रांति के पीछे कई सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और बौद्धिक कारण थे। ये कारण एक साथ मिलकर क्रांति के वातावरण को उत्पन्न करने में सहायक बने। आइए, जानते हैं इन प्रमुख कारणों के बारे में:

1. सामाजिक असमानता

फ्रांस में समाज तीन वर्गों में विभाजित था:

  • पहला वर्ग (धर्मगुरु): यह वर्ग धार्मिक नेताओं से बना था, जिनमें बिशप, पुजारी और अन्य चर्च के अधिकारी शामिल थे। यह वर्ग फ्रांस की जनसंख्या का केवल 5% था, लेकिन उनके पास विशेष अधिकार और सम्पत्ति थी, और वे करों से मुक्त थे।
  • दूसरा वर्ग (जमींदार): यह वर्ग उच्च वर्ग के लोगों से बना था, जिनमें प्रमुख जमींदार, दरबारी और सैनिक अधिकारी थे। यह वर्ग भी करों से मुक्त था और उसे कई अन्य विशेषाधिकार प्राप्त थे।
  • तीसरा वर्ग (सामान्य जनता): यह वर्ग फ्रांस की कुल जनसंख्या का 98% था, जिसमें किसान, मजदूर, व्यापारी और शहरी वर्ग शामिल थे। तीसरे वर्ग के लोग न केवल आर्थिक दृष्टि से गरीब थे, बल्कि उन्हें राजनीतिक अधिकार भी नहीं थे। इसके अलावा, वे अत्यधिक करों और अन्य अत्याचारों का शिकार थे। इस वर्ग के असंतोष ने क्रांति की नींव रखी।

2. आर्थिक संकट

फ्रांस का आर्थिक हालात बहुत खराब था, जो क्रांति के प्रमुख कारणों में से एक था:

  • युद्धों का खर्च: फ्रांस ने 18वीं शताब्दी में कई महंगे युद्ध लड़े, विशेषकर अमेरिकी स्वतंत्रता युद्ध में भाग लिया, जिसके कारण देश की वित्तीय स्थिति बिगड़ गई। युद्धों के खर्च ने सरकारी खजाने को खाली कर दिया, और सरकार को भारी कर्ज़ लेना पड़ा।
  • कृषि संकट और महंगाई: 1780 के दशक में खराब मौसम और फसलें न होने के कारण खाद्य संकट उत्पन्न हुआ। रोटी और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बहुत बढ़ गईं, जिससे गरीब वर्ग को कठिनाइयाँ हुईं। विशेष रूप से 1788 में हुई भयंकर बर्फबारी और वर्षा ने स्थिति को और खराब किया।
  • कर प्रणाली: फ्रांसीसी कर प्रणाली बहुत जटिल और अन्यायपूर्ण थी। पहला और दूसरा वर्ग करों से मुक्त थे, जबकि तीसरे वर्ग के लोग भारी करों के बोझ तले दबे हुए थे। यह असमानता जनता में गहरी असंतोष का कारण बनी।

3. निरंकुश शाही शासन

फ्रांस में उस समय एक निरंकुश राजतंत्र था, जहाँ राजा लुई XVI की सत्ता अत्यधिक थी और वह बिना किसी बाध्यता के शासन करते थे। उनका प्रशासन कमजोर और अक्षम था:

  • राजा लुई XVI की अक्षमता: राजा लुई XVI अपने शासन में गहरे वित्तीय संकट और देश की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए। उनकी नीति और निर्णय न केवल जनता के हित में थे, बल्कि उन्होंने कई मौके गंवा दिए, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा।
  • राजतंत्र का अत्याचार: फ्रांसीसी जनता के लिए यह असहनीय था कि वे इतने कठिन समय में भी करों और अन्य दबावों से मुक्त नहीं हो पा रहे थे, जबकि राजा और जमींदार विशेषाधिकार प्राप्त थे। इसके परिणामस्वरूप निरंतर असंतोष बढ़ा।

4. बौद्धिक विचारधारा और परिवर्तन

18वीं शताब्दी में यूरोप में प्रकाशन युग (Enlightenment) का प्रभाव बढ़ा। दार्शनिकों और विचारकों ने स्वतंत्रता, समानता, और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया। इन विचारों का प्रभाव फ्रांस पर भी पड़ा:

  • विचारक और दार्शनिकों का प्रभाव: वोल्टेयर, रूसो, मोंटेस्क्यू और जॉन लॉक जैसे विचारकों ने स्वतंत्रता, समानता, और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया। रूसो ने सामाजिक समझौता (Social Contract) का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने यह कहा कि शासन तभी वैध होता है, जब यह जनता की इच्छा के अनुसार हो। इन विचारों ने फ्रांसीसी समाज को जागरूक किया और यह महसूस कराया कि उन्हें अपने शासन में बदलाव की आवश्यकता है।

5. शहरी वर्ग का असंतोष

फ्रांस के शहरी इलाकों में स्थित व्यापारियों, बौद्धिक वर्ग और निम्न श्रेणी के श्रमिकों में भी असंतोष था। महंगाई, बेरोजगारी और जीवन यापन की कठिनाइयों ने शहरी नागरिकों को परेशान किया:

  • महंगाई और बेरोजगारी: अन्न की बढ़ती कीमतें और बढ़ती बेरोजगारी ने शहरी नागरिकों को परेशान किया और उन्होंने शाही शासन के खिलाफ आंदोलन शुरू किए।
  • महिलाओं का योगदान: पेरिस की महिलाओं ने 1789 में महल की ओर मार्च किया और रोटी की मांग की। यह एक बड़ा सामाजिक आंदोलन था जो असंतोष और क्रांति के प्रति झुकाव को दिखाता था।

6. विदेशों से प्रेरणा

  • अमेरिकी क्रांति (1776): फ्रांस के लोग अमेरिकी क्रांति से प्रेरित हुए, जिसमें एक शाही शासन को पलटकर एक लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना की गई थी। अमेरिकी क्रांति ने फ्रांसीसी जनता को यह विश्वास दिलाया कि वे भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकते हैं।

निष्कर्ष

फ्रांसीसी क्रांति के कारणों में सामाजिक असमानता, आर्थिक संकट, निरंकुश शासन, बौद्धिक विचारधारा का प्रभाव, शहरी वर्ग का असंतोष और विदेशों से प्रेरणा प्रमुख थे। इन कारणों ने मिलकर एक ऐसी स्थिति उत्पन्न की, जिसमें जनता ने अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना शुरू किया और अंततः फ्रांसीसी क्रांति का रूप लिया।

फ्रांसीसी क्रांति का प्रारंभ (Outbreak of the French Revolution)

फ्रांसीसी क्रांति 1789 में एक ऐसी ऐतिहासिक घटना के रूप में फूटी, जिसने न केवल फ्रांस के राजनीतिक और सामाजिक ढांचे को बदल दिया, बल्कि समूचे यूरोप और पूरी दुनिया में एक गहरा प्रभाव डाला। इसके प्रारंभ के समय फ्रांस में कई गंभीर समस्याएँ एक साथ जटिल हो गई थीं, जिनकी वजह से जनता का असंतोष चरम पर पहुंच गया। आइए, जानें कि फ्रांसीसी क्रांति का प्रारंभ कैसे हुआ:

1. आर्थिक संकट और शाही वित्तीय अक्षमता

फ्रांस में 1780 के दशक तक एक गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो चुका था। इसके प्रमुख कारणों में युद्धों का खर्च, खराब कृषि उत्पादन और अत्यधिक करों का बोझ शामिल था:

  • युद्धों का खर्च: फ्रांस ने अमेरिकी स्वतंत्रता युद्ध (1775-1783) में भाग लिया, जिसका खर्च बहुत अधिक था। इसके साथ ही, फ्रांस के युद्धों के चलते सरकारी खजाना खाली हो गया और देश पर कर्ज का बोझ बढ़ने लगा।
  • कृषि संकट: 1780 के दशक में असामान्य मौसम और खराब फसलें हुईं, जिससे खाद्य संकट पैदा हुआ। रोटी की कीमतें बहुत बढ़ गईं और इसका सबसे अधिक प्रभाव गरीब वर्ग पर पड़ा। जनता के सामने अन्न के अभाव में जीवन यापन की कठिनाइयाँ थीं।
  • राज्य का कर्ज: फ्रांस की सरकार का कर्ज बहुत बढ़ चुका था और सरकार को इसे चुकाने के लिए और कर्ज लेने की आवश्यकता थी। इस स्थिति में राजा लुई XVI की नीतियाँ और वित्तीय निर्णय पूरी तरह से असफल रहे, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा।

2. सामाजिक असंतोष और तंत्र की असफलता

फ्रांस में समाज तीन प्रमुख वर्गों में बंटा था:

  • पहला वर्ग (धर्मगुरु): यह वर्ग चर्च के अधिकारियों से बना था, जिनके पास विशेष अधिकार और संपत्ति थी। यह वर्ग करों से मुक्त था।
  • दूसरा वर्ग (जमींदार): यह वर्ग जमींदारों से बना था, जो शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे और करों से मुक्त थे।
  • तीसरा वर्ग (सामान्य जनता): यह वर्ग फ्रांस की जनसंख्या का 98% था, जिसमें किसान, मजदूर, व्यापारी और शहरी वर्ग शामिल थे। इन्हें अत्यधिक करों और अन्य दबावों का सामना करना पड़ता था, जबकि पहले और दूसरे वर्ग को विशेषाधिकार प्राप्त थे।

तंत्र की असफलता ने इस वर्ग में गहरी असंतोष की भावना पैदा की। तीसरे वर्ग के लोग इन असमानताओं के खिलाफ थे और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने लगे थे।

3. बौद्धिक क्रांति और विचारधारात्मक बदलाव

18वीं शताब्दी में यूरोप में प्रकाशन युग (Enlightenment) का प्रभाव बढ़ा। इस समय के प्रमुख दार्शनिकों जैसे वोल्टेयर, रूसो, और मोंटेस्क्यू ने स्वतंत्रता, समानता, और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया। इन विचारों ने फ्रांसीसी जनता को जागरूक किया और यह महसूस कराया कि उन्हें अपने शाही शासन को चुनौती देने का अधिकार है।

रूसो का सामाजिक समझौता” और मोंटेस्क्यू का तीन अंगीय सत्ता” का सिद्धांत विशेष रूप से लोकप्रिय हुआ। इन विचारों ने फ्रांस के नागरिकों को यह विश्वास दिलाया कि वे भी अपने शासन में परिवर्तन ला सकते हैं।

4. “एस्टेट जनरलकी बैठक और तृतीय वर्ग का संघर्ष

जब राजा लुई XVI ने 1789 में फ्रांस के वित्तीय संकट को हल करने के लिए एस्टेट जनरल (Estates-General) की बैठक बुलाई, तो यह घटना क्रांति के प्रारंभ का महत्वपूर्ण बिंदु बन गई।

  • एस्टेट जनरल में तीन वर्गों (पहला, दूसरा, और तीसरा) का प्रतिनिधित्व था। हालांकि, तीसरे वर्ग के प्रतिनिधियों को अन्य दो वर्गों (धर्मगुरु और जमींदार) के मुकाबले कम महत्त्व दिया गया। जब तृतीय वर्ग ने अपनी आवाज उठाने की कोशिश की, तो उसे हाशिए पर डाल दिया गया।
  • इसके परिणामस्वरूप, तृतीय वर्ग ने नेशनल असेंबली (National Assembly) बनाने का निर्णय लिया और इसे संविधान सभा में बदलने की योजना बनाई। यह एक बड़ा राजनीतिक कदम था, जिससे उन्होंने अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए संघर्ष की शुरुआत की।

5. बास्टिल किले की घेराबंदी (14 जुलाई 1789)

14 जुलाई 1789 को पेरिस के लोग बास्टिल किले की घेराबंदी करने के लिए जुटे। यह किला पेरिस में शाही शासन के प्रतीक के रूप में जाना जाता था, और यहाँ राजनीतिक बंदी रखे जाते थे। बास्टिल किले पर हमला इस बात का प्रतीक था कि अब लोग शाही निरंकुशता के खिलाफ उठ खड़े हुए थे।

  • यह घटना फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत मानी जाती है, और हर साल 14 जुलाई को बास्टिल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

6. पेरिस में उथलपुथल और आंदोलन

बास्टिल किले की घेराबंदी के बाद, पेरिस और अन्य शहरों में व्यापक जन आंदोलन शुरू हुआ। लोग रोटी के अधिकार, भ्रष्टाचार के खिलाफ और अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतर आए। महिलाओं ने पेरिस से वर्साय (राजमहल) की ओर मार्च किया और रोटी की मांग की।

निष्कर्ष

फ्रांसीसी क्रांति का प्रारंभ फ्रांस के सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक असंतोष से हुआ था। आर्थिक संकट, असमान कर प्रणाली, शाही शासन की अक्षमता, और बौद्धिक विचारों का प्रभाव ने जनता को अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। 1789 में एस्टेट जनरल की बैठक और बास्टिल किले की घेराबंदी ने इस संघर्ष को निर्णायक मोड़ दिया और क्रांति की शुरुआत हुई, जिसने फ्रांस और विश्व के इतिहास को बदल दिया।

फ्रांसीसी क्रांति के बाद के प्रमुख घटनाएँ (Major Events after the French Revolution)

फ्रांसीसी क्रांति 1789 में शुरू हुई थी, और यह न केवल फ्रांस में बल्कि पूरे यूरोप और दुनिया में गहरे परिवर्तन लाने वाली एक ऐतिहासिक घटना थी। क्रांति के बाद फ्रांस में हुए कई प्रमुख घटनाओं ने समाज, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में परिवर्तन किए। आइए, जानते हैं इन प्रमुख घटनाओं के बारे में:

1. 1789: मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा

क्रांति के पहले चरण में, फ्रांस के क्रांतिकारी नेताओं ने मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा (Declaration of the Rights of Man and of the Citizen) 26 अगस्त 1789 को की। इस दस्तावेज में समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के सिद्धांतों की पुष्टि की गई और यह फ्रांस की नई सरकार के संविधान का आधार बना।

  • यह घोषणा फ्रांस और बाकी दुनिया में अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए एक आदर्श बन गई।

2. 1791: फ्रांसीसी संविधान और संवैधानिक मोनार्की का निर्माण

फ्रांसीसी क्रांति के दौरान 1791 में संविधान (Constitution of 1791) को अपनाया गया, जिसने फ्रांस को एक संवैधानिक मोनार्की में बदल दिया। इस संविधान के तहत, राजा लुई XVI के पास केवल सांविधानिक शक्ति रह गई थी, और राजनीतिक अधिकार नेशनल असेंबली (National Assembly) को दिए गए थे।

  • हालांकि, यह संविधान जल्दी ही असफल हो गया क्योंकि राजा लुई XVI और शाही परिवार ने संविधान का पालन करने से इनकार किया और उनका भागना, सरकार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की शुरुआत थी।

3. 1792-1793: गणराज्य की स्थापना और लुई XVI की हत्या

  • 1792 में, फ्रांसीसी क्रांतिकारी नेताओं ने राजतंत्र को समाप्त करके फ्रांसीसी गणराज्य (French Republic) की स्थापना की। उसी वर्ष, 21 जनवरी 1793 को राजा लुई XVI को देशद्रोह के आरोप में फांसी दे दी गई। उनकी हत्या ने एक नए युग की शुरुआत की, जिसमें फ्रांस ने अपने शाही अतीत को नकारा और गणराज्य की ओर कदम बढ़ाए।
  • लुई XVI की हत्या के बाद, फ्रांसीसी समाज में आंतरिक अस्थिरता और बाहरी युद्धों का सिलसिला बढ़ गया।

4. 1793-1794: आतंक का शासन (Reign of Terror)

1793 से 1794 तक, फ्रांसीसी क्रांति के दूसरे चरण में रोबेसपियर और जैकोबिन पार्टी ने आतंक का शासन” (Reign of Terror) स्थापित किया। इस अवधि में, क्रांतिकारी सरकार ने विरोधियों और “रॉयलिस्ट्स” (राजशाही समर्थकों) के खिलाफ कठोर कदम उठाए।

  • मैक्सिमिलियन रोबेसपियर के नेतृत्व में, क्रांतिकारी सरकार ने गिलोटिन का इस्तेमाल कर हजारों लोगों को फांसी दी। इस अवधि में जैकोबिन्स ने अपनी सत्ता का विस्तार किया और सभी प्रकार के विरोध को समाप्त किया।
  • आतंक का शासन 1794 में रोबेसपियर की गिरावट और हत्या के साथ समाप्त हुआ।

5. 1795: डायरेक्टरी का गठन

1795 में, फ्रांस में एक नया संविधानी ढांचा तैयार किया गया और डायरेक्टरी (Directory) नामक पांच सदस्यीय कार्यकारी सरकार का गठन हुआ। इसने निदान के बाद एक अधिक स्थिर शासन की कोशिश की, लेकिन यह भ्रष्टाचार और अस्थिरता से प्रभावित रहा। डायरेक्टरी का शासन 1799 में समाप्त हुआ।

6. 1799: नेपोलियन बोनापार्ट का उत्थान

1799 में, नेपोलियन बोनापार्ट ने एक सैन्य तख्तापलट (Coup d’État) के द्वारा फ्रांस में कंसुलर सरकार स्थापित की। इस घटना को 18 ब्रूमेयर के तख्तापलट के नाम से जाना जाता है।

  • नेपोलियन ने खुद को फ्रांस का पहले कौंसुल (First Consul) घोषित किया, और धीरे-धीरे अपनी शक्ति को और बढ़ाया। इसने फ्रांस में एक नया और स्थिर शासन स्थापित किया और क्रांतिकारी सरकार को समाप्त कर दिया।

7. 1804: नेपोलियन का सम्राट के रूप में आत्मताज पहनाना

नेपोलियन ने 1804 में नेपोलियन I के रूप में फ्रांस के सम्राट का ताज पहना। इसने फ्रांस में गणराज्य को समाप्त कर दिया और सम्राट के रूप में अपनी शक्ति को स्थायित्व प्रदान किया। नेपोलियन का शासन फ्रांस और यूरोप में क्रांति के प्रभावों को जारी रखने वाला था, लेकिन इसके साथ ही उसने कई युद्धों में भाग लिया।

8. 1805-1815: नेपोलियन युद्ध

नेपोलियन ने यूरोप में कई देशों के साथ युद्ध किए, जिन्हें नेपोलियन युद्ध (Napoleonic Wars) कहा जाता है। इन युद्धों ने यूरोपीय शक्ति संतुलन को बदल दिया और कई देशों में राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन लाए।

  • वाटरलू की लड़ाई (1815) में नेपोलियन की हार के बाद, उसे सत्ता से हटा दिया गया और उसने सेंट हेलेना द्वीप में निर्वासन को स्वीकार किया।

9. 1815: कांग्रेस ऑफ़ विइना और यूरोप में पुनः सत्ता संतुलन

नेपोलियन के पतन के बाद, 1815 में कांग्रेस ऑफ़ विइना (Congress of Vienna) का आयोजन हुआ, जिसमें यूरोपीय शक्तियों ने अपने पुराने शासन को फिर से स्थापित किया। फ्रांस को अपनी पुरानी सीमाओं में लौटा दिया गया और राजशाही पुनर्स्थापित हुई।

निष्कर्ष

फ्रांसीसी क्रांति ने यूरोप और दुनिया को एक नई दिशा दी, लेकिन इसके बाद कई ऐसे घटनाक्रम हुए, जिन्होंने फ्रांस की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को बार-बार बदला। नेपोलियन के शासन ने क्रांति के विचारों को यूरोप में फैलाया, लेकिन अंततः फ्रांस में एक निरंकुश शासन की वापसी हो गई। फिर भी, फ्रांसीसी क्रांति ने लोकतंत्र, समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को विश्वभर में फैलाया, जो आज भी वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण हैं।

फ्रांसीसी क्रांति के प्रभाव (Impacts of the French Revolution)

फ्रांसीसी क्रांति ने न केवल फ्रांस बल्कि पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव डाला। इस क्रांति ने समाज, राजनीति, और अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव किए, और नए विचारों को जन्म दिया। आइए, जानते हैं फ्रांसीसी क्रांति के कुछ प्रमुख प्रभावों के बारे में:

1. लोकतंत्र और गणराज्य का उदय

फ्रांसीसी क्रांति ने राजतंत्र को समाप्त कर दिया और गणराज्य (Republic) की स्थापना की। लुई XVI की हत्या और फ्रांस के शाही शासन के पतन ने यह सिद्ध कर दिया कि एक राष्ट्र के नागरिकों को अपनी राजनीतिक व्यवस्था चुनने का अधिकार है। यह लोकतांत्रिक विचारधारा का एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने दुनिया भर के देशों में लोकतंत्र की अवधारणा को फैलाया।

  • फ्रांसीसी क्रांति ने लोकतंत्र, समता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को विश्वभर में लोकप्रिय किया।

2. मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा

फ्रांसीसी क्रांति के दौरान, 1789 में मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा (Declaration of the Rights of Man and of the Citizen) की गई, जो आज भी मानवाधिकारों के आधार के रूप में मानी जाती है। इस दस्तावेज़ में समाज के सभी नागरिकों को समान अधिकारों, स्वतंत्रता, और न्याय की गारंटी दी गई।

  • यह घोषणा फ्रांस और अन्य देशों में मानवाधिकारों के संरक्षण और नागरिक स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा स्रोत बनी।

3. सामाजिक ढांचे में बदलाव

फ्रांसीसी क्रांति ने पुराने सामंती समाज को नकार दिया, जिसमें समाज तीन वर्गों में बंटा था: राजा और धर्मगुरु (पहला वर्ग), जमींदार (दूसरा वर्ग) और आम लोग (तीसरा वर्ग)। क्रांति के बाद, सामंती व्यवस्था समाप्त हो गई और समानता का सिद्धांत स्थापित हुआ।

  • क्रांति के बाद, समाज में समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व के सिद्धांतों पर जोर दिया गया।

4. राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद का उदय

फ्रांसीसी क्रांति ने राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद (Nationalism) की भावना को जन्म दिया। क्रांति के दौरान, फ्रांसीसी नागरिकों ने “स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व” के आदर्शों को अपनाया और अपने देश के प्रति गर्व और एकता की भावना विकसित की।

  • इसने यूरोप के अन्य देशों में भी राष्ट्रवाद के विचारों को फैलाया, जिसके परिणामस्वरूप नेपोलियन युद्ध और अन्य देशों में क्रांतिकारी आंदोलनों का जन्म हुआ।

5. धर्म और राज्य के बीच विभाजन

फ्रांसीसी क्रांति ने धर्म और राज्य के बीच के रिश्ते को बदल दिया। क्रांतिकारियों ने चर्च की शक्ति को कम किया और राज्य को धर्म से अलग किया। यह चर्च और राज्य के पृथक्करण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

  • 1790 में, चर्च की संपत्ति को राष्ट्रीयकरण किया गया और धर्मगुरुओं को राज्य के नियंत्रण में लाया गया।

6. नेपोलियन का उदय और यूरोप में बदलाव

फ्रांसीसी क्रांति के बाद, नेपोलियन बोनापार्ट का उदय हुआ, जिसने फ्रांसीसी क्रांति के विचारों को यूरोप में फैलाया। नेपोलियन ने नेपोलियन कोड (Napoleonic Code) की स्थापना की, जो कानूनी समानता और नागरिक अधिकारों की रक्षा करता था।

  • नेपोलियन ने यूरोप में कई युद्ध लड़े, जो यूरोपीय देशों की राजनीतिक और सामाजिक संरचनाओं को बदलने के लिए उत्तरदायी थे।

7. क्रांति के विचारों का वैश्विक प्रसार

फ्रांसीसी क्रांति के विचारों ने वैश्विक स्तर पर एक परिवर्तन की लहर शुरू की। यूरोप में कई देशों में लोकतंत्र, समानता, और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष तेज हुआ।

  • लैटिन अमेरिकी देशों में स्वतंत्रता संग्राम और संविधान की स्थापना में फ्रांसीसी क्रांति के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।

8. महिलाओं का अधिकार और भूमिका

फ्रांसीसी क्रांति के दौरान, महिलाओं ने अपनी भूमिका को पहचानने और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का प्रयास किया। ऑलंपे डे गौज और अन्य महिलाओं ने महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, हालांकि तत्कालीन समाज में उनका संघर्ष सफलता की ओर नहीं बढ़ पाया।

  • फिर भी, फ्रांसीसी क्रांति ने महिला अधिकारों की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जो भविष्य में महिलाओं के समान अधिकारों के संघर्ष की नींव साबित हुआ।

9. आर्थिक और सामाजिक सुधार

फ्रांसीसी क्रांति ने समाज के आर्थिक और सामाजिक ढांचे में भी बदलाव किए। क्रांति ने भूमि सुधार, कर प्रणाली और अन्य आर्थिक सुधारों को प्राथमिकता दी। हालांकि, इन सुधारों का लंबा असर नहीं हुआ, लेकिन क्रांति ने सामाजिक न्याय के विचारों को पुष्ट किया।

10. क्रांति का प्रभाव यूरोप और दुनिया पर

फ्रांसीसी क्रांति का यूरोप और पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने क्रांतिकारी विचारों को जन्म दिया और सामंती व्यवस्था को चुनौती दी। क्रांतिकारी आंदोलनों और युद्धों के कारण यूरोप के कई देशों में लोकतांत्रिक परिवर्तन हुए।

  • यूरोप और लैटिन अमेरिका के देशों में फ्रांसीसी क्रांति के प्रभाव से स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुए।

निष्कर्ष

फ्रांसीसी क्रांति ने समाज, राजनीति, और आर्थिक व्यवस्था में व्यापक बदलाव किए। इसके प्रभाव से फ्रांस में लोकतंत्र, मानवाधिकार, और समानता के सिद्धांतों को मजबूत किया गया। इसने दुनिया भर में राष्ट्रीयता, राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता के संघर्ष को प्रेरित किया। फ्रांसीसी क्रांति का प्रभाव आज भी वैश्विक राजनीति और समाज में महसूस किया जाता है।

फ्रांसीसी क्रांति और अमेरिकी क्रांति में क्या अंतर था?

अमेरिकी क्रांति फ्रांसीसी क्रांति
ब्रिटेन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम फ्रांस के राजा के खिलाफ विद्रोह
1775-1783 1789-1799
लोकतंत्र की स्थापना लोकतंत्र और सामाजिक बदलाव
कम हिंसा बहुत अधिक हिंसा (Reign of Terror)

प्रश्न 1: यह समझाइए कि आधुनिक दुनिया की नींव अमेरिकी और फ्रांसीसी क्रांतियों द्वारा कैसे रखी गई। (UPSC मेन्स परीक्षा 2019)

FAQ

1. फ्रांसीसी क्रांति क्या थी?

2. फ्रांसीसी क्रांति कब और कहाँ हुई?

यह क्रांति 1789 में फ्रांस में शुरू हुई और 1799 तक चली।

3. फ्रांसीसी क्रांति के बाद फ्रांस में कौन सत्ता में आया?

नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) ने 1799 में सत्ता संभाली और 1804 में सम्राट बन गए।

4. क्या फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं की भूमिका थी?

हाँ, महिलाओं ने रोटी दंगों (Women's March on Versailles) में हिस्सा लिया, और ओलंप डी गूग्स ने महिलाओं के अधिकारों की घोषणा की। हालांकि, उन्हें समान अधिकार तुरंत नहीं मिले।

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