Home rule movement in hindi
होम रूल मूवमेंट (Home Rule Movement) के कारण
पृष्ठभूमि
होम रूल मूवमेंट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जो ब्रिटिश साम्राज्य से भारत की स्वशासन की मांग को लेकर उठाया गया था। यह आंदोलन भारतीयों के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ जागरूकता और संघर्ष की भावना को प्रबल करने के उद्देश्य से शुरू हुआ था। इस आंदोलन ने भारतीयों को अपनी राजनीतिक अधिकारों की पहचान कराई और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महत्व को बढ़ाया।
होम रूल मूवमेंट के कारण
- ब्रिटिश शासन के अत्याचार: ब्रिटिश सरकार ने भारत में अपनी नीतियों के माध्यम से भारतीयों का शोषण किया। भारतीयों पर उच्च कर, खराब प्रशासन और आर्थिक शोषण ने लोगों में असंतोष और आक्रोश पैदा किया।
- पहली बार असहमति का स्वरूप: भारतीय जनता में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहमति की भावना प्रबल हो रही थी, और इस असहमति को संगठित रूप से आवाज देने की आवश्यकता महसूस की गई।
- लोकतांत्रिक विचारधाराओं का प्रभाव: यूरोप और अमेरिका में लोकतांत्रिक और स्वतंत्रता की विचारधाराएं तेजी से फैल रही थीं, जिन्होंने भारतीयों में स्वशासन की इच्छा को जागृत किया।
- स्वराज की आवश्यकता: भारतीय नेताओं ने यह महसूस किया कि भारत को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने के लिए उसे स्वशासन प्राप्त होना चाहिए। इसके लिए ब्रिटिश सरकार से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।
- राष्ट्रीयता का उदय: भारतीय समाज में राष्ट्रीय भावना का उदय हुआ था, और भारतीयों में यह समझ विकसित हुई थी कि वे अपने देश का भविष्य तय करने के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं।
दो होम रूल लीग (Two Home Rule Leagues)
होम रूल मूवमेंट में दो प्रमुख लीग्स का गठन हुआ था, जिनके माध्यम से भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और स्वशासन की मांग की।
1. बाल गंगाधर तिलक की होम रूल लीग
- स्थापना: बाल गंगाधर तिलक ने 1916 में पुणे में होम रूल लीग की स्थापना की।
- उद्देश्य: तिलक का उद्देश्य था कि भारतीयों को अपने राजनीतिक अधिकारों का एहसास कराना और ब्रिटिश शासन से स्वशासन प्राप्त करना। उन्होंने स्वराज को अपने आंदोलन का प्रमुख लक्ष्य बनाया।
- कार्यशैली: तिलक की लीग ने जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए स्थानीय स्तर पर बैठकें आयोजित कीं और जनता को ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रेरित किया। तिलक ने इस लीग के माध्यम से भारतीयों में आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय एकता की भावना जागृत की।
- प्रभाव: इस लीग के गठन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नया मोड़ आया। तिलक ने अपने आंदोलन के माध्यम से भारतीय राजनीति में एक नया आदर्श प्रस्तुत किया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध की एक नई दिशा दी।
2. एनी बेसेंट की होम रूल लीग
- स्थापना: एनी बेसेंट ने 1916 में मद्रास (अब चेन्नई) में अपनी होम रूल लीग की स्थापना की।
- उद्देश्य: एनी बेसेंट का उद्देश्य था कि भारतीयों को अपने राजनीतिक अधिकारों के लिए संगठित किया जाए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक मजबूत आंदोलन चलाया जाए।
- कार्यशैली: एनी बेसेंट ने अपनी लीग के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को भी आंदोलन में शामिल किया और भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों को जागरूक करने के लिए पत्रिकाओं और समाचार पत्रों का भी उपयोग किया।
- प्रभाव: एनी बेसेंट की लीग ने भारतीय राजनीति में एक नया उत्साह पैदा किया और कई प्रमुख नेताओं को इस आंदोलन से प्रेरित किया। एनी बेसेंट ने भारतीयों को यह बताया कि स्वशासन की दिशा में एकजुट होकर काम करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
होम रूल मूवमेंट ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों को संगठित किया। बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट द्वारा स्थापित दो होम रूल लीग्स ने भारतीय राष्ट्रीयता की भावना को प्रबल किया और भारतीय जनता को स्वराज की आवश्यकता का अहसास दिलाया। इन आंदोलनों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय राजनीति में एक नए बदलाव की शुरुआत की।
होम रूल मूवमेंट का परिचय (Overview)
होम रूल मूवमेंट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था, जिसका उद्देश्य भारत में स्वशासन प्राप्त करना था। यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ था और भारतीयों की राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग को लेकर उठाया गया था। इस आंदोलन की प्रमुख रूप से बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने अगुवाई की। इस आंदोलन के माध्यम से भारतीय जनता को यह अहसास दिलाया गया कि उन्हें अपनी राजनीतिक स्थिति के बारे में खुद फैसला करने का अधिकार है। होम रूल आंदोलन ने भारतीय राजनीति में स्वराज की मांग को महत्वपूर्ण रूप से प्रस्तुत किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व को और सशक्त किया।
आंदोलन की आवश्यकता
ब्रिटिश सरकार के प्रशासन के तहत भारतीयों की स्थिति में सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। भारतीयों को राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया था और उनका शोषण किया जा रहा था। इस परिस्थिति को बदलने के लिए एक संगठित और व्यापक आंदोलन की आवश्यकता महसूस की गई। होम रूल मूवमेंट ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।
आंदोलन का उद्देश्य
इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था भारत को स्वशासन दिलवाना, यानी ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करना, ताकि भारतीय अपने आंतरिक मामलों में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकें।
होम रूल मूवमेंट के कार्यक्रम (Programmes of the Home Rule Movement)
होम रूल मूवमेंट के तहत कई प्रमुख कार्यक्रमों और क्रियाओं का आयोजन किया गया था, जिनका उद्देश्य भारतीयों को संगठित करना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना था। इनमें प्रमुख थे:
1. जागरूकता फैलाना
- लोक जागरूकता: होम रूल लीग के नेताओं ने भारतीय जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए जनसभाएँ आयोजित कीं। इस दौरान लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रेरित किया गया।
- पत्रिकाओं और समाचार पत्रों का उपयोग: तिलक और एनी बेसेंट ने अपने समाचार पत्रों का इस्तेमाल किया, जैसे कि ‘केसरी‘ और ‘न्यू इंडिया‘, ताकि वे भारतीयों को राजनीतिक विचारधाराओं और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध के तरीकों से परिचित कर सकें।
2. स्वदेशी वस्त्रों का प्रचलन
- होम रूल मूवमेंट में ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार किया गया और भारतीयों को स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। यह कार्यक्रम भारतीयों में आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा देने के लिए था।
3. क़ानूनी विरोध और ब्रिटिश प्रशासन से असहयोग
- होम रूल आंदोलन ने ब्रिटिश प्रशासन से असहयोग करने का आह्वान किया। भारतीयों से कहा गया कि वे सरकारी दफ्तरों में काम न करें, और ब्रिटिश अधिकारियों के साथ सहयोग न करें।
- न्यायपालिका का विरोध: ब्रिटिश अदालतों में भारतीयों को न्याय नहीं मिलता था, इसलिए इन अदालतों का बहिष्कार करने का आह्वान भी किया गया।
4. सार्वजनिक प्रदर्शनों और विरोधों का आयोजन
- इस आंदोलन के दौरान भारतीयों ने विभिन्न शहरों और गांवों में सार्वजनिक प्रदर्शन और विरोध आयोजित किए। इन प्रदर्शनों में भारतीयों ने अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग की और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।
- सत्याग्रह और अहिंसक आंदोलन: तिलक और एनी बेसेंट ने अहिंसक तरीकों से ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करने की योजना बनाई।
5. कांग्रेस का पुनर्गठन
- होम रूल मूवमेंट ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अंदर स्वराज और स्वशासन की विचारधारा को मजबूत किया। इस आंदोलन के कारण कांग्रेस को नए सिरे से संगठित किया गया और कांग्रेस के नेता अधिक सक्रिय हुए।
- तिलक और एनी बेसेंट ने कांग्रेस को अधिक प्रांतीय और व्यापक स्तर पर काम करने के लिए प्रेरित किया।
6. महिलाओं और युवाओं को शामिल करना
- इस आंदोलन में महिलाओं और युवाओं को भी शामिल किया गया। एनी बेसेंट ने महिलाओं को जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास किए और उन्हें आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
- तिलक ने भारतीयों के बीच राष्ट्रीयता की भावना को प्रबल करने के लिए बच्चों और युवाओं के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया।
निष्कर्ष
होम रूल मूवमेंट ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और भारतीयों में स्वराज की भावना को प्रबल किया। इस आंदोलन ने भारतीय जनता को राजनीतिक जागरूकता और राष्ट्रीयता की शिक्षा दी, जिससे उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया। इस आंदोलन ने भारतीयों को यह समझने में मदद की कि स्वशासन केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि उनके आत्मनिर्भरता और भविष्य का हिस्सा है। बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट के नेतृत्व में इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई गति दी और स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए।
होम रूल मूवमेंट के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया (Government’s Response Towards Home Rule Movement)
होम रूल मूवमेंट, जो भारतीय राष्ट्रीयता और स्वशासन की मांग का प्रमुख हिस्सा था, ब्रिटिश सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया था। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने कई कदम उठाए:
- नजरबंदी और गिरफ्तारी:
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- ब्रिटिश सरकार ने तिलक और एनी बेसेंट जैसे प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार करने की योजना बनाई। तिलक को 1908 में ‘दस्सुंदरी‘ के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जबकि एनी बेसेंट को उनकी गतिविधियों के कारण सरकारी दबाव का सामना करना पड़ा।
- संविधान में संशोधन:
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- ब्रिटिश सरकार ने मॉन्टेग्यू–चेम्सफोर्ड सुधारों (1919) के माध्यम से भारतीयों को कुछ हद तक स्वशासन देने का प्रस्ताव किया, हालांकि यह बहुत सीमित था और स्वराज की भारतीयों की आकांक्षाओं से बहुत दूर था।
- विरोध और दमन:
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- सरकार ने होम रूल लीग और उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन आंदोलन में जनता की सक्रिय भागीदारी के कारण ब्रिटिश सरकार को अत्यधिक दबाव महसूस हुआ।
- गोपनीय प्रचार और प्रचार अभियान:
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- सरकार ने भारतीय नेताओं की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी और आंदोलन के बारे में नकारात्मक प्रचार फैलाने के लिए अपनी प्रचार प्रणाली का उपयोग किया।
होम रूल मूवमेंट का महत्व (Significance of the Home Rule Movement)
होम रूल मूवमेंट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसके प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं:
- स्वराज की भावना का प्रसार:
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- होम रूल मूवमेंट ने भारतीयों में स्वराज (स्वशासन) की आवश्यकता को जागरूक किया और इसे एक केंद्रीय विचारधारा के रूप में स्थापित किया। इससे भारतीय जनता को यह विश्वास हुआ कि वे अपने राजनीतिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय एकता:
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- इस आंदोलन ने पूरे देश में भारतीयों को एकजुट किया। तिलक और एनी बेसेंट के नेतृत्व में विभिन्न जातियों, धर्मों और क्षेत्रों के लोग एक साथ आए और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सशक्तीकरण:
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- होम रूल मूवमेंट के प्रभाव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को फिर से संगठित किया गया और कांग्रेस ने अपनी राजनीति में स्वराज को प्रमुख मुद्दा बनाया।
- महिला सशक्तिकरण:
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- एनी बेसेंट जैसे नेताओं ने महिलाओं को भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया, जिससे महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए गए।
- सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता:
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- इस आंदोलन ने भारतीयों के बीच राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता का स्तर बढ़ाया और जनता को यह सिखाया कि वे अपनी राजनीतिक स्थिति को सुधारने के लिए संगठित हो सकते हैं।
होम रूल मूवमेंट की विफलताएँ (Failures of the Home Rule Movement)
होम रूल मूवमेंट ने भले ही महत्वपूर्ण योगदान दिया हो, लेकिन यह कुछ कारणों से पूरी तरह सफल नहीं हो सका:
- स्वतंत्रता का सीमित दृष्टिकोण:
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- होम रूल मूवमेंट का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के तहत स्वशासन प्राप्त करना था, जबकि भारतीय जनता पूरी तरह से स्वतंत्रता की मांग कर रही थी। यह आंदोलन केवल स्वराज की बात करता था, जो भारतीयों के व्यापक लक्ष्य से मेल नहीं खाता था।
- सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ:
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- इस आंदोलन में भारतीय समाज के हर वर्ग को समान रूप से शामिल नहीं किया गया था। विशेष रूप से गरीब किसानों और मजदूरों को इस आंदोलन से अधिक जुड़ाव नहीं हो सका, जिससे आंदोलन की व्यापकता में कमी आई।
- ब्रिटिश सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया:
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- ब्रिटिश सरकार ने होम रूल आंदोलन के प्रति कठोर दमनात्मक कदम उठाए, जिससे आंदोलन को व्यापक रूप से दबाया गया। इसके परिणामस्वरूप कुछ नेताओं को जेल में डाल दिया गया और आंदोलन का प्रभाव कमजोर पड़ा।
- नेताओं के बीच मतभेद:
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- आंदोलन के नेताओं के बीच रणनीतियों को लेकर मतभेद थे। तिलक और एनी बेसेंट के बीच कुछ बुनियादी विचारधाराओं में अंतर था, जो आंदोलन की एकता और गति को प्रभावित करते थे।
- संघर्ष का अहिंसक तरीका:
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- होम रूल आंदोलन का आधार अहिंसा था, लेकिन यह ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक सशक्त विरोध आंदोलन का रूप नहीं ले पाया। यह आंदोलन एक निर्णायक युद्ध का रूप नहीं ले सका, जिससे इसका प्रभाव सीमित हो गया।
निष्कर्ष
होम रूल मूवमेंट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसने भारतीयों में स्वराज की भावना को मजबूत किया। हालांकि इस आंदोलन में कुछ विफलताएँ भी थीं, लेकिन इसका इतिहास में गहरा प्रभाव पड़ा। इसने भारतीय राजनीति में एक नया उत्साह पैदा किया और स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।
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