Indian Judiciary in hindi

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Indian Judiciary in hindi

भारतीय न्यायपालिका (Indian Judiciary) 

परिचय

भारतीय न्यायपालिका संविधान द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और निष्कलंक संस्थान है, जिसका उद्देश्य कानून और न्याय की रक्षा करना है

📌 संविधान में न्यायपालिका का उल्लेख:

  • अनुच्छेद 124-147 – सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)
  • अनुच्छेद 214-231 – उच्च न्यायालय (High Court)
  • अनुच्छेद 233-237 – अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)

भारतीय न्यायपालिका की विशेषता यह है कि यह स्वतंत्र (Independent), एकीकृत (Integrated), और शक्तिशाली (Powerful) है।

भारतीय न्यायपालिका की संरचना (Structure of Indian Judiciary)

📌 भारतीय न्यायपालिका त्रिस्तरीय (Three-tier) प्रणाली पर आधारित है:

1️⃣ सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) – अनुच्छेद 124-147
2️⃣ उच्च न्यायालय (High Courts) – अनुच्छेद 214-231
3️⃣ अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) – अनुच्छेद 233-237

यह संरचना “एकीकृत न्यायपालिका प्रणाली” बनाती है, जहाँ सभी न्यायालय संविधान के तहत कार्य करते हैं।

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) – भारत का शीर्ष न्यायालय

📌 सर्वोच्च न्यायालय भारत की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है और इसे “संविधान का संरक्षक” कहा जाता है।

संरचना और नियुक्ति

  • अनुच्छेद 124 – सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना।
  • मुख्य न्यायाधीश (CJI) सहित अधिकतम 34 न्यायाधीश हो सकते हैं।
  • नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (CJI की नियुक्ति वरिष्ठतम न्यायाधीशों के परामर्श से)।

सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ और कार्य
1️⃣ मूल अधिकारिता (Original Jurisdiction) – अनुच्छेद 131

  • केंद्र और राज्यों के बीच विवादों का समाधान।
  • राज्यों के बीच विवादों का निपटारा।

2️⃣ अपील अधिकारिता (Appellate Jurisdiction) – अनुच्छेद 132-134

  • उच्च न्यायालय के निर्णयों के खिलाफ अपील सुनना।
  • संविधान, नागरिक, और आपराधिक मामलों की अपीलें।

3️⃣ परामर्श अधिकारिता (Advisory Jurisdiction) – अनुच्छेद 143

  • राष्ट्रपति की सलाह पर कानूनी मामलों में राय देना।

4️⃣ संवैधानिक संरक्षण और न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) – अनुच्छेद 32, 226

  • असंवैधानिक कानूनों को रद्द करने की शक्ति।
  • मौलिक अधिकारों की रक्षा।

अन्य विशेष शक्तियाँ:

  • रिट जारी करने की शक्ति (अनुच्छेद 32)
  • राष्ट्रपति को कानूनी सलाह देना (अनुच्छेद 143)
  • संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करना।

📌 महत्वपूर्ण तथ्य:
👉 बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)”, “प्रतिषेध (Prohibition)”, “उल्लेख (Certiorari)” आदि रिट जारी कर सकता है।
👉 केशवानंद भारती केस (1973)” में सर्वोच्च न्यायालय ने “मूल संरचना सिद्धांत (Basic Structure Doctrine)” दिया।

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उच्च न्यायालय (High Courts) – राज्य स्तर पर सर्वोच्च न्यायालय

📌 संविधान में उच्च न्यायालय का प्रावधान “अनुच्छेद 214-231″ में किया गया है।

संरचना और नियुक्ति

  • प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होता है (कुछ राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय)।
  • न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश होते हैं।

उच्च न्यायालय की शक्तियाँ और कार्य
1️⃣ मूल अधिकारिता (Original Jurisdiction)

  • राज्य के संविधानिक मामलों की सुनवाई।
  • विवाह, संपत्ति और उत्तराधिकार के मामले।

2️⃣ अपील अधिकारिता (Appellate Jurisdiction)

  • अधीनस्थ न्यायालयों के फैसलों पर पुनर्विचार।

3️⃣ न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review)

  • राज्य के कानूनों की वैधता की समीक्षा।

4️⃣ रिट जारी करने की शक्ति (अनुच्छेद 226)

  • मौलिक अधिकारों की सुरक्षा।

📌 महत्वपूर्ण तथ्य:
👉 सबसे पुराना उच्च न्यायालय कलकत्ता उच्च न्यायालय (1862)
👉 अधिकतम न्यायालयों का क्षेत्राधिकार गुवाहाटी उच्च न्यायालय (असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर आदि पर)।

अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) – निचली अदालतें

📌 संविधान में अधीनस्थ न्यायालयों का उल्लेख “अनुच्छेद 233-237″ में किया गया है।

प्रकार:
1️⃣ सिविल न्यायालय (Civil Courts) – दीवानी मामले (संपत्ति, अनुबंध विवाद, विवाह, उत्तराधिकार)।
2️⃣ अपराध न्यायालय (Criminal Courts) – आपराधिक मामले (हत्या, चोरी, बलात्कार, घोटाले)।
3️⃣ राजस्व न्यायालय (Revenue Courts) – भूमि और कृषि से जुड़े मामले।
4️⃣ विशेष न्यायालय (Special Courts) – CBI कोर्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट, उपभोक्ता कोर्ट आदि।

अधीनस्थ न्यायालयों की निगरानी

  • उच्च न्यायालय इन अदालतों की निगरानी करता है।
  • न्यायिक सेवा आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग इनकी भर्ती करता है।

📌 महत्वपूर्ण तथ्य:
👉 लोक अदालतें (People’s Courts) त्वरित न्याय दिलाने के लिए बनाई गई हैं।
👉 फास्ट ट्रैक कोर्ट” को लंबित मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए स्थापित किया गया है।

भारतीय न्यायपालिका की विशेषताएँ (Features of Indian Judiciary)

एकीकृत न्यायपालिका (Integrated Judiciary) – एक ही न्याय प्रणाली पूरे देश में लागू होती है।
स्वतंत्र न्यायपालिका (Independent Judiciary) – सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त।
न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) – असंवैधानिक कानूनों को निरस्त करने की शक्ति।
निष्पक्ष न्याय प्रणाली (Impartial Justice System) – सभी नागरिकों के लिए समान।
लोक अदालतें (People’s Courts) और फास्ट ट्रैक कोर्ट शीघ्र न्याय के लिए।

📌 महत्वपूर्ण निर्णय:
👉 गोलकनाथ केस (1967)” – संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती।
👉 केशवानंद भारती केस (1973)” – “मूल संरचना सिद्धांत” दिया।
👉 मिनर्वा मिल्स केस (1980)” – न्यायिक पुनरावलोकन की पुष्टि।

 निष्कर्ष

📌 भारतीय न्यायपालिका देश की न्यायिक स्वतंत्रता, निष्पक्षता और लोकतंत्र की रीढ़ है।
📌 यह आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है और विधायिका व कार्यपालिका के अवैध कार्यों पर नियंत्रण रखता है।
📌 UPSC दृष्टिकोण से “न्यायिक पुनरावलोकन”, “न्यायपालिका की स्वतंत्रता” और “महत्वपूर्ण निर्णय” अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

 UPSC में संभावित प्रश्न:

1️⃣ भारतीय न्यायपालिका की संरचना और कार्यों की व्याख्या करें।”
2️⃣ न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) की अवधारणा और महत्त्व पर चर्चा करें।”
3️⃣ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के बीच शक्तियों की तुलना करें।” 🚀

FAQ

1. भारतीय न्यायपालिका क्या है?

भारतीय न्यायपालिका (Indian Judiciary) भारत का न्यायिक तंत्र है, जो संविधान और कानूनों की व्याख्या करता है तथा न्याय प्रदान करता है। यह स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करता है और कार्यपालिका एवं विधायिका से अलग है।

2. भारतीय न्यायपालिका की विशेषताएँ क्या हैं?

  1. स्वतंत्रता (Independence) – किसी भी सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त।

  2. एकीकृत न्यायपालिका (Integrated Judiciary) – सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला न्यायालय तक एक ही प्रणाली।

  3. न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) – असंवैधानिक कानूनों को रद्द करने की शक्ति।

  4. अभिलेख न्यायालय (Court of Record) – सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्णय प्रमाण होते हैं।

  5. विभिन्न स्तरों पर अदालतें (Hierarchy of Courts) – सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालय।


3. भारतीय न्यायपालिका के कितने स्तर होते हैं?

भारतीय न्यायपालिका तीन स्तरों में विभाजित है:

  1. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) – देश का सबसे ऊँचा न्यायालय।

  2. उच्च न्यायालय (High Court) – राज्यों का सर्वोच्च न्यायालय।

  3. निचली अदालतें (Subordinate Courts) – जिला एवं सत्र न्यायालय, मजिस्ट्रेट कोर्ट।


सुप्रीम कोर्ट से जुड़े प्रश्न

4. भारत में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) कब स्थापित हुआ?

  • भारतीय सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 26 जनवरी 1950 को हुई थी।

5. सुप्रीम कोर्ट में कुल कितने न्यायाधीश होते हैं?

  • वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) सहित 34 न्यायाधीश होते हैं।

6. मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति कौन करता है?

  • राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करता है।

7. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश का कार्यकाल कितना होता है?

  • न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक पद पर रहता है।

8. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य कार्य क्या हैं?

  1. संविधान की व्याख्या करना।

  2. संवैधानिक वैधता की समीक्षा (Judicial Review)।

  3. राष्ट्रपति को सलाह देना।

  4. मौलिक अधिकारों की रक्षा करना।

  5. राज्य सरकारों और केंद्र के बीच विवादों को सुलझाना।


उच्च न्यायालय से जुड़े प्रश्न

9. भारत में पहला उच्च न्यायालय कब और कहाँ स्थापित हुआ?

  • पहला उच्च न्यायालय 1862 में कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में स्थापित किया गया था।

10. भारत में कुल कितने उच्च न्यायालय (High Courts) हैं?

  • वर्तमान में 25 उच्च न्यायालय हैं।

11. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का कार्यकाल कितना होता है?

  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक पद पर रहते हैं।

12. उच्च न्यायालय की शक्तियाँ क्या हैं?

  1. संवैधानिक शक्तियाँ – मौलिक अधिकारों की सुरक्षा।

  2. मूल अधिकार रिट (Writs) जारी करना।

  3. न्यायिक समीक्षा (Judicial Review)।

  4. निचली अदालतों की निगरानी।


निचली अदालतों से जुड़े प्रश्न

13. निचली अदालतों के प्रकार कौन-कौन से हैं?

  1. जिला एवं सत्र न्यायालय – सिविल और आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है।

  2. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) कोर्ट – छोटे अपराधों की सुनवाई करता है।

  3. न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate) कोर्ट – पुलिस मामलों की सुनवाई करता है।

  4. फैमिली कोर्ट (Family Court) – विवाह, तलाक और पारिवारिक विवादों का निपटारा करता है।

14. जिला न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?

  • राज्य का गवर्नर, हाई कोर्ट की सिफारिश पर जिला न्यायाधीश की नियुक्ति करता है।


महत्वपूर्ण न्यायिक शक्तियाँ

15. न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) क्या है?

  • न्यायपालिका के पास यह शक्ति होती है कि वह संविधान के खिलाफ बनाए गए किसी भी कानून या सरकारी आदेश को रद्द कर सकती है

16. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को कौन-कौन सी रिट जारी करने का अधिकार है?

संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत, ये न्यायालय पाँच प्रकार की रिट (Writs) जारी कर सकते हैं:

  1. हABEAS CORPUS – अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ।

  2. MANDAMUS – सरकारी अधिकारी को अपना कर्तव्य निभाने का आदेश।

  3. PROHIBITION – निचली अदालत को कार्यवाही रोकने का आदेश।

  4. CERTIORARI – उच्च अदालत द्वारा निचली अदालत का निर्णय रद्द करना।

  5. QUO WARRANTO – अवैध रूप से पद पर बैठे व्यक्ति को हटाना।


अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

17. न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कैसे सुनिश्चित किया जाता है?

  1. न्यायाधीशों की नियुक्ति निष्पक्ष तरीके से होती है।

  2. न्यायाधीशों का वेतन और सुविधाएँ सुरक्षित रहती हैं।

  3. सरकार न्यायाधीशों को आसानी से नहीं हटा सकती।

  4. न्यायालय के आदेशों का पालन करना अनिवार्य होता है।

18. न्यायाधीश को कैसे हटाया जाता है?

  • न्यायाधीश को महाभियोग (Impeachment) प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।

  • संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत (Special Majority) से प्रस्ताव पारित करना होता है।

19. क्या भारतीय न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है?

  • न्यायपालिका स्वतंत्र है, लेकिन इसमें भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं

  • इसे रोकने के लिए लोकपाल और न्यायिक सुधारों की मांग की जाती है।

20. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में क्या अंतर है?

विशेषता सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट
अधिकार क्षेत्र पूरे भारत में संबंधित राज्य में
न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति, हाई कोर्ट की सिफारिश पर
रिट जारी करने की शक्ति अनुच्छेद 32 के तहत अनुच्छेद 226 के तहत
अंतिम अपील अंतिम अपीलकर्ता अपील सुप्रीम कोर्ट में की जा सकती है
न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष 62 वर्ष

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