Mesolithic Age and Neolithic Age in hindi

Mesolithic Age and Neolithic Age in india

भारत में मध्यपाषाणकाल (Mesolithic Age) – औजार, समयकाल और विशेषताएँ

मध्यपाषाणकाल, जिसे मेसोलिथिक युग भी कहा जाता है, पाषाणयुग का एक महत्वपूर्ण चरण है, जो पेलियोलिथिक युग और नियोलिथिक युग के बीच का समय है। यह युग लगभग 10,000 ई.पू. से 4,000 ई.पू. तक का समय था। इस युग में मानव जीवनशैली में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन आए, जिनमें जीवनयापन के तरीके, औजारों का विकास और पर्यावरण से संबंध बढ़ने जैसी प्रमुख विशेषताएँ थीं।

समयकाल (Time Period):

  • समयकाल: लगभग 10,000 .पू. से 4,000 .पू. तक का समय
  • यह युग पेलियोलिथिक (पुराना पाषाणकाल) और नियोलिथिक (नवपाषाणकाल) के बीच स्थित है।

औजार (Tools)

मध्यपाषाणकाल में मानव ने औजारों के निर्माण में काफी बदलाव किया। इस युग में औजारों का आकार छोटा और अधिक परिष्कृत हुआ, और इनका उपयोग अधिक विविध कार्यों के लिए किया जाने लगा। कुछ प्रमुख औजारों में शामिल थे:

  1. माइक्रोलिथ्स (Microliths): छोटे और तेज धार वाले पत्थर के औजार, जिन्हें लकड़ी, बांस या हड्डी से जोड़ा जाता था। इन्हें तीर, कांटे, और चाकू बनाने के लिए उपयोग किया जाता था।
  2. स्क्रेपर्स (Scrapers): इनका उपयोग जानवरों की खाल को हटाने और लकड़ी को छीलने के लिए किया जाता था।
  3. ब्लेड्स (Blades): तेज धार वाले पत्थर के ब्लेड्स, जो शिकारी उपकरणों के रूप में इस्तेमाल होते थे।
  4. बो रेवेट्स (Borer and Revettes): छोटे उपकरण जिनका उपयोग लकड़ी या हड्डी में छेद करने के लिए किया जाता था।
Mesolithic Age and Neolithic Age
Mesolithic Age and Neolithic Age
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

विशेषताएँ (Characteristics)

  1. मानव जीवन में परिवर्तन:
    • इस युग के दौरान, मानव ने शिकार-संग्रहण के साथ-साथ कुछ स्थिर बस्तियाँ भी बनाना शुरू किया। यह समय संवेदनशील पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण था, जब मौसम और जलवायु में बदलाव आए और अधिक स्थिर वातावरण तैयार हुआ।
  1. सामाजिक संगठन में परिवर्तन:
    • मानव समाज अधिक संगठित हुआ। समूहों में जीवन यापन की प्रवृत्ति बढ़ी और शिकार, संग्रहण तथा अन्य सामाजिक कार्यों में सहयोग की भावना आई।
  1. स्थिरता और जीवनशैली में बदलाव:
    • इस युग के दौरान, मानव ने कुछ स्थिर स्थानों पर बसने की शुरुआत की और मौसम की परिस्थितियों के अनुसार अपनी बस्तियाँ बनाई। यह वह समय था जब मानव के जीवन में वैकल्पिक खाद्य स्रोतों का उपयोग बढ़ा, जैसे कि मछली पकड़ना, फलों और कंदमूलों की खोज।
  1. कला और संस्कृति का विकास:
    • इस युग में चित्रकला का विकास हुआ, विशेष रूप से गुफाओं में चित्रकला और शिकार दृश्यों की चित्रित तस्वीरें। उदाहरण के तौर पर, भीमबेटका गुफाएँ (मध्य प्रदेश) और चांगो (उत्तर प्रदेश) में शिकार और प्राकृतिक दृश्यों के चित्र पाए गए हैं।
  1. नया पर्यावरणीय परिदृश्य:
    • इस युग में बर्फीली अवधि का अंत हो गया और उष्णकटिबंधीय वनस्पति और लागता वातावरण बनने लगे। इस परिवर्तन ने मानव जीवन को स्थिरता और विविधता प्रदान की।

प्रमुख स्थल (Important Sites):

मध्यपाषाणकाल के कुछ प्रमुख स्थल भारत में पाए जाते हैं, जहां मानव सभ्यता के अवशेष, औजार और कला के उदाहरण मिले हैं:

  1. भीमबेटका गुफाएँ (मध्य प्रदेश): यहाँ शिकार की चित्रकला और औजारों के अवशेष मिले हैं।
  2. लाहुरादेवा (उत्तर प्रदेश): यहाँ मछली पकड़ने के प्रमाण और छोटे औजार पाए गए हैं।
  3. कर्नाटका और तमिलनाडु के क्षेत्रों में भी इस युग के औजारों के अवशेष पाए गए हैं, जो इस युग के प्रमुख स्थल हैं।

निष्कर्ष:

मध्यपाषाणकाल भारतीय उपमहाद्वीप में मानव सभ्यता के लिए एक संक्रमणकाल था। इस युग में औजारों में सुधार, जीवनशैली में बदलाव और सामाजिक संगठन में उन्नति देखी गई। शिकार-संग्रहण की जीवनशैली के साथ-साथ स्थिर बस्तियों का गठन और कला-संस्कृति का विकास इस युग के प्रमुख लक्षण थे। यह युग पेलियोलिथिक और नियोलिथिक के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी था, जिसने कृषि और स्थायी जीवन की ओर मानव समाज को अग्रसर किया।

नवपाषाणकाल (Neolithic Age) – प्रागैतिहासिक काल

नवपाषाणकाल या नियोलिथिक युग, प्रागैतिहासिक काल का एक अत्यंत महत्वपूर्ण युग था, जो पाषाण युग के अंतिम चरण के रूप में माना जाता है। यह युग लगभग 10,000 ई.पू. से 2,000 ई.पू. तक फैला हुआ था और इस युग में मानव सभ्यता में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए, जिनसे मानव जीवन और समाज की संरचना में स्थायी परिवर्तन हुए।

नवपाषाणकाल की विशेषताएँ (Characteristics of Neolithic Age)

  1. कृषि का विकास:
    • इस युग में कृषि की शुरुआत हुई, जिससे मानव जीवन में स्थिरता आई। मानवों ने पहले-पहल अनाज उगाना शुरू किया, जैसे जौ, गेहूं, चावल और अन्य वनस्पतियाँ। खेती के कारण, मनुष्यों ने स्थायी बस्तियाँ बनानी शुरू की।
    • पशुपालन भी शुरू हुआ, और मानव ने बकरियाँ, गायें, और अन्य घरेलू जानवरों को पालना शुरू किया।
  1. औजारों का विकास:
    • नवपाषाणकाल में औजारों के निर्माण में सुधार हुआ। अब पाषाण को तराशकर तेज धार वाले औजार बनाए गए, जैसे कि कृषि औजार, चाकू, तलवारें, और सिक्के
    • मानवों ने पत्थर, हड्डी, और लकड़ी से औजार बनाए, जो कृषि और पशुपालन के कार्यों में सहायक थे। इन औजारों को अधिक परिष्कृत और सटीक रूप से बनाया गया था।
  1. स्थायी बस्तियाँ:
    • इस युग में मानवों ने अस्थायी गुफाओं या तंबूओं की जगह स्थायी बस्तियाँ बनानी शुरू की। यह बस्तियाँ आमतौर पर नदी के किनारे या उपजाऊ भूमि पर होती थीं, जहां पानी की उपलब्धता और कृषि की संभावनाएँ थीं।
    • कुछ प्रसिद्ध नवपाषाणकालीन बस्तियों में मेहरगढ़ (पाकिस्तान), कालीबंगा (राजस्थान), हड़प्पा (पंजाब) और मातुर (तमिलनाडु) शामिल हैं।
  1. सामाजिक संगठन और संस्कृति:
    • नवपाषाणकाल में समाज में एक नया सामाजिक संगठन विकसित हुआ, जिसमें समुदायों का गठन हुआ। यह समय सामूहिक कार्य और सहकारी जीवन का था।
    • कला का भी विकास हुआ, जैसे मूर्तियाँ और चित्रकला। मानव ने पत्थर, हड्डी, और धातु से मूर्तियाँ बनाई, जिनमें देवताओं और पशुओं की आकृतियाँ पाई जाती हैं।
  1. स्मारक निर्माण और धर्म:
    • इस युग में स्मारक निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई, जैसे कुमार्गी स्तूप और मेगालिथ्स (बड़े पत्थरों से बने स्मारक)। इस समय के धार्मिक विश्वासों को कुछ पुरातात्विक स्थलों से प्रकट किया जाता है, जो विशेष रूप से देवताओं और प्राकृतिक शक्तियों के प्रति आस्था को दर्शाते हैं।
  1. व्यापार और विनिमय:
    • नवपाषाणकाल में मानव ने व्यापार और विनिमय के जरिए अन्य स्थानों से वस्तुएँ मंगवानी शुरू की। इस समय में संगमरमर, पत्थर, रत्न और धातु का आदान-प्रदान हुआ।

नवपाषाणकाल के प्रमुख स्थल (Important Neolithic Sites in India)

  1. मेहरगढ़ (Mehrgarh) – यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है और नवपाषाणकालीन सबसे पुराना स्थल माना जाता है। यहाँ कृषि, पशुपालन, और बर्तन बनाने के प्रमाण मिले हैं।
  2. कालीबंगा (Kalibanga) – राजस्थान के उत्तरी हिस्से में स्थित यह स्थल भी नवपाषाणकाल के महत्त्वपूर्ण स्थल में शामिल है। यहाँ भी कृषि और बर्तन निर्माण के प्रमाण मिले हैं।
  3. हड़प्पा (Harappa) – हड़प्पा संस्कृति की शुरुआत नवपाषाणकाल के बाद हुई थी, लेकिन यहाँ के पुरातात्विक अवशेषों से यह पता चलता है कि नवपाषाणकाल में यहाँ भी स्थायी बस्तियाँ और कृषि का अस्तित्व था।
  4. बनवाड़ी (Banawali) – हरियाणा में स्थित यह स्थल भी नवपाषाणकाल के प्रमाणों से समृद्ध है, जहाँ कृषि और बर्तन निर्माण के अवशेष मिले हैं।
  5. मातुर (Maturr) – तमिलनाडु के इस क्षेत्र में भी नवपाषाणकालीन बस्तियाँ और जीवनशैली के प्रमाण पाए गए हैं।

निष्कर्ष:

नवपाषाणकाल प्राचीन मानव सभ्यता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसमें कृषि की शुरुआत हुई, समाज की संरचना में बदलाव आया और स्थायी जीवनशैली की नींव पड़ी। इसके साथ ही, यह युग विज्ञान, कला, और व्यापार के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने मानवता को नए विकास की दिशा में अग्रसर किया। यह युग, पाषाण युग के अंतिम चरण के रूप में, मानव सभ्यता के लिए एक निर्णायक चरण था, जिसने भविष्य में औद्योगिक और शहरी सभ्यता की नींव रखी।

नवपाषाण क्रांति (Neolithic Revolution)

नवपाषाण क्रांति, जिसे कृषि क्रांति भी कहा जाता है, प्राचीन मानव सभ्यता के इतिहास का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और निर्णायक मोड़ था। यह क्रांति लगभग 10,000 ई.पू. के आसपास शुरू हुई और इसके दौरान मानव ने शिकार और संग्रहण की जीवनशैली को छोड़कर कृषि और पशुपालन की ओर कदम बढ़ाए। नवपाषाण क्रांति ने मानव समाज के विकास में गहरे बदलाव किए, जिससे स्थायी बस्तियाँ, समाजों की संरचना, और सांस्कृतिक बदलावों का आगमन हुआ।

नवपाषाण क्रांति के प्रमुख तत्व (Key Aspects of Neolithic Revolution)

  1. कृषि का विकास:
    • नवपाषाण क्रांति के दौरान मानव ने कृषि को अपनाया और अनाज उगाने की प्रक्रिया शुरू की। गेहूं, जौ, चावल, और मक्का जैसे प्रमुख खाद्यान्नों की खेती शुरू की गई। इससे मानव जीवन अधिक स्थिर हुआ और वह अब भोजन के लिए प्रकृति पर निर्भर रहने के बजाय खेती पर निर्भर होने लगा।
  2. पशुपालन:
    • पशुपालन भी इस क्रांति का एक महत्वपूर्ण पहलू था। मानव ने बकरियाँ, गायें, मुर्गियाँ, और अन्य घरेलू पशुओं को पालना शुरू किया, जो भोजन और अन्य उपयोगों के लिए सहायक थे। इससे स्थायी बस्तियाँ बसाना संभव हुआ।
  3. स्थायी बस्तियाँ:
    • पहले की शिकार-संग्रहण आधारित जीवनशैली को छोड़कर मानव ने अब स्थायी बस्तियाँ बनानी शुरू की। अब वह नदी के किनारे, उपजाऊ भूमि पर बस्तियाँ बनाता था ताकि कृषि कार्यों के लिए उपयुक्त वातावरण प्राप्त हो सके।
  4. सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन:
    • नवपाषाण क्रांति के साथ सामाजिक संरचनाओं में भी परिवर्तन हुआ। लोग समूहों में रहने लगे, और सामूहिक कार्य की आवश्यकता बढ़ी। इसके परिणामस्वरूप सामाजिक संगठन और धार्मिक विश्वास विकसित हुए।
    • इस युग में कला का भी विकास हुआ, जैसे चित्रकला, मूर्तिकला और धातु के औजारों का निर्माण।

भारत में नवपाषाण संस्कृति (Neolithic Culture in India)

भारत में नवपाषाण काल का आरंभ लगभग 10,000 ई.पू. के आसपास हुआ था। नवपाषाण संस्कृति ने भारतीय उपमहाद्वीप में कई सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तनों की नींव रखी। भारत में इस काल के प्रमुख स्थल हैं, जहां कृषि, बस्तियाँ, औजार, कला और अन्य सांस्कृतिक अवशेष पाए गए हैं। भारत में नवपाषाण संस्कृति के कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. कृषि और पशुपालन:
    • भारत में मेहरगढ़ (पाकिस्तान) और कालीबंगा (राजस्थान) जैसे प्रमुख स्थलों पर कृषि और पशुपालन के प्रमाण मिले हैं। यहाँ की संस्कृति में गेहूं, जौ, और मक्का की खेती की जाती थी, और मानव ने गाय, बकरी और अन्य पशुओं को पालना शुरू किया था।
  1. स्थायी बस्तियाँ:
    • इस युग में स्थायी बस्तियों का निर्माण हुआ, जहां मानवों ने दीवारों से घिरी हुई बस्तियाँ बनाई। ये बस्तियाँ नदी के किनारे और उपजाऊ भूमि पर स्थित थीं।
    • मेहरगढ़ (पाकिस्तान) और कालीबंगा (राजस्थान) जैसे स्थलों पर मानव द्वारा बनायीं गई बस्तियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें जल निकासी की व्यवस्था, मकान और अन्य बुनियादी सुविधाएँ थीं।
  1. सामाजिक संरचनाएँ:
    • इस युग में सामाजिक संगठन और धार्मिक विश्वास का विकास हुआ। नवपाषाणकालीन बस्तियों में औजारों, मूर्तियों और धार्मिक चिन्हों के प्रमाण मिले हैं, जो समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को दर्शाते हैं।
  1. औजार और कला:
    • नवपाषाणकाल में मानव ने विभिन्न प्रकार के औजारों का निर्माण किया, जैसे कृषि औजार (हल, फावड़ा आदि), पाषाण औजार, और धातु के औजार
    • कला का भी इस युग में विकास हुआ था, और मानवों ने मूर्तियाँ और चित्रकला बनानी शुरू की। भीमबेटका गुफाएँ (मध्य प्रदेश) और चांगो (उत्तर प्रदेश) में प्राचीन चित्रकला के उदाहरण मिले हैं।
  1. व्यापार और आदान-प्रदान:
    • नवपाषाणकाल में मानव ने व्यापार और आदानप्रदान का आरंभ किया। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों से वस्त्र, रत्न, धातु, और अन्य वस्तुओं का आदान-प्रदान किया जाता था।

प्रमुख नवपाषाण स्थल (Important Neolithic Sites in India)

  1. मेहरगढ़ (Mehrgarh): यह पाकिस्तान में स्थित है और नवपाषाणकाल का सबसे पुराना स्थल माना जाता है, जहां कृषि, पशुपालन और बर्तन निर्माण के प्रमाण मिले हैं।
  2. कालीबंगा (Kalibanga): राजस्थान में स्थित, यहाँ नवपाषाणकाल के औजार और बस्तियाँ मिली हैं, जो कृषि और समाज के विकास को दर्शाती हैं।
  3. हड़प्पा (Harappa): हड़प्पा सभ्यता में नवपाषाणकाल के अवशेष और सभ्यता के पूर्ववर्ती संकेत पाए गए हैं।
  4. बनवाड़ी (Banawali): हरियाणा में स्थित यह स्थल भी नवपाषाणकालीन सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा था।

निष्कर्ष:

नवपाषाण क्रांति मानव समाज में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिससे कृषि, पशुपालन, स्थायी बस्तियाँ और सामाजिक संरचनाओं का विकास हुआ। भारत में नवपाषाणकाल की संस्कृति ने सभ्यता के उन्नति के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया, जिसने आगे चलकर शहरीकरण और विकसित समाजों की नींव रखी।

FAQ

1. मध्य पाषाण युग क्या है?

मध्य पाषाण युग लगभग 12,000 ईसा पूर्व से 8,000 ईसा पूर्व तक का समय है। यह पाषाण युग और नवपाषाण युग के बीच का संक्रमण काल था, जिसमें छोटे और उन्नत पत्थर के औजार (Microliths) प्रचलित हुए।

2. मध्य पाषाण युग की मुख्य विशेषताएं क्या थीं?

छोटे पत्थरों के औजारों (माइक्रोलिथ्स) का उपयोग। शिकार और भोजन संग्रह मुख्य जीविका के साधन थे। कुत्तों को पालतू बनाना प्रारंभ हुआ। अस्थायी निवास और गुफाओं में रहना जारी था।

3. भारत में मध्य पाषाण युग के प्रमुख स्थल कौन-कौन से हैं?

आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) बघोर (राजस्थान) लंगहनाज (गुजरात) सराय नाहर राय (उत्तर प्रदेश)

Leave a Comment