Palaeolithic Age in India – Tools, Phases & Significant Sites
पेलियोलिथिक युग (Paleolithic Age) का वर्गीकरण निम्नलिखित है:
- पुराना पेलियोलिथिक (Lower Paleolithic):
- यह युग लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ और 300,000 वर्ष पहले समाप्त हुआ।
- इसमें इंसान ने पहली बार पत्थरों का औजार बनाना शुरू किया।
- इस युग के प्रमुख औजारों में हाथी के आकार के पत्थर के औजार, जैसे कि चाप और फ्लेक्स शामिल थे।
- हुमन जैसे हंमिनिड्स (मानव जैसे प्राणी) इस समय का हिस्सा थे, जैसे कि हॉमोस एरिक्टस।
- मध्य पेलियोलिथिक (Middle Paleolithic):
- यह युग लगभग 300,000 वर्ष पहले शुरू हुआ और 30,000 वर्ष पहले समाप्त हुआ।
- इस समय इंसान ने अधिक विकसित औजारों का निर्माण किया, जैसे कि लौक (क्लेव्स) और टूल्स की विविधता बढ़ी।
- निएंडरथल्स जैसे मानव प्रजातियाँ इस युग में थीं, और वे आग का उपयोग करने में सक्षम थे।
- नई पेलियोलिथिक (Upper Paleolithic):
- यह युग लगभग 40,000 वर्ष पहले शुरू हुआ और लगभग 10,000 वर्ष पहले समाप्त हुआ।
- इस युग में मानव समाज में और अधिक उन्नति हुई, जैसे कि नए प्रकार के औजार और कला का विकास हुआ।
- इसमें हॉमो सैपियन्स की उपस्थिति बढ़ी, और वे चित्रकला, मूर्तिकला और अन्य सांस्कृतिक प्रथाओं में लगे थे।
पेलियोलिथिक युग का मुख्य रूप से पत्थरों के औजारों और अस्तित्व की साधारण तरीकों के माध्यम से विभाजन किया जाता है।
भारत में पुराना पेलियोलिथिक युग (Lower Paleolithic Age) – 500,000 – 100,000 ई.पू.
पुराना पेलियोलिथिक युग भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 5 लाख वर्ष पहले शुरू हुआ। इस युग में प्राचीन मानवों ने पत्थरों के औजारों का उपयोग करना शुरू किया।
- प्रमुख स्थल: हाथीगुम्फा, भीमबेटका गुफाएँ, सोन नदी क्षेत्र आदि।
- इस युग के औजार मुख्यतः कच्चे और मोटे होते थे, जैसे हाथियों के आकार के पत्थर के औजार और क्लीव्स (चाप)।
- मानव प्रजाति: हॉमोस एरिक्टस और हॉबो सैपियन्स की प्रारंभिक उपस्थिति।
भारत में मध्य पेलियोलिथिक युग (Middle Paleolithic Age) – 100,000 – 40,000 ई.पू.
मध्य पेलियोलिथिक युग भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 1 लाख वर्ष पहले शुरू हुआ और 40,000 वर्ष पहले समाप्त हुआ। इस युग में औजारों का विकास हुआ, जो पहले से ज्यादा परिष्कृत और विविध थे।
- प्रमुख स्थल: भीमबेटका गुफाएँ, गंगा नदी का क्षेत्र, पश्चिमी घाट और तमिलनाडु का पक्कन गुफा स्थल।
- इस युग के औजार अधिक बारीकी से तैयार किए जाते थे, जैसे पत्थर की छीलन, तेज धार वाले औजार आदि।
- मानव प्रजाति: निएंडरथल्स और हॉमो सैपियन्स की उपस्थिति।
यह समय प्राचीन मानव सभ्यता के लिए एक महत्वपूर्ण विकासशील चरण था, जिसमें औजारों के उपयोग से जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
भारत में पुराना पेलियोलिथिक युग (Lower Paleolithic Age) – 500,000 – 100,000 ई.पू.
पुराना पेलियोलिथिक युग भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 5 लाख वर्ष पहले शुरू हुआ और लगभग 1 लाख वर्ष पहले समाप्त हुआ। इस युग के दौरान मानव जीवन में प्रमुख परिवर्तन हुए, विशेष रूप से औजारों के उपयोग में। इस समय की मानव सभ्यता की विशेषता इसके कच्चे और मोटे पत्थर के औजारों से थी, जिनका उपयोग शिकार, मांस काटने और लकड़ी आदि को काटने के लिए किया जाता था। इन औजारों को मुख्यतः चिपकाने की विधि से तैयार किया गया था।
- प्रमुख स्थल:
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- भीमबेटका गुफाएँ (मध्य प्रदेश): यहाँ प्राचीन चित्रकला और औजारों के अवशेष मिले हैं।
- हाथीगुम्फा (उड़ीसा): यहाँ भी प्राचीन मानव सभ्यता के संकेत मिले हैं।
- सोन नदी का क्षेत्र और मध्य भारत: जहाँ पत्थर के औजारों के अवशेष पाए गए।
- मानव प्रजातियाँ: इस युग में हॉमोस एरिक्टस और हॉमो सैपियन्स जैसी प्रजातियाँ उपस्थिति में थीं। इनका जीवन मुख्यतः शिकारी-संग्राही था, और वे प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करते थे।
- सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन: मानवों ने मुख्य रूप से समूहों में रहकर शिकार किया और जीवनयापन के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर थे। वे आग का उपयोग भी करने लगे थे, जिससे उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया।
भारत में मध्य पेलियोलिथिक युग (Middle Paleolithic Age) – 100,000 – 40,000 ई.पू.
मध्य पेलियोलिथिक युग भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 1 लाख वर्ष पहले शुरू हुआ और लगभग 40,000 वर्ष पहले समाप्त हुआ। इस युग में औजारों की संरचना में सुधार हुआ और मानव समाज में अधिक विकसित तकनीकों का विकास हुआ। औजारों में परिष्कृत पत्थर (फ्लेक्स और नूडल्स) का प्रयोग बढ़ा, और मानवों ने नए-नए शिकार उपकरण बनाए। इस युग में इंसानों का शारीरिक और मानसिक विकास हुआ।
- प्रमुख स्थल:
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- भीमबेटका गुफाएँ (मध्य प्रदेश): यहाँ पुराने पेलियोलिथिक और मध्य पेलियोलिथिक युग के औजारों के साथ-साथ चित्रकला भी पाई गई।
- पाकिस्तान और उत्तर भारत में विभिन्न क्षेत्रों में औजारों के अवशेष पाए गए।
- तमिलनाडु का पक्कन गुफा स्थल: जहाँ इस युग के औजारों के अवशेष मिले हैं।
- मानव प्रजातियाँ: इस युग में निएंडरथल्स और हॉमो सैपियन्स की उपस्थिति रही। निएंडरथल्स के पत्थर के औजारों के साथ-साथ उनके आग का उपयोग करने के प्रमाण भी मिले हैं।
- सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन: इस युग में मानवों ने सामूहिक शिकार की तकनीक में सुधार किया और सामाजिक संरचनाएँ भी विकसित होने लगीं। ये लोग अधिक विकसित बर्तन और हथियारों का उपयोग करने लगे, और उनका जीवन अधिक व्यवस्थित हुआ।
- प्रौद्योगिकी में प्रगति: इस समय में पत्थरों को तेज धार देने की कला में सुधार हुआ, और औजारों की प्रकारिकता और उपयोगिता बढ़ी। इसके साथ ही, शिकार के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में खेती के बीजों के निशान भी मिले हैं, जो आने वाले विकास की ओर इशारा करते हैं।
निष्कर्ष:
भारत में पेलियोलिथिक युग ने मानव सभ्यता के प्रारंभिक चरणों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह युग जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे शिकार, आग का उपयोग, और औजारों के विकास से जुड़ा था। पुराना पेलियोलिथिक युग, जहाँ मानव ने कच्चे औजारों का इस्तेमाल किया, वहीं मध्य पेलियोलिथिक युग में औजारों की परिष्कृत तकनीक और सामाजिक संरचनाओं में सुधार हुआ।
भारत में नई पेलियोलिथिक युग (Upper Paleolithic Age) – 40,000 – 10,000 ई.पू.
नई पेलियोलिथिक युग (Upper Paleolithic) भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 40,000 वर्ष पहले शुरू हुआ और लगभग 10,000 वर्ष पहले समाप्त हुआ। यह युग पेलियोलिथिक विकास के अंतिम चरण का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें औजारों और जीवनशैली में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। इस समय मानव समाज में न केवल औजारों के उपयोग में सुधार हुआ, बल्कि कला, संस्कृति, और सामाजिक संरचनाओं में भी बदलाव आए।
विशेषताएँ:
- औजारों में विकास:
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- इस युग में पत्थरों के औजारों में बहुत सुधार हुआ। अब औजारों को अधिक परिष्कृत और विविध रूप में बनाया जाने लगा, जैसे ब्लेड्स, स्क्रेपर्स, और नानोक्लेव्स।
- इन औजारों की गुणवत्ता बढ़ी और मानव ने विभिन्न प्रकार के हथियारों, जैसे कि भाले और चाकू, का उपयोग करना शुरू किया।
- कला और संस्कृति का विकास:
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- इस युग के दौरान गुफाओं की चित्रकला और मूर्तिकला का विकास हुआ। विशेष रूप से भीमबेटका गुफाएँ और अर्जुन झील गुफा चित्रकला जैसे स्थल कला के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
- चित्रकला में पशु, शिकार और अन्य प्राकृतिक दृश्य दर्शाए गए, जो मानव के सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं।
- समाज और जीवनशैली:
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- इस युग में मानव समाज अधिक संगठित और सामाजिक हुआ। समूहों में रहने के कारण शिकार और खाद्य संग्रह में सहकार्य की प्रवृत्ति बढ़ी।
- खगोलशास्त्र और प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग किया गया, जिससे स्थिर स्थानों पर बसने की प्रवृत्ति बढ़ी।
- प्रमुख स्थल:
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- भीमबेटका गुफाएँ (मध्य प्रदेश): यहां के चित्र और औजार इस युग की महत्वपूर्ण पहचान हैं।
- चोपानी मंझली (उत्तर प्रदेश): यह स्थल भी इस युग के औजारों और अन्य सांस्कृतिक अवशेषों से समृद्ध है।
- कर्नाटका और तमिलनाडु क्षेत्र में भी इस युग के औजारों के अवशेष मिले हैं।
- मानव प्रजातियाँ:
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- हॉमो सैपियन्स की उपस्थिति इस युग में प्रमुख थी। वे न केवल औजारों का उपयोग करते थे, बल्कि कला, बर्तन, और अन्य सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय थे।
- इस युग के मानव ने अब अपनी जातीय और सांस्कृतिक पहचान विकसित करना शुरू किया, जो आने वाले सभ्यताओं के लिए आधार बन गई।
निष्कर्ष:
नई पेलियोलिथिक युग ने भारतीय उपमहाद्वीप में मानव विकास के सबसे परिष्कृत चरण को देखा। इस युग में औजारों, कला, और जीवनशैली में महत्वपूर्ण सुधार हुए, जिससे मानव समाज का सांस्कृतिक और सामाजिक विकास हुआ। यह युग शिकार-संग्रहण से कृषि और स्थिर जीवन की ओर बढ़ते हुए नए परिवर्तनों का प्रारंभिक संकेत था।
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