Post Mauryan Period in hindi

Post Mauryan Period – Shunga, Kanva, Chedi Dynasties

मौर्यकाल के बाद का राजनीतिक इतिहास (Political History during Post Mauryan Period)

मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत में एक राजनीतिक अस्थिरता का दौर आया, जिसे पोस्ट-मौर्य काल कहा जाता है। मौर्य साम्राज्य के बाद कई छोटे-छोटे राज्य और साम्राज्य उभरे। इस काल में अलग-अलग शक्तियों ने भारत के विभिन्न हिस्सों पर शासन किया। इस समय के प्रमुख राजवंशों में शुंग, कुषाण, और गुप्त साम्राज्य शामिल थे।

  1. शुंग वंश (Shunga Dynasty)
  • मौर्य साम्राज्य के बाद शुंग वंश का उदय हुआ। शुंग साम्राज्य की स्थापना पुष्यमीत्र शुंग ने 185 ईसा पूर्व की। उन्होंने मौर्य साम्राज्य के अंतिम सम्राट ब्रहद्रथ मौर्य को हत्याकर इस वंश की नींव रखी।
  • शुंग साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने की कोशिश की। शुंगों ने बौद्ध धर्म के प्रति अपनी असहिष्णुता दिखाई, और बौद्धों के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए।
  • शुंग वंश के सम्राटों ने कई स्थापत्य निर्माणों और कला को प्रोत्साहित किया।
  1. कुषाण साम्राज्य (Kushan Empire)
  • कुषाण साम्राज्य का उदय कुषाण राजवंश से हुआ, जो मध्य एशिया से भारत में आया था। कुनल, विमल, और सबसे प्रसिद्ध सम्राट कनिष्क थे।
  • कनिष्क के शासनकाल (लगभग 78-144 ईसा पूर्व) में कुषाण साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया और पश्चिमी एशिया के बीच महत्वपूर्ण व्यापारिक संबंध स्थापित किए। उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया और कई बौद्ध स्तूपों और मठों का निर्माण कराया।
  • कुषाण साम्राज्य में बौद्ध धर्म को विशेष प्रोत्साहन मिला, और कनिष्क को बौद्ध धर्म का महान संरक्षक माना जाता है।
  1. गुप्त साम्राज्य (Gupta Empire)
  • गुप्त साम्राज्य के उदय को भारतीय इतिहास में “सोने की युग” (Golden Age) के रूप में माना जाता है। चंद्रगुप्त गुप्त ने इस साम्राज्य की स्थापना की थी, लेकिन इसके सर्वश्रेष्ठ सम्राट समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) थे।
  • गुप्त साम्राज्य ने विज्ञान, गणित, कला, साहित्य, और धर्म में उल्लेखनीय प्रगति की। समुद्रगुप्त को “भारतीय सिक्कों का सम्राट” कहा जाता था और चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में कला और संस्कृति अपने उत्कर्ष पर थी।
  • इस समय में हिंदू धर्म को पुनर्जीवित किया गया और भारत में प्राचीन भारतीय संस्कृति का प्रसार हुआ।
  1. अन्य राज्य (Other States)
  • मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद दक्षिण भारत में चोल, पाण्ड्य, चेर जैसे राज्य प्रमुख थे। इन राज्यों में राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ सक्रिय रहीं, और दक्षिण भारत के राज्य उत्तर भारत से स्वतंत्र रूप से शासन करते रहे।
Post Mauryan Period
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पोस्ट-मौर्य काल की कला और स्थापत्य (Art and Architecture of Post Mauryan Period)

मौर्य साम्राज्य के बाद भारतीय कला और स्थापत्य में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इस काल में शुंग, कुषाण और गुप्त साम्राज्यों की कला ने नया मोड़ लिया और इसे विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों से जोड़ा गया।

  1. शुंग काल की कला (Art of Shunga Period)
  • शुंग काल के दौरान कला और स्थापत्य में विशेष प्रगति हुई। शुंग काल के कलाकारों ने स्तूपों, मठों, और बौद्ध धार्मिक संरचनाओं के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • सांची स्तूप (Sanchi Stupa) जैसे विशाल और सुंदर स्तूपों का निर्माण हुआ। सांची स्तूप का विकास शुंग काल में हुआ था, और यह बौद्ध धर्म के अद्वितीय स्थापत्य का उदाहरण माना जाता है।
  • शुंग काल की कला में पाषाण और लकड़ी का उपयोग प्रमुख था।
  1. कुषाण काल की कला (Art of Kushan Period)
  • कुषाण काल में बौद्ध धर्म की वृद्धि ने बौद्ध कला में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। इस समय में बौद्ध चित्रकला और मूर्तिकला का विकास हुआ, और कुशानी शैली की मूर्तियाँ प्रसिद्ध हुईं।
  • कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध कला और धर्म का प्रोत्साहन हुआ, और बौद्ध स्तूपों, मठों और बौद्ध चित्रों का निर्माण किया गया। कुशानी मूर्तियाँ और धार्मिक चित्रकला विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
  • गांधार कला का विकास हुआ, जो भारतीय और यूनानी शैलियों का मिश्रण था। इस कला में बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण किया गया, जिनमें यूनानी प्रभाव देखा जाता है।
  1. गुप्त काल की कला (Art of Gupta Period)
  • गुप्त काल को भारतीय कला का स्वर्णकाल (Golden Age) माना जाता है। गुप्त सम्राटों के समय में कला, साहित्य और संस्कृति का उत्कर्ष हुआ।
  • गुप्त काल में हिंदू मंदिरों का निर्माण हुआ, और स्थापत्य में कांस्य और पाषाण का उपयोग हुआ। उज्जैन, कांची, और कालिंदी में प्रमुख मंदिरों का निर्माण हुआ।
  • गुप्त काल की चित्रकला भी प्रसिद्ध थी, और गुप्त काल के मंदिरों में चित्रित दीवारों की तस्वीरें बहुत लोकप्रिय हैं। अलाहाबाद स्तंभ और एलोरा तथा आजन्ता की गुफाएँ में चित्रकला की महत्वपूर्ण खोजें हुईं।
  1. कला में परिवर्तन (Transformation in Art)
  • इस समय में भारतीय कला में वास्तुकला (architecture), मूर्तिकला (sculpture), और चित्रकला (painting) में बौद्ध और हिंदू धर्म दोनों का मिश्रण देखा गया।
  • जैन धर्म और बौद्ध धर्म के प्रभाव में कला के विभिन्न रूप विकसित हुए।

निष्कर्ष (Conclusion)

पोस्ट-मौर्य काल भारतीय इतिहास में राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था। शुंग, कुषाण और गुप्त साम्राज्य ने भारतीय समाज, संस्कृति और धर्म के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही कला और स्थापत्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई, जो भारतीय इतिहास के स्वर्णिम अध्याय के रूप में स्थापित हुआ।

पोस्ट-मौर्य काल का धर्म और समाज (Religion and Society of Post-Mauryan Period)

पोस्ट-मौर्य काल में धर्म और समाज में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। मौर्य साम्राज्य के बाद धर्म और संस्कृति में विविधता आई, जिससे भारतीय समाज में नए धार्मिक विचारों का प्रसार हुआ। इस समय में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और नए धार्मिक विचारों के साथ-साथ सामाजिक संरचना में भी परिवर्तन देखने को मिले।

  1. धर्म (Religion)
  • बौद्ध धर्म: मौर्य साम्राज्य के दौरान बौद्ध धर्म को बढ़ावा मिला था, लेकिन शुंग काल में बौद्ध धर्म के प्रति असहिष्णुता बढ़ी। फिर भी, कुषाण साम्राज्य के समय में बौद्ध धर्म को सम्राट कनिष्क द्वारा विशेष संरक्षण प्राप्त हुआ। इस समय में बौद्ध धर्म में महायान संप्रदाय का उदय हुआ, जिसने धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • हिंदू धर्म: हिंदू धर्म में भी इस काल में पुनरुत्थान हुआ। गुप्त काल में, हिंदू धर्म को प्रोत्साहन मिला और इसके विभिन्न रीति-रिवाजों और संस्कारों का विकास हुआ। गुप्त सम्राटों ने विशेष रूप से विष्णु, शिव और शक्ति की पूजा को बढ़ावा दिया।
  • जैन धर्म: जैन धर्म में भी इस काल में वृद्धि हुई। महावीर के उपदेशों के प्रसार के साथ जैन धर्म ने समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। शुंग और कुषाण काल में जैन धर्म के अनुयायी भी बढ़े, खासकर व्यापारियों और शहरी समुदायों में।
  1. समाज (Society)
  • कास्ट व्यवस्था: इस काल में जाति व्यवस्था का महत्व बढ़ा और यह भारतीय समाज की सामाजिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई। जातियाँ स्पष्ट रूप से बँटी हुई थीं, और प्रत्येक जाति का कार्य निर्धारित था।
  • महिलाओं की स्थिति: महिलाओं की स्थिति में इस समय कुछ सुधार हुआ, लेकिन फिर भी उन्हें समाज में पुरुषों के मुकाबले कम अधिकार प्राप्त थे। इस काल में कुछ महिलाएँ प्रसिद्ध भी हुईं, विशेषकर गुप्त काल में, जब महिलाओं ने साहित्य और कला के क्षेत्र में योगदान दिया।
  • शहरीकरण: व्यापार और वाणिज्य के बढ़ने के कारण शहरीकरण में भी वृद्धि हुई। कई नगरों और व्यापारिक केंद्रों ने भारतीय समाज की संरचना में बदलाव किया। प्रमुख शहरों में पाटलिपुत्र, उज्जैन, काशी और कांची शामिल थे।

पोस्ट-मौर्य काल की भाषा और साहित्य (Language and Literature of the Post-Mauryan Period)

पोस्ट-मौर्य काल में भाषा और साहित्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इस काल में संस्कृत, प्राकृत और पाली जैसी भाषाओं का प्रयोग बढ़ा। साहित्य में नए धार्मिक विचारों और समाजिक परिस्थितियों का प्रतिबिंब देखने को मिला।

  1. भाषा (Language)
  • संस्कृत: गुप्त काल में संस्कृत को अत्यधिक प्रोत्साहन मिला। यह भारतीय साहित्य और शास्त्रों की मुख्य भाषा बन गई। संस्कृत के साहित्यिक ग्रंथों, नाटकों और काव्य रचनाओं का महत्वपूर्ण स्थान था।
  • प्राकृत और पाली: बौद्ध धर्म और जैन धर्म के धार्मिक ग्रंथों का लेखन प्राकृत और पाली में हुआ। पालि का उपयोग बौद्ध साहित्य में विशेष रूप से हुआ, जैसे त्रिपिटकप्राकृत का उपयोग जैन धर्म में हुआ, और यह आम जनता के बीच एक लोकप्रिय भाषा थी।
  1. साहित्य (Literature)
  • काव्य और नाटक: इस काल में साहित्य के क्षेत्र में विशेष रूप से काव्य और नाटकों का निर्माण हुआ। गुप्त काल के दौरान कालिदास जैसे महान कवि और नाटककार उत्पन्न हुए, जिनकी रचनाएँ भारतीय साहित्य के अमूल्य रत्न मानी जाती हैं। अबिज्ञान शाकुंतलम और रघुवंश जैसे ग्रंथ इस समय के महत्वपूर्ण साहित्यिक योगदान हैं।
  • धार्मिक साहित्य: बौद्ध धर्म और जैन धर्म के ग्रंथों का लेखन भी इस काल में हुआ। बौद्ध साहित्य में धम्मपद, जातक कथाएँ, और जैन साहित्य में आगम शामिल हैं। इन धार्मिक ग्रंथों ने समाज में धार्मिक विचारों को फैलाने में अहम भूमिका निभाई।

पोस्ट-मौर्य काल में व्यापार और वाणिज्य (Trade and Commerce in Post Mauryan Period)

पोस्ट-मौर्य काल में व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। इस समय में भारतीय व्यापार ने न केवल उपमहाद्वीप में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। इस काल में व्यापार के माध्यम से विभिन्न साम्राज्यों और राज्यों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों का भी विस्तार हुआ।

  1. अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade)
  • सिल्क रूट के माध्यम से भारत और चीन, मध्य एशिया, रोम, और पश्चिमी एशिया के देशों के बीच व्यापार बढ़ा। भारत से मुख्य रूप से स्पाइस, ऊँटों का सामान, नमक, रेशम और सार्गो निर्यात किए जाते थे, जबकि भारत में कांच और रोम का सामान जैसे उत्पाद आयात होते थे।
  • रोम के साथ व्यापार में विशेष रूप से भारतीय वस्त्र और मसाले प्रमुख थे, जो रोम और पश्चिमी देशों में अत्यधिक प्रसिद्ध थे।
  1. समुद्री मार्ग (Sea Routes)
  • भारत का समुद्र व्यापार भी इस समय में महत्वपूर्ण था। मालाबार तट और कांची जैसे स्थानों से समुद्र मार्ग के द्वारा भारत और विदेशों के बीच व्यापार हुआ।
  • समुद्री मार्ग से भारत के साथ व्यापार संबंधों में चीन, सीलोन (श्रीलंका), मलेशिया, और एथियोपिया जैसी जगहों का नाम प्रमुख था।
  1. शहरीकरण और व्यापार केंद्र (Urbanization and Trade Centers)
  • व्यापार के कारण शहरीकरण में वृद्धि हुई। व्यापारिक और वाणिज्यिक केंद्रों का विकास हुआ। प्रमुख व्यापारिक नगरों में पाटलिपुत्र, उज्जैन, काशी, कांची, आजन्ता, और सांची जैसे स्थान शामिल थे।
  • इन व्यापारिक केंद्रों में बाजार और हाट का आयोजन होता था, जो व्यापार के महत्त्वपूर्ण केंद्र थे। यहां व्यापारी भारतीय और विदेशी वस्त्र, मसाले, रत्न, धातु, और अन्य वस्तुओं का व्यापार करते थे।

निष्कर्ष (Conclusion)

पोस्ट-मौर्य काल भारतीय इतिहास में सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था। इस काल में धर्म, भाषा, साहित्य, और व्यापार के क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए। बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिंदू धर्म के विकास ने भारतीय समाज को एक नया दिशा दी, जबकि व्यापार और वाणिज्य ने भारत को एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र बना दिया।

FAQ

1. मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद कौन सा वंश सत्ता में आया?

मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद शुंग वंश सत्ता में आया। इस वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या करके की।

2. पुष्यमित्र शुंग कौन थे?

पुष्यमित्र शुंग मौर्य साम्राज्य के अंतिम सम्राट बृहद्रथ के सेनापति थे। उन्होंने बृहद्रथ की हत्या कर शुंग वंश की स्थापना की।

3. शुंग वंश की राजधानी कहां थी?

शुंग वंश की राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) थी।

4. शुंग वंश के प्रमुख शासक कौन थे?

पुष्यमित्र शुंग (संस्थापक) अग्निमित्र शुंग इसके अलावा अन्य शासक कमजोर माने जाते हैं।

5. शुंग वंश का शासनकाल किसके लिए प्रसिद्ध था?

शुंग वंश का शासनकाल सांस्कृतिक पुनर्जागरण और कला के विकास के लिए प्रसिद्ध था। बौद्ध धर्म के बजाय हिंदू धर्म को संरक्षण दिया गया। सांची के स्तूप का विस्तार किया गया।

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