Preamble of the Indian Constitution in hindi

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Preamble of the Indian Constitution in hindi

भारतीय संविधान की प्रस्तावना | Preamble of the Indian Constitution

परिचय

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) संविधान की आत्मा और दार्शनिक आधार मानी जाती है। यह संविधान के उद्देश्यों, मूल्यों और आदर्शों को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। प्रस्तावना यह दर्शाती है कि संविधान का निर्माण किन मूलभूत सिद्धांतों पर किया गया है और इसका लक्ष्य क्या है।

📌 केस संदर्भ:

  • केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावना संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) का हिस्सा है।
  • बेरी बनाम केरल राज्य (1958) मामले में इसे संविधान की कुंजी (Key to the Constitution) कहा गया।
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प्रस्तावना का मूल पाठ (Text of the Preamble)

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय;

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता;

प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए;

तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए;

दृढ़ संकल्प होकर, इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

📌 विशेष बात:

  • मूल संविधान में 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा तीन नए शब्द जोड़े गए:
    • समाजवादी” (Socialist)
    • पंथनिरपेक्ष” (Secular)
    • अखंडता” (Integrity)

प्रस्तावना के प्रमुख तत्व और उनकी व्याख्या

  1. हम, भारत के लोग” (We, the People of India)
  • यह दर्शाता है कि संविधान की सर्वोच्चता जनता में निहित है और इसे किसी राजा या बाहरी शक्ति ने लागू नहीं किया, बल्कि भारत के लोगों द्वारा स्वेच्छा से स्वीकार किया गया है।
  • यह लोकतांत्रिक भावना और लोकप्रिय संप्रभुता (Popular Sovereignty) का प्रतीक है।
  1. भारत को संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न” (Sovereign) घोषित करना
  • भारत किसी भी बाहरी शक्ति के नियंत्रण से मुक्त एक स्वतंत्र राष्ट्र है।
  • सरकार अपनी नीतियों और आंतरिक मामलों में स्वतंत्र निर्णय ले सकती है।
  • अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत स्वतंत्र रूप से संधियाँ और समझौते कर सकता है।

📌 उदाहरण: भारत ने परमाणु नीति और गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) में अपनी संप्रभुता बनाए रखी।

  1. समाजवादी (Socialist)
  • 42वें संशोधन (1976) द्वारा जोड़ा गया।
  • यह समाज में आर्थिक और सामाजिक समानता लाने की बात करता है।
  • भारत में समाजवाद का अर्थ गांधीवादी समाजवाद” है, जो राज्य के नियमन और कल्याणकारी नीतियों पर आधारित है।

📌 उदाहरण: राष्ट्रीयकरण, भूमि सुधार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मनरेगा आदि।

  1. पंथनिरपेक्ष (Secular)
  • 42वें संशोधन (1976) द्वारा जोड़ा गया।
  • भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा और राज्य सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान देगा।
  • इसका अर्थ है सर्वधर्म समभाव” (Equal respect for all religions)।

📌 उदाहरण: भारत में सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-28) प्राप्त है।

  1. लोकतंत्रात्मक (Democratic)
  • भारत में सरकार जनता द्वारा, जनता के लिए और जनता की सरकार है।
  • इसमें प्रतिनिधि लोकतंत्र (Representative Democracy) को अपनाया गया है, जिसमें वयस्क मताधिकार द्वारा चुनाव होते हैं।

📌 महत्व:

  • राजनीतिक लोकतंत्र – चुनाव, संसद, स्वतंत्र न्यायपालिका।
  • सामाजिक लोकतंत्र – समानता, आरक्षण नीति।
  1. गणराज्य (Republic)
  • भारत में कोई वंशानुगत राजा या सम्राट नहीं होगा, बल्कि जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि शासन करेगा।
  • राष्ट्रपति चुने जाते हैं, न कि जन्म से सत्ता प्राप्त करते हैं।

📌 महत्व: भारत में राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है।

 प्रस्तावना में उल्लिखित उद्देश्य (Objectives of the Preamble)

  1. न्याय (Justice) – सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
  • सामाजिक न्याय: जाति, लिंग, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव नहीं।
  • आर्थिक न्याय: संसाधनों का समान वितरण, गरीबी उन्मूलन।
  • राजनीतिक न्याय: सभी को समान राजनीतिक अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार।

📌 उदाहरण: अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण।

  1. स्वतंत्रता (Liberty) – विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना
  • नागरिकों को अपने विचार रखने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है।
  • सभी को अपने धर्म को मानने और उपासना करने का अधिकार है।

📌 उदाहरण: अनुच्छेद 19, 25-28 मौलिक अधिकारों में स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं।

  1. समता (Equality) – प्रतिष्ठा और अवसरों की समानता
  • सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं।
  • समान कार्य के लिए समान वेतन।

📌 उदाहरण: अनुच्छेद 14-18 (समानता के अधिकार) समानता की रक्षा करते हैं।

  1. बंधुता (Fraternity) – व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्रीय एकता और अखंडता
  • सभी नागरिकों के बीच भाईचारा और समरसता को बढ़ावा देना।
  • सामाजिक भेदभाव और सांप्रदायिकता को रोकना।

📌 उदाहरण: अनुच्छेद 51A नागरिकों को राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की जिम्मेदारी देता है।

प्रस्तावना की प्रकृति: क्या यह न्यायसंगत (Justiciable) है?

  • प्रस्तावना किसी भी न्यायालय में प्रत्यक्ष रूप से लागू नहीं की जा सकती, लेकिन यह संविधान की व्याख्या करने में मदद करती है।
  • केशवानंद भारती केस (1973) में सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) का हिस्सा माना।

📌 महत्व:

  • संविधान की व्याख्या में निर्देशक सिद्धांतों के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • संसद संविधान संशोधन करते समय प्रस्तावना के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती।

🔍 निष्कर्ष

संविधान की प्रस्तावना भारत के संवैधानिक ढांचे का सार प्रस्तुत करती है और इसे संविधान की प्रस्तावना (Philosophy of the Constitution) भी कहा जाता है। यह हमारे राष्ट्र के लोकतांत्रिक और समतामूलक आदर्शों को दर्शाती है।

📌 UPSC परीक्षा में महत्व:

  • प्रत्यक्ष प्रश्न: “भारतीय संविधान की प्रस्तावना का महत्व क्या है?”
  • निबंध: “संविधान की प्रस्तावना – भारतीय लोकतंत्र की आत्मा।”
  • Case Laws: “केशवानंद भारती केस में प्रस्तावना की भूमिका।”

संविधान की प्रस्तावना केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र का मूलभूत सिद्धांत है। 🚀

FAQ

1. भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) क्या है?

➤ प्रस्तावना भारतीय संविधान का परिचयात्मक भाग (Introduction) है, जो संविधान की आत्मा (Soul of the Constitution) मानी जाती है। यह संविधान के उद्देश्यों और मूल्यों को संक्षेप में प्रस्तुत करती है।

2. भारतीय संविधान की प्रस्तावना का मूल पाठ (Original Text) क्या है?

➤ भारतीय संविधान की प्रस्तावना इस प्रकार है:

“हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय;
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता;
प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए;
तथा उनमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए,
दृढ़ संकल्प होकर इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

3. भारतीय संविधान की प्रस्तावना के क्या प्रमुख तत्व हैं?

➤ भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निम्नलिखित प्रमुख तत्व हैं:

  1. संप्रभुता (Sovereign) – भारत किसी भी बाहरी शक्ति से स्वतंत्र है।

  2. समाजवाद (Socialist) – समानता और सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना।

  3. पंथनिरपेक्षता (Secularism) – सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण।

  4. लोकतंत्र (Democratic) – जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन।

  5. गणराज्य (Republic) – जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति, कोई राजा नहीं।

  6. न्याय (Justice) – सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय।

  7. स्वतंत्रता (Liberty) – विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता।

  8. समानता (Equality) – सभी नागरिकों को समान अवसर।

  9. बंधुता (Fraternity) – व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना।

4. प्रस्तावना में कौन-कौन से शब्द बाद में जोड़े गए थे?

42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा तीन नए शब्द जोड़े गए:

  • समाजवादी (Socialist)

  • पंथनिरपेक्ष (Secular)

  • राष्ट्रीय एकता और अखंडता (Unity & Integrity of the Nation)

5. क्या भारतीय संविधान की प्रस्तावना को बदला जा सकता है?

➤ हाँ, संविधान संशोधन के माध्यम से प्रस्तावना को बदला जा सकता है, लेकिन प्रस्तावना में दिए गए मूलभूत ढांचे (Basic Structure) को नहीं बदला जा सकता।

6. क्या प्रस्तावना भारतीय संविधान का हिस्सा है?

➤ हाँ, “केशवानंद भारती केस (1973)” में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है।

7. भारतीय संविधान की प्रस्तावना किससे प्रेरित है?

➤ भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिका के संविधान की प्रस्तावना से प्रेरित है।

8. प्रस्तावना को संविधान का ‘मूलभूत ढांचा’ क्यों कहा जाता है?

➤ क्योंकि इसमें संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है, जो संविधान के किसी भी भाग से अधिक महत्वपूर्ण हैं।

9. भारतीय संविधान की प्रस्तावना का उद्देश्य क्या है?

➤ प्रस्तावना का उद्देश्य भारत को एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाना और नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता प्रदान करना है।

10. प्रस्तावना को ‘संविधान की आत्मा’ किसने कहा?

केएम मुंशी और एन. एंबेडकर ने प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा है।

11. प्रस्तावना कब अपनाई गई थी?

➤ भारतीय संविधान की प्रस्तावना को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।

12. क्या प्रस्तावना को न्यायालय में लागू किया जा सकता है?

➤ नहीं, प्रस्तावना कानूनी रूप से लागू नहीं की जा सकती, लेकिन यह संविधान की व्याख्या करने में मदद करती है।

13. भारतीय संविधान में न्याय का क्या महत्व है?

➤ न्याय तीन रूपों में दिया गया है:

  • सामाजिक न्याय – जाति, लिंग और आर्थिक असमानता को समाप्त करना।

  • आर्थिक न्याय – सभी को समान आर्थिक अवसर।

  • राजनीतिक न्याय – सभी को समान राजनीतिक अधिकार।

14. संविधान की प्रस्तावना और मौलिक अधिकारों में क्या संबंध है?

➤ प्रस्तावना में उल्लिखित स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों को मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) में विस्तृत रूप में शामिल किया गया है।

15. प्रस्तावना में बंधुता (Fraternity) का क्या महत्व है?

बंधुता का अर्थ है आपसी भाईचारा, जो देश की एकता और अखंडता को मजबूत करता है।

16. क्या प्रस्तावना संविधान की प्रस्तावना के रूप में कानूनन बाध्यकारी (Legally Enforceable) है?

➤ नहीं, प्रस्तावना स्वयं किसी कानूनी बाध्यता को लागू नहीं कर सकती, लेकिन यह संविधान के बाकी प्रावधानों को समझने के लिए एक मार्गदर्शक है।

17. “हम, भारत के लोग” का क्या महत्व है?

➤ “हम, भारत के लोग” इस बात का प्रतीक है कि भारतीय संविधान जनता द्वारा बनाया गया और जनता के लिए बनाया गया है।

18. भारतीय संविधान की प्रस्तावना को ‘इंडियन मैग्ना कार्टा’ किसने कहा?

➤ भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “इंडियन मैग्ना कार्टा” कहा गया क्योंकि यह स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देती है, ठीक वैसे ही जैसे इंग्लैंड का मैग्ना कार्टा (1215)

19. क्या भारत पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष देश है?

➤ हाँ, प्रस्तावना में “पंथनिरपेक्ष (Secular)” शब्द जोड़ा गया था, जिसका अर्थ है कि सरकार किसी धर्म विशेष का समर्थन नहीं करेगी और सभी धर्मों को समान मान्यता देगी।

20. भारतीय संविधान की प्रस्तावना का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

➤ प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों को परिभाषित करती है और यह दर्शाती है कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका उद्देश्य न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता सुनिश्चित करना है।

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