Round Table Conferences in hindi

Round Table Conferences in hindi

प्रथम गोलमेज सम्मेलन (First Round Table Conference)

प्रथम गोलमेज सम्मेलन (First Round Table Conference) 12 नवम्बर 1930 को लंदन में शुरू हुआ और यह 19 जनवरी 1931 तक चला। यह सम्मेलन भारतीय राजनीति और ब्रिटिश शासन के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद था, जिसमें भारतीय राजनीति के विभिन्न नेताओं, ब्रिटिश अधिकारियों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया।

मुख्य कारण और उद्देश्य:

  • संविधान में सुधार: यह सम्मेलन ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय संविधान में सुधार करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था, ताकि भारतीयों को अधिक राजनीतिक अधिकार दिए जा सकें।
  • गांधी जी की अनुपस्थिति: इस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने भाग नहीं लिया, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने उन्हें और कांग्रेस को इसमें सम्मिलित नहीं किया था। कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया था।
  • अन्य नेताओं का प्रतिनिधित्व: इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बाहर अन्य राजनीतिक दलों और प्रतिनिधियों, जैसे मुस्लिम लीग, सिख नेताओं और प्रिंसली स्टेट्स के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
  • प्रमुख मुद्दे: इस सम्मेलन में भारतीय स्वराज की मांग, भारतीय प्रतिनिधित्व और संवैधानिक सुधारों पर चर्चा की गई।

महत्वपूर्ण घटनाएं:

  • बहिष्कार और असहमति: गांधी जी और कांग्रेस के बहिष्कार के कारण, इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न समुदायों और नेताओं के बीच असहमति देखने को मिली।
  • नतीजे: पहला गोलमेज सम्मेलन विफल रहा, क्योंकि कोई महत्वपूर्ण समझौता नहीं हुआ। ब्रिटिश सरकार और भारतीय नेताओं के बीच गंभीर मतभेद थे।
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द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference)

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference) 7 सितम्बर 1931 से 1 दिसम्बर 1931 तक लंदन में हुआ। इस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने भी भाग लिया, क्योंकि उन्हें कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच समझौता करने का अवसर मिला था। गांधी जी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड के बीच गांधी-इरविन समझौता हुआ था, जिसके बाद गांधी जी को सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण दिया गया।

मुख्य कारण और उद्देश्य:

  • गांधीइरविन समझौता: गांधी जी ने इस सम्मेलन में भाग लिया क्योंकि 1931 में गांधी-इरविन समझौता हुआ था, जिसके तहत ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को कुछ राजनीतिक अधिकार देने का वादा किया था।
  • भारतीय अधिकारों का मुद्दा: इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारतीय राजनीतिक अधिकारों और स्वराज की दिशा में सुधार करना था।

महत्वपूर्ण घटनाएं:

  • गांधी जी की भागीदारी: गांधी जी ने इस सम्मेलन में भारतीयों के अधिकारों की मांग की और ब्रिटिश सरकार के साम्राज्यवादी रवैये का विरोध किया।
  • सम्मेलन का विफल होना: सम्मेलन के बावजूद कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। विभिन्न समुदायों और दलों के बीच असहमति बनी रही।
  • सिख, मुस्लिम और अन्य समुदायों के मुद्दे: सिखों और मुस्लिमों ने अपनी अलग-अलग मांगें रखीं, जिससे यह सम्मेलन और जटिल हो गया।

नतीजे:

  • यह सम्मेलन भी पूरी तरह से असफल रहा, क्योंकि कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया। भारतीयों की स्वराज की मांग के प्रति ब्रिटिश सरकार का रवैया कठोर था।

तृतीय गोलमेज सम्मेलन (Third Round Table Conference)

तृतीय गोलमेज सम्मेलन (Third Round Table Conference) 17 नवम्बर 1932 से 24 दिसम्बर 1932 तक लंदन में हुआ। यह सम्मेलन भारतीय राजनीति और ब्रिटिश सरकार के बीच होने वाला तीसरा और अंतिम गोलमेज सम्मेलन था।

मुख्य कारण और उद्देश्य:

  • गांधी जी की जेल यात्रा: गांधी जी 1930 में नागरिक अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में थे। 1931 में गांधी-इरविन समझौते के बाद, ब्रिटिश सरकार ने उन्हें रिहा किया और वे तृतीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लंदन गए।
  • कांग्रेस का बहिष्कार: कांग्रेस ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया, क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वराज की मांग की थी, जो ब्रिटिश सरकार ने मानने से इंकार कर दिया था।
  • ब्रिटिश राजनीति में बदलाव: ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के प्रतिनिधित्व के सवाल पर जोर दिया, खासकर अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को लेकर।

महत्वपूर्ण घटनाएं:

  • नवीनतम सुधारों पर चर्चा: तृतीय गोलमेज सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधियों और ब्रिटिश अधिकारियों ने भारतीय राजनीति और सामाजिक सुधारों पर विचार किया।
  • सिख और मुस्लिम मुद्दे: सम्मेलन के दौरान सिखों, मुस्लिमों और अन्य समुदायों के बीच भागीदारी और अधिकारों के सवाल पर चर्चा हुई।
  • गांधी जी का दृष्टिकोण: गांधी जी ने इस सम्मेलन में भारतीयों के अधिकारों की वकालत की, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के बजाय उन्हे और जटिल बना दिया।

नतीजे:

  • सम्मेलन का असफल होना: तृतीय गोलमेज सम्मेलन भी किसी ठोस परिणाम पर नहीं पहुंच पाया। इस सम्मेलन का मुख्य कारण भारतीय राजनीति में कांग्रेस की अनुपस्थिति और ब्रिटिश सरकार के साथ भारतीय नेताओं के असहमतियों का बना रहा।

निष्कर्ष:

तीनों गोलमेज सम्मेलन भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ थे। इनमें विभिन्न भारतीय नेताओं और ब्रिटिश सरकार के बीच संवाद हुआ, लेकिन यह सम्मेलन भारतीयों के लिए स्वराज की माँग को पूरी करने में असफल रहे। गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस का बहिष्कार और विभिन्न समुदायों की अलग-अलग आवश्यकताएँ इन सम्मेलनों को नाकाम बना सकी। इसके बावजूद, इन सम्मेलनों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को और भी अधिक स्पष्ट किया और भारतीय नेताओं के लिए ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया।

FAQ

1. गोलमेज़ सम्मेलन क्या थे?

उत्तर: गोलमेज़ सम्मेलन 1930 से 1932 के बीच लंदन में ब्रिटिश सरकार द्वारा आयोजित तीन बैठकें थीं, जिनका उद्देश्य भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा करना था।

2. गोलमेज़ सम्मेलन कितने थे और कब हुए?

उत्तर: तीन गोलमेज़ सम्मेलन आयोजित किए गए— प्रथम गोलमेज़ सम्मेलन (1930) – 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931, द्वितीय गोलमेज़ सम्मेलन (1931) – 7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931, तृतीय गोलमेज़ सम्मेलन (1932) – 17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932

3. तृतीय गोलमेज़ सम्मेलन (1932) क्यों असफल रहा?

उत्तर: इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग नहीं लिया क्योंकि कई नेता जेल में थे।, ब्रिटिश सरकार और भारतीयों के बीच कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई।, सम्मेलन बिना किसी बड़े नतीजे के समाप्त हुआ।

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