Self-Help Groups in hindi
स्वयं सहायता समूह (Self-Help Groups – SHGs) और उनका सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान
🔹 भूमिका (Introduction)
स्वयं सहायता समूह (Self-Help Groups – SHGs) छोटे, स्वैच्छिक, और संगठित समूह होते हैं, जो आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए कार्य करते हैं। ये समूह आमतौर पर महिलाओं, किसानों, मजदूरों, और गरीब वर्गों के लिए बनाए जाते हैं और सामूहिक बचत, ऋण सुविधा, और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करते हैं।
भारत में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को NABARD और ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से बढ़ावा दिया गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और DAY-NRLM जैसे सरकारी कार्यक्रमों ने SHGs को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
🔹 SHG की परिभाषा और संरचना (Definition & Structure of SHGs)
✅ सदस्य संख्या – आमतौर पर 10-20 सदस्य होते हैं, जो समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
✅ सामूहिक बचत – समूह के सदस्य नियमित रूप से एक छोटी राशि बचत के रूप में जमा करते हैं।
✅ ऋण सुविधा – समूह अपनी बचत का उपयोग छोटे ऋण देने के लिए करता है।
✅ बैंक लिंकेज – SHGs को बैंक से जोड़ा जाता है और उन्हें ब्याज रहित या रियायती दरों पर ऋण दिया जाता है।
🔹 भारत में SHG आंदोलन का विकास (Development of SHG Movement in India)
📌 1982 – NABARD द्वारा स्व-सहायता समूहों का विचार पेश किया गया।
📌 1992 – NABARD ने “SHG-Bank Linkage Programme” की शुरुआत की।
📌 1999 – स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY) के तहत SHG को बढ़ावा।
📌 2011 – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) शुरू हुआ।
📌 2015 – प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत SHGs को ऋण देने में वृद्धि।
🔹 SHG की विशेषताएँ (Features of Self-Help Groups)
🔹 1. सामूहिक बचत और ऋण सुविधा – सदस्य मिलकर पूंजी एकत्रित करते हैं और जरूरतमंदों को ऋण देते हैं।
🔹 2. महिला सशक्तिकरण – भारत में 80% से अधिक SHGs महिलाओं के लिए हैं।
🔹 3. आर्थिक आत्मनिर्भरता – कुटीर उद्योग, पशुपालन, सिलाई, कृषि आदि में मदद।
🔹 4. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) – बैंक और माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं से जोड़ने में मदद।
🔹 5. सामाजिक उत्थान – शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता अभियानों में योगदान।
🔹 SHGs के लाभ (Benefits of SHGs in India)
- महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment)
✅ महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।
✅ महिला साक्षरता दर और स्वास्थ्य सुधार में योगदान।
✅ उदाहरण: “SEWA (Self-Employed Women’s Association)” – महिलाओं को स्वरोजगार और वित्तीय स्वतंत्रता दिलाने में मदद करता है।
- गरीबी उन्मूलन और आजीविका सुधार (Poverty Alleviation & Livelihood Improvement)
✅ ग्रामीण गरीबों को स्वरोजगार और ऋण की सुविधा प्रदान करता है।
✅ PMEGP (Prime Minister Employment Generation Programme) के तहत SHGs को उद्योग लगाने में मदद।
- वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion)
✅ बैंकों और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में मदद।
✅ SHG-Bank Linkage Programme (SBLP) के तहत करोड़ों लोगों को बैंकिंग से जोड़ा गया।
- ग्रामीण विकास और स्वरोजगार (Rural Development & Self-Employment)
✅ कपड़ा उद्योग, बकरी पालन, मत्स्य पालन, जैविक खेती, कुटीर उद्योग को बढ़ावा।
✅ उदाहरण – “Lijjat Papad” एक सफल महिला SHG उद्यम है।
- सामाजिक परिवर्तन और समावेश (Social Transformation & Inclusion)
✅ SHGs बाल विवाह, दहेज प्रथा, शराबबंदी, घरेलू हिंसा के खिलाफ जागरूकता फैलाते हैं।
✅ उदाहरण – “ग्राम विकास मंडल, महाराष्ट्र” ने सामाजिक सुधार के लिए उत्कृष्ट कार्य किए।
🔹 भारत में प्रमुख SHG कार्यक्रम (Major SHG Initiatives in India)
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) – 2011
- गरीबों को वित्तीय सहायता और स्वरोजगार का अवसर।
- लक्ष्य: 2024 तक 10 करोड़ परिवारों को SHGs से जोड़ना।
- दीनदयाल अंत्योदय योजना (DAY-NRLM)
- गरीबों को उच्चतम ऋण सुविधा प्रदान करना।
- महिला SHGs को रियायती ब्याज दरों पर ऋण।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) – 2015
- छोटे उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का ऋण।
- 50% से अधिक लाभार्थी महिलाएँ और SHGs से जुड़े लोग।
- SHG-Bank Linkage Programme (SBLP) – 1992
- NABARD द्वारा संचालित।
- बैंक और SHG को जोड़ने वाला भारत का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम।
🔹 SHG के सामने चुनौतियाँ (Challenges Faced by SHGs in India)
🔴 1. ऋण की कमी (Lack of Credit Access) – कई SHGs को पर्याप्त ऋण नहीं मिल पाता।
🔴 2. बाज़ार की सीमाएँ (Market Linkages Issue) – SHG उत्पादों को बेचने के लिए मजबूत बाज़ार नहीं है।
🔴 3. प्रशासनिक समस्याएँ (Administrative Issues) – SHGs के प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी।
🔴 4. पुरुष प्रधान समाज में बाधाएँ (Gender Bias & Patriarchy) – महिलाओं को निर्णय लेने में कठिनाइयाँ।
🔴 5. प्रशिक्षण और कौशल विकास की कमी (Lack of Training & Skill Development) – सही प्रशिक्षण और टेक्नोलॉजी का अभाव।
🔹 SHGs को मजबूत करने के लिए सुझाव (Way Forward for Strengthening SHGs)
✅ 1. वित्तीय सहायता और ऋण सुविधा बढ़ाना (Enhanced Credit Access & Financial Assistance)
- SHGs को ब्याज रहित ऋण और अनुदान देना चाहिए।
- बैंकों और NBFCs को SHGs को अधिक ऋण देने के लिए प्रोत्साहित करना।
✅ 2. डिजिटल वित्तीय समावेशन (Digital & Financial Inclusion)
- SHGs को UPI, ऑनलाइन भुगतान और डिजिटल लेन-देन से जोड़ना चाहिए।
✅ 3. बाज़ार तक पहुंच बढ़ाना (Improving Market Linkages)
- SHG उत्पादों के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाए जाने चाहिए।
- सरकार को स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में SHG उत्पादों को प्रमोट करना चाहिए।
✅ 4. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण (Training & Capacity Building)
- महिलाओं के लिए डिजिटल और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम चलाने चाहिए।
- ग्रामीण स्तर पर तकनीकी कौशल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।
✅ 5. सरकारी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन (Effective Implementation of Government Schemes)
- SHGs को स्वरोजगार और महिला सशक्तिकरण योजनाओं से जोड़ना चाहिए।
🔹 संभावित UPSC प्रश्न (Possible UPSC Questions on SHGs)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- SHG-Bank Linkage Programme (SBLP) किसके द्वारा शुरू किया गया था?
- NRLM और DAY-NRLM का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- भारत में पहला SHG किस राज्य में शुरू किया गया था?
मुख्य परीक्षा (Mains):
- “भारत में स्वयं सहायता समूह (SHGs) ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण में कैसे योगदान देते हैं?” (15 अंक, 250 शब्द)
- “SHGs को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक सुधारों पर चर्चा करें।” (15 अंक, 250 शब्द)
FAQ
1. स्वयं सहायता समूह (SHG) क्या होता है?
2. SHG का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर: SHG का मुख्य उद्देश्य गरीब और वंचित लोगों, विशेषकर महिलाओं, को आत्मनिर्भर बनाना, छोटी आर्थिक जरूरतों को पूरा करना और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में मदद करना है।
3. SHG कैसे काम करता है?
उत्तर:
-
सदस्य नियमित रूप से एक निश्चित राशि जमा करते हैं।
-
इस बचत से समूह के सदस्य आपस में छोटे ऋण ले सकते हैं।
-
ऋण समय पर चुकाना होता है और ब्याज समूह द्वारा तय किया जाता है।
-
समूह सामूहिक निर्णयों से चलता है।
4. SHG में कौन सदस्य बन सकता है?
उत्तर: कोई भी महिला या पुरुष, जो आर्थिक रूप से कमजोर है और समाज सेवा या आत्मनिर्भरता की भावना रखता है, SHG का सदस्य बन सकता है। अधिकतर SHG केवल महिलाओं के लिए होते हैं।
5. SHG को वित्तीय सहायता कहाँ से मिलती है?
उत्तर:
-
बैंक ऋण (सरकारी योजनाओं के तहत आसान शर्तों पर)
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NABARD, NRLM, या राज्य सरकारों की योजनाओं से सहायता
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NGO या CSR से आर्थिक समर्थन
6. SHG से जुड़ने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
-
छोटे ऋण आसानी से मिल जाते हैं
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आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता है
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व्यवसाय या लघु उद्योग शुरू करने में मदद मिलती है
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आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता बढ़ती है
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सामाजिक पहचान और एकता में वृद्धि होती है
7. क्या SHG कोई व्यवसाय कर सकता है?
उत्तर: हाँ, SHG अपने समूह के सदस्यों के साथ मिलकर छोटे उद्योग, सिलाई, कढ़ाई, अगरबत्ती बनाना, डेयरी, कृषि आदि जैसे व्यवसाय कर सकता है और सामूहिक आय अर्जित कर सकता है।
8. क्या SHG सरकारी योजनाओं से जुड़ सकता है?
उत्तर: हाँ, SHG को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM), महिला शक्ति केंद्र योजना जैसी कई योजनाओं से जोड़ा जाता है।
9. SHG में बैंक खाता कैसे खोला जाता है?
उत्तर: SHG को एक नाम से पंजीकृत कर समूह का खाता खोला जाता है। इसके लिए समूह के दो-तीन प्रतिनिधियों के पहचान पत्र और बैठक की कार्यवाही (Minutes of Meeting) की कॉपी बैंक को देनी होती है।
10. क्या SHG केवल ग्रामीण क्षेत्रों में होते हैं?
उत्तर: नहीं, SHG शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बनाए जा सकते हैं। हालांकि, यह मॉडल ग्रामीण भारत में अधिक प्रचलित और सफल रहा है।