United nations in hindi
संयुक्त राष्ट्र संगठन (United Nations Organisation, UNO) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जिसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को की गई थी। इसका उद्देश्य वैश्विक शांति, सुरक्षा, और विकास को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र संगठन में 193 सदस्य देश शामिल हैं और इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।
संयुक्त राष्ट्र संगठन के उद्देश्य:
- अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना:
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- UNO का मुख्य उद्देश्य वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। यह दुनिया भर में युद्ध, संघर्ष और हिंसा को रोकने के लिए कार्य करता है।
- UNO शांति अभियानों के माध्यम से देशों के बीच विवादों को शांतिपूर्वक हल करने का प्रयास करता है।
- राष्ट्रीय अधिकारों की रक्षा:
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- UNO का उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा करना है। यह सभी देशों में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और किसी भी प्रकार के भेदभाव, उत्पीड़न या असमानता के खिलाफ काम करता है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना:
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- UNO देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलें करता है। यह देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए काम करता है।
- सामाजिक और आर्थिक विकास:
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- UNO का उद्देश्य दुनिया भर में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यह गरीबी, अशिक्षा, और बेरोजगारी जैसी समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करता है।
- अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना:
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- UNO का एक और प्रमुख उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों को लागू करना और देशों को उनके नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है। यह अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का संचालन करता है।
- पर्यावरण का संरक्षण:
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- UNO पर्यावरणीय समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है और जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वन्यजीव संरक्षण आदि के लिए विभिन्न पहल करता है।
- समाज के भीतर समानता और न्याय को बढ़ावा देना:
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- UNO का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों, और अन्य सामाजिक समूहों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है।
संयुक्त राष्ट्र संगठन के प्रमुख अंग:
- साधारण सभा (General Assembly):
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- इसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह निर्णय लेने का प्रमुख मंच है और यहां हर देश को एक वोट मिलता है।
- सुरक्षा परिषद (Security Council):
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- यह परिषद शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। इसमें 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी सदस्य (संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, और चीन) और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice):
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- यह न्यायिक अंग है जो देशों के बीच विवादों का समाधान करता है।
- संयुक्त राष्ट्र सचिवालय (United Nations Secretariat):
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- यह UNO का प्रशासनिक अंग है, जिसे संगठन की गतिविधियों को चलाने का जिम्मा सौंपा गया है।
- आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC):
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- यह परिषद आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करती है।
संयुक्त राष्ट्र संगठन वैश्विक शांति और सहयोग के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह विश्वभर में समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत है।
संयुक्त राष्ट्र संगठन के निर्माण से जुड़ी प्रमुख घटनाएँ और कारक:
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) की स्थापना के लिए कई ऐतिहासिक घटनाएँ और कारक योगदान देने वाले थे। यह संगठन द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के बाद वैश्विक शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए गठित किया गया था। इसके निर्माण के पीछे कई प्रमुख घटनाएँ और कारक थे, जिनकी वजह से UNO की आवश्यकता महसूस हुई।
- द्वितीय विश्व युद्ध:
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- द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) ने विश्व को भयंकर विध्वंस और विनाश का सामना कराया। इस युद्ध ने दुनिया भर में लाखों लोगों की जानें लीं और देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचाया। युद्ध के कारण वैश्विक शांति और सुरक्षा के महत्व को और भी अधिक महसूस किया गया।
- युद्ध के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने यह महसूस किया कि विश्व युद्धों को रोकने के लिए एक स्थायी और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता है।
- लीग ऑफ नेशंस (League of Nations) का असफलता:
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- प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के बाद, शांति स्थापित करने के लिए “लीग ऑफ नेशंस” का गठन किया गया था। हालांकि यह संगठन था, लेकिन यह अपने उद्देश्यों को पूरा करने में असफल रहा, खासकर युद्धों को रोकने और वैश्विक विवादों को हल करने में।
- 1930 के दशक में हुए युद्धों (जैसे, इटली का एथियोपिया पर आक्रमण) और जापान द्वारा मांचुरिया पर कब्जा करने के दौरान लीग ऑफ नेशंस निष्क्रिय साबित हुआ। इसका एक बड़ा कारण यह था कि प्रमुख शक्तियाँ, जैसे अमेरिका, इस संगठन से बाहर थीं और यह संगठन प्रभावी निर्णय नहीं ले पा रहा था।
- अटलांटिक चार्टर (Atlantic Charter):
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- 14 अगस्त 1941 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट ने “अटलांटिक चार्टर” पर हस्ताक्षर किए। यह चार्टर युद्ध के बाद एक बेहतर और स्थिर विश्व व्यवस्था की परिकल्पना प्रस्तुत करता था।
- इस चार्टर में सामाजिक और आर्थिक प्रगति, देशों के आत्मनिर्णय के अधिकार, और भविष्य में शांति बनाए रखने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाने का प्रस्ताव था।
- याल्टा सम्मेलन (Yalta Conference):
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- फरवरी 1945 में याल्टा, सोवियत संघ (अब रूस) में हुए इस सम्मेलन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल, अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट, और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने युद्ध के बाद की वैश्विक व्यवस्था पर चर्चा की। यहाँ पर संयुक्त राष्ट्र संगठन के गठन का खाका तैयार किया गया और इसके उद्देश्यों और संरचना पर सहमति बनाई गई।
- संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की प्रक्रिया:
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- 25 अप्रैल 1945 को, 50 देशों के प्रतिनिधियों ने सैन फ्रांसिस्को में एक सम्मेलन में भाग लिया, जहां उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संगठन की चार्टर (संविधान) पर हस्ताक्षर किए। यह सम्मेलन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक नया वैश्विक संगठन स्थापित करने के उद्देश्य से हुआ था।
- 24 अक्टूबर 1945 को, चार्टर के अनुमोदन के बाद संयुक्त राष्ट्र संगठन की औपचारिक स्थापना हुई। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र दिवस (United Nations Day) के रूप में मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संगठन के विकास की प्रमुख घटनाएँ:
- प्रारंभिक वर्षों (1945-1950):
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- युद्ध के बाद, संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना था। इस दौरान, संयुक्त राष्ट्र ने शांति अभियानों, युद्ध अपराधियों के खिलाफ मुकदमे और युद्ध-क्षेत्रों में पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू की।
- शीत युद्ध (1947-1991):
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- शीत युद्ध के दौरान, संयुक्त राष्ट्र ने युद्ध के संभावित खतरों को कम करने के लिए कार्य किया, लेकिन अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव के कारण यह संगठन कभी-कभी निष्क्रिय हो जाता था।
- हालांकि, इस दौरान संयुक्त राष्ट्र ने कई शांति मिशन, मानवाधिकार सुरक्षा, और विकास कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 1980 और 1990 के दशक में बदलाव:
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- 1989 में सोवियत संघ के पतन के बाद, संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आए। शीत युद्ध समाप्त होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने अधिक प्रभावी शांति अभियानों की शुरुआत की और अंतरराष्ट्रीय विवादों के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाई।
- आधुनिक काल (2000 से अब तक):
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- 21वीं सदी में, संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी, और सामाजिक असमानता पर ध्यान केंद्रित किया।
- 2000 में “सतत विकास लक्ष्यों” (SDGs) को अपनाया गया, जिसका उद्देश्य गरीबी को समाप्त करना, ग्रह की रक्षा करना और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित करना था।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र संगठन का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक शांति, सुरक्षा, और विकास को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। इसकी स्थापना के लिए कई ऐतिहासिक घटनाएँ और कारक जिम्मेदार थे, जिनमें लीग ऑफ नेशंस की विफलता, अटलांटिक चार्टर और याल्टा सम्मेलन जैसी घटनाएँ प्रमुख थीं। संयुक्त राष्ट्र ने समय-समय पर अपने कार्यक्षेत्र को बढ़ाया और विभिन्न वैश्विक समस्याओं का समाधान करने के लिए सक्रिय कदम उठाए।
संयुक्त राष्ट्र संगठन की संरचना (Organizational Structure of the UN)
संयुक्त राष्ट्र संगठन (United Nations, UNO) की संरचना बहुत जटिल और विविध है, जिसमें विभिन्न अंग और निकाय शामिल हैं। प्रत्येक अंग का विशेष कार्य और उद्देश्य है, जो वैश्विक शांति, सुरक्षा, मानवाधिकारों, विकास, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
- साधारण सभा (General Assembly):
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- संरचना: इसमें सभी 193 सदस्य देशों के प्रतिनिधि होते हैं। प्रत्येक सदस्य देश को एक वोट मिलता है।
- कार्य: यह UNO का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाला निकाय है। साधारण सभा में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाती है और इसके माध्यम से निर्णय लिए जाते हैं। इसमें हर साल एक सत्र होता है, और इसमें सदस्य देशों के प्रमुख प्रतिनिधि अपने देशों के विचार प्रस्तुत करते हैं।
- कार्यों का दायरा: शांति, सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय कानून, मानवाधिकार, और वैश्विक विकास के मुद्दों पर चर्चा।
- सुरक्षा परिषद (Security Council):
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- संरचना: इसमें 15 सदस्य होते हैं, जिनमें से 5 स्थायी सदस्य (संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, और चीन) हैं, और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं जो दो साल के लिए चुने जाते हैं।
- कार्य: सुरक्षा परिषद का मुख्य उद्देश्य वैश्विक शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है। यह अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के समाधान, शांति अभियानों का संचालन, और सैन्य कार्रवाई को मंजूरी देने का अधिकार रखता है।
- स्थायी सदस्य का विशेष अधिकार: सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के पास वीटो अधिकार होता है, यानी अगर इनमें से कोई भी सदस्य किसी प्रस्ताव पर असहमत होता है तो वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता।
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice, ICJ):
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- संरचना: यह संयुक्त राष्ट्र का न्यायिक अंग है, जिसमें 15 न्यायधीश होते हैं, जो 9 साल के लिए चुने जाते हैं।
- कार्य: ICJ देशों के बीच कानूनी विवादों का समाधान करता है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के आधार पर निर्णय देता है। इसके अलावा यह संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों के कानूनी सवालों पर राय भी देता है।
- मुख्यालय: इसका मुख्यालय हाग, नीदरलैंड्स में स्थित है।
- संयुक्त राष्ट्र सचिवालय (United Nations Secretariat):
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- संरचना: सचिवालय का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र के महासचिव (Secretary-General) द्वारा किया जाता है, जो 5 साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं। महासचिव को सदस्य देशों के द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- कार्य: सचिवालय UNO के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करता है और सभी कार्यों को संपन्न करने के लिए आवश्यक रिपोर्ट तैयार करता है। यह संगठन के सभी दिन-प्रतिदिन के कामों को संभालता है और संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंगों को मदद प्रदान करता है।
- सचिवालय का दायरा: यह विभिन्न विभागों द्वारा दुनिया भर में शांति अभियानों, विकास परियोजनाओं, और मानवाधिकार कार्यों को प्रबंधित करता है।
- आर्थिक और सामाजिक परिषद (Economic and Social Council, ECOSOC):
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- संरचना: यह 54 सदस्य देशों से बना होता है, जिनमें से सदस्य देशों का चुनाव हर तीन साल में होता है।
- कार्य: ECOSOC का मुख्य कार्य सामाजिक और आर्थिक समस्याओं पर चर्चा करना है। यह संयुक्त राष्ट्र के लिए विकासशील देशों में सामाजिक और आर्थिक सुधारों की योजना बनाता है, और यह सदस्य देशों की नीतियों के समन्वय के लिए भी काम करता है।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव (Secretary-General):
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- कार्य: महासचिव संयुक्त राष्ट्र के प्रशासन और संगठन के विभिन्न कार्यों के समन्वय का प्रमुख है। वह संगठन के प्रमुख प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हैं और शांति के मामलों में हस्तक्षेप कर सकते हैं। महासचिव संयुक्त राष्ट्र की नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
विशेष निकाय और एजेंसियाँ (Specialized Agencies and Bodies):
संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत कई विशेष एजेंसियाँ और निकाय भी कार्यरत हैं, जिनका उद्देश्य विशिष्ट क्षेत्रों में कार्य करना है। इनमें प्रमुख हैं:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization, WHO): स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर काम करता है।
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF): बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उनकी भलाई के लिए काम करता है।
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR): शरणार्थियों और शरण प्राप्त करने वालों की मदद करता है।
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO): शिक्षा, विज्ञान, और संस्कृति के क्षेत्र में काम करता है।
- अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization, ILO): श्रमिकों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए काम करता है।
- विश्व बैंक (World Bank): आर्थिक विकास और ऋण प्रदान करने वाली संस्था है।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र संगठन की संरचना विविध और जटिल है, जिसमें कई अंग और निकाय शामिल हैं, जो विभिन्न कार्यों को अंजाम देने के लिए समर्पित हैं। इसका उद्देश्य वैश्विक शांति, सुरक्षा, मानवाधिकारों, और सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना है। प्रत्येक अंग और निकाय अपने-अपने कार्यक्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ताकि विश्व स्तर पर समस्याओं का समाधान किया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र का संगठनात्मक ढांचा क्या है?
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) की संरचना और गठन बहुत जटिल है, जिसमें विभिन्न अंग, सदस्य देश और निकाय शामिल हैं। यह एक वैश्विक संगठन है जो अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार, सामाजिक और आर्थिक विकास, और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करता है। संयुक्त राष्ट्र की संरचना (Composition) में निम्नलिखित मुख्य अंग और घटक शामिल हैं:
1. साधारण सभा (General Assembly)
- संरचना: इसमें 193 सदस्य देशों के प्रतिनिधि होते हैं, जिनमें से प्रत्येक देश को एक वोट का अधिकार होता है।
- कार्य: साधारण सभा UNO का प्रमुख निर्णय लेने वाला निकाय है, जहां वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है और निर्णय लिए जाते हैं। यह हर साल एक बार बैठक करता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश अपने विचार और चिंताएँ प्रस्तुत करता है।
2. सुरक्षा परिषद (Security Council)
- संरचना: सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं:
- 5 स्थायी सदस्य: संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन।
- 10 अस्थायी सदस्य: ये सदस्य हर दो साल में चुने जाते हैं और दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हैं।
- कार्य: सुरक्षा परिषद का मुख्य कार्य वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। यह शांति स्थापना मिशनों, सैन्य कार्रवाई की अनुमति देने, और देशों के बीच विवादों के समाधान में भूमिका निभाता है।
- वीटो अधिकार: स्थायी सदस्य देशों को वीटो (असहमति) का अधिकार होता है, जिसका मतलब है कि कोई भी प्रस्ताव यदि इनमें से एक भी सदस्य असहमत हो, तो वह प्रस्ताव पास नहीं हो सकता।
3. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice, ICJ)
- संरचना: यह न्यायिक अंग 15 न्यायधीशों से बना होता है, जो 9 साल के लिए चुने जाते हैं।
- कार्य: ICJ का कार्य देशों के बीच कानूनी विवादों का निवारण करना और अंतरराष्ट्रीय कानून के मामलों में सलाह देना है। इसका मुख्यालय हाग, नीदरलैंड्स में स्थित है।
4. संयुक्त राष्ट्र सचिवालय (United Nations Secretariat)
- संरचना: सचिवालय का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव (Secretary-General) द्वारा किया जाता है। महासचिव को सदस्य देशों द्वारा चुना जाता है और उनकी नियुक्ति पांच वर्षों के लिए होती है। सचिवालय के अन्य कर्मचारी संगठन के विभिन्न कार्यों को संचालन और समन्वय करने में मदद करते हैं।
- कार्य: सचिवालय का कार्य संयुक्त राष्ट्र के प्रशासनिक और दैनिक कार्यों को संभालना है। यह विभिन्न निकायों की गतिविधियों का संचालन करता है और रिपोर्ट तैयार करता है।
5. आर्थिक और सामाजिक परिषद (Economic and Social Council, ECOSOC)
- संरचना: ECOSOC में 54 सदस्य देशों का चुनाव होता है, जो तीन साल के लिए चुने जाते हैं। सदस्य देशों का चुनाव साधारण सभा द्वारा किया जाता है।
- कार्य: इसका उद्देश्य दुनिया भर में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न विकास कार्यक्रमों, मानवीय सहायता, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर काम करता है।
6. संयुक्त राष्ट्र महासचिव (Secretary-General)
- संरचना: महासचिव संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च अधिकारी होते हैं और उनका चयन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा होता है। वे संगठन के मामलों का संचालन करते हैं और संयुक्त राष्ट्र के कार्यों को लागू करते हैं।
- कार्य: महासचिव की भूमिका संगठन के कार्यक्रमों और नीतियों को लागू करने, शांति प्रयासों का नेतृत्व करने, और संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने की है।
7. विशेष एजेंसियाँ और निकाय (Specialized Agencies and Bodies)
संयुक्त राष्ट्र के तहत कई विशेष एजेंसियाँ और निकाय हैं, जिनका उद्देश्य विशिष्ट क्षेत्रों में कार्य करना है। इनमें प्रमुख हैं:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO): स्वास्थ्य से संबंधित वैश्विक समस्याओं पर काम करता है।
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF): बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है।
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR): शरणार्थियों की सहायता करता है।
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO): शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में काम करता है।
- अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO): श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण के लिए काम करता है।
- विश्व बैंक (World Bank): वैश्विक विकास और वित्तीय सहायता के लिए काम करता है।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र संगठन की संरचना बहुत जटिल और विविध है, जिसमें विभिन्न अंगों और निकायों का योगदान है। इसका उद्देश्य वैश्विक शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार, और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। प्रत्येक अंग और निकाय अपनी विशिष्ट भूमिका निभाता है ताकि अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का समाधान किया जा सके और सभी देशों के बीच सहयोग बढ़ाया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र के महत्वपूर्ण योगदान क्या हैं?
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक वैश्विक शांति, सुरक्षा, विकास, मानवाधिकार और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। यहाँ पर UNO के कुछ प्रमुख योगदानों को विस्तार से बताया गया है:
1. वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखना
- शांति अभियानों का संचालन: संयुक्त राष्ट्र ने कई शांति अभियानों की शुरुआत की है, जैसे कि कश्मीर, साइप्रस, और अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों में। इन अभियानों का उद्देश्य संघर्षों को शांतिपूर्वक सुलझाना और युद्ध की स्थिति में हस्तक्षेप करना है।
- संघर्षों का समाधान: सुरक्षा परिषद और महासचिव की पहल पर कई संघर्षों का समाधान किया गया है। UNO ने देशों के बीच शांति समझौते कराए हैं, जैसे कि मध्य-पूर्व में इज़राइल और अरब देशों के बीच।
- सैन्य हस्तक्षेप: जब संघर्षों को शांतिपूर्वक हल नहीं किया जा सका, तो संयुक्त राष्ट्र ने सैन्य हस्तक्षेप भी किया, जैसे कि कोरियाई युद्ध (1950-1953) और कुवैत युद्ध (1990-1991) में।
2. मानवाधिकारों की रक्षा
- विश्व मानवाधिकार घोषणा (1948): UNO ने 1948 में विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र (Universal Declaration of Human Rights) को अपनाया, जो आज भी मानवाधिकारों के वैश्विक मानकों का मार्गदर्शन करता है। यह घोषणा सभी व्यक्तियों को समान अधिकारों, स्वतंत्रता और गरिमा का आश्वासन देती है।
- मानवाधिकार परिषद (Human Rights Council): संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार परिषद की स्थापना की, जो मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने और सुधारने के लिए निगरानी रखता है।
- मानवाधिकारों की शिक्षा और जागरूकता: UNO दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनका प्रचार करने का काम करता है।
3. विकास और गरीबी उन्मूलन
- सतत विकास लक्ष्य (SDGs): 2015 में, संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals, SDGs) को अपनाया, जो 2030 तक दुनिया भर में गरीबी खत्म करने, शैक्षिक स्तर को सुधारने, जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण और अन्य सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को हल करने का लक्ष्य रखते हैं।
- विकासशील देशों के लिए सहायता: UNO, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और विश्व बैंक के माध्यम से विकासशील देशों को वित्तीय सहायता और तकनीकी मदद प्रदान करता है, ताकि वे अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।
4. वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO): WHO के माध्यम से UNO ने वैश्विक स्वास्थ्य संकटों का समाधान किया है, जैसे कि पोलियो उन्मूलन अभियान, HIV/AIDS की रोकथाम और कोविड-19 महामारी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग।
- वैश्विक टीकाकरण अभियान: UNO ने पोलियो और अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ वैश्विक टीकाकरण अभियान चलाए हैं, जो लाखों बच्चों को बचाने में मददगार रहे हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: UNO ने गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रमों का संचालन किया है।
5. मानवतावादी सहायता और आपातकालीन राहत
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR): यह एजेंसी शरणार्थियों को सुरक्षा, सहायता, और पुनर्वास प्रदान करती है। UNO ने युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं और अन्य संकटों से प्रभावित लोगों की मदद के लिए आपातकालीन राहत अभियान चलाए हैं।
- आपदा राहत: UNO द्वारा प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, और तूफानों के बाद आपातकालीन सहायता प्रदान की जाती है। UNO ने Haiti, Nepal और Indonesia जैसे देशों में बड़े पैमाने पर आपातकालीन राहत कार्य किए हैं।
6. पर्यावरण संरक्षण
- जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई: UNO ने जलवायु परिवर्तन पर कड़ा ध्यान दिया है और पेरिस जलवायु समझौता (2015) जैसे वैश्विक समझौतों के माध्यम से देशों को ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रेरित किया है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP): UNEP पर्यावरणीय मुद्दों पर काम करता है, जैसे प्रदूषण की रोकथाम, जैव विविधता का संरक्षण, और स्थायी संसाधन प्रबंधन।
7. शिक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO): UNESCO ने शिक्षा, विज्ञान, और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसने दुनिया भर में शिक्षा के स्तर को सुधारने, महिलाओं और बच्चों के लिए समान अवसर प्रदान करने और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए कार्य किए हैं।
- विश्व धरोहर स्थलों का संरक्षण: UNESCO ने कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है, ताकि इनकी सुरक्षा और संरक्षण किया जा सके।
8. न्यूक्लियर अप्रसार और परमाणु हथियारों पर नियंत्रण
- न्यूक्लियर अप्रसार संधि (NPT): UNO ने परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और न्यूक्लियर युद्ध की संभावना को कम करने के लिए न्यूक्लियर अप्रसार संधि (NPT) को बढ़ावा दिया है।
- अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA): IAEA परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देता है और परमाणु हथियारों के विकास पर निगरानी रखता है।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र संगठन ने वैश्विक शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार, विकास, और पर्यावरणीय संरक्षण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके विभिन्न अंगों, एजेंसियों और कार्यक्रमों के माध्यम से UNO ने लाखों लोगों की मदद की है और वैश्विक स्तर पर अनेक समस्याओं का समाधान किया है। संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियाँ दुनिया भर में समृद्धि, शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए निरंतर जारी हैं।
संयुक्त राष्ट्र की चुनौतियाँ और सीमाएँ क्या हैं?
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) एक वैश्विक संस्था है जिसका उद्देश्य शांति, सुरक्षा, विकास, और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना है। हालांकि, इसके कई महत्वपूर्ण योगदान हैं, लेकिन UNO को कुछ चुनौतियों और सीमाओं का भी सामना करना पड़ता है। निम्नलिखित कुछ प्रमुख चुनौतियाँ और सीमाएँ हैं जिनका संयुक्त राष्ट्र को सामना करना पड़ता है:
1. सुरक्षा परिषद में वीटो अधिकार
- चुनौती: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों (संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, और चीन) के पास वीटो (असहमति) का अधिकार है। इसका मतलब है कि यदि इनमें से कोई भी सदस्य किसी प्रस्ताव से असहमत होता है, तो वह प्रस्ताव मंजूर नहीं हो सकता।
- सीमा: यह वीटो अधिकार सुरक्षा परिषद की प्रभावशीलता को सीमित करता है, क्योंकि कभी-कभी सदस्य देशों के राजनीतिक हितों के कारण शांति और सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी विफल हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, सीरिया और यूक्रेन के संकटों में सुरक्षा परिषद प्रभावी निर्णय लेने में विफल रही है।
2. संघर्षों का समाधान करने में अक्षमता
- चुनौती: संयुक्त राष्ट्र के पास सैन्य बल नहीं होता है और वह केवल शांति अभियानों के माध्यम से हस्तक्षेप कर सकता है। इसके अलावा, कई बार सुरक्षा परिषद में असहमति के कारण संघर्षों का समाधान नहीं हो पाता है।
- सीमा: कई मामलों में, UNO शांति बनाए रखने और संघर्षों के समाधान में असफल रही है। जैसे कि सीरिया, यमन, और दक्षिण सूडान में चल रहे संघर्षों में UNO का प्रभाव सीमित रहा है।
3. विकासशील देशों की उपेक्षा
- चुनौती: संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निर्णयों और कार्यक्रमों में अक्सर विकासशील देशों की आवाज को अनसुना किया जाता है, क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक निर्णयों में अधिक प्रभावी नहीं होते हैं।
- सीमा: UNO के कई निर्णय विकसित देशों के हितों के पक्ष में होते हैं, और विकासशील देशों के मुद्दे और चिंताएँ अक्सर उपेक्षित रह जाती हैं, जिससे उनका विकास प्रभावित होता है।
4. सदस्य देशों का राजनीतिक स्वार्थ
- चुनौती: सदस्य देशों के राजनीतिक स्वार्थ और उनके घरेलू मुद्दे UNO के कार्यों और निर्णयों में प्रभाव डाल सकते हैं। देशों के आपसी मतभेद, हितों के टकराव और क्षेत्रीय विवादों के कारण संयुक्त राष्ट्र के निर्णय प्रभावी नहीं हो पाते।
- सीमा: उदाहरण के तौर पर, कश्मीर, फिलीस्तीन, और ताइवान जैसे विवादों में UNO को प्रभावी समाधान नहीं मिल पाया है, क्योंकि सदस्य देशों के राष्ट्रीय हितों की टकराव की वजह से संयुक्त राष्ट्र कोई निर्णायक कदम नहीं उठा सका है।
5. अर्थव्यवस्था और वित्तीय संसाधनों की कमी
- चुनौती: UNO के पास अपना स्वतंत्र वित्तीय संसाधन नहीं है, और उसे सदस्य देशों से वित्तीय सहायता प्राप्त होती है। कई बार, सदस्य देश अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करते, जिससे UNO के कार्यों पर असर पड़ता है।
- सीमा: यदि सदस्य देशों की वित्तीय मदद में कमी आती है, तो UNO को अपने कार्यक्रमों और अभियानों को लागू करने में कठिनाई होती है, और इससे शांति, विकास और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में प्रभावशीलता घट सकती है।
6. प्रभावी कार्रवाई में देरी
- चुनौती: संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों में निर्णय लेने की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है, जिसके कारण संकटों पर प्रभावी और त्वरित कार्रवाई में देरी हो सकती है।
- सीमा: उदाहरण के लिए, शरणार्थी संकट, महामारी, या प्राकृतिक आपदाओं जैसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता होती है, लेकिन UNO की प्रक्रिया और संरचना के कारण यह कार्रवाई कई बार विलंबित हो जाती है।
7. सदस्य देशों के अनुपालन की कमी
- चुनौती: संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और संधियों का पालन करने में कई देशों की अनिच्छा या अनुपालन की कमी होती है। कई बार, सदस्य देशों द्वारा UNO के निर्देशों की अनदेखी की जाती है, जिससे संगठन की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
- सीमा: जब सदस्य देशों ने संधियों और प्रस्तावों का पालन नहीं किया, तो UNO के पास उन देशों पर कोई मजबूर करने की शक्ति नहीं होती, जो उसकी भूमिका को कमजोर करता है। उदाहरण के लिए, पर्यावरणीय संधियों या मानवाधिकारों से संबंधित कई देशों द्वारा प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया गया है।
8. संयुक्त राष्ट्र के अंगों में समन्वय की कमी
- चुनौती: UNO के विभिन्न अंगों और एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। कभी-कभी विभिन्न एजेंसियाँ समान मुद्दों पर अलग-अलग दृष्टिकोण और प्राथमिकताएँ लेकर काम करती हैं, जिससे काम में अस्पष्टता और प्रभावशीलता की कमी होती है।
- सीमा: यह समन्वय की कमी UNO के कार्यक्रमों और अभियानों की सफलता को प्रभावित कर सकती है, खासकर विकास, शरणार्थी सहायता, और मानवाधिकार जैसे मामलों में।
9. ग्लोबल समस्याओं के जटिल और अंतर–निर्भर होना
- चुनौती: आज के समय में ग्लोबल समस्याएँ जैसे कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी, और साइबर सुरक्षा बहुत जटिल और अंतर-निर्भर हैं। इन मुद्दों का समाधान अकेले एक देश या एक संगठन के लिए संभव नहीं है।
- सीमा: UNO के पास इन समस्याओं का समग्र और त्वरित समाधान निकालने के लिए पर्याप्त संसाधन और सामर्थ्य नहीं हैं। इसके अलावा, सदस्य देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक प्रतिस्पर्धा भी इन समस्याओं के समाधान में बाधा डालती है।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र संगठन को वैश्विक शांति और सुरक्षा, विकास, मानवाधिकार और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कई चुनौतीपूर्ण समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सुरक्षा परिषद में वीटो अधिकार, राजनीतिक स्वार्थ, और संसाधनों की कमी जैसी समस्याएँ UNO की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती हैं। हालांकि, यह संगठन वैश्विक समस्याओं को हल करने में अहम भूमिका निभाता है, फिर भी इन सीमाओं के कारण इसका प्रभाव सीमित हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र वैश्विक शासन का एक बेहतर संस्थान कैसे बन सकता है?
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) को एक प्रभावी और सक्षम वैश्विक शासकीय संस्था बनाने के लिए कुछ सुधारों की आवश्यकता है। वर्तमान में UNO को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि सदस्य देशों के राजनीतिक स्वार्थ, सुरक्षा परिषद में वीटो अधिकार, और वित्तीय संसाधनों की कमी। यदि UNO को एक बेहतर वैश्विक शासकीय संस्था बनाना है, तो निम्नलिखित सुधारों पर ध्यान दिया जा सकता है:
1. सुरक्षा परिषद में सुधार
- वीटो अधिकार का समापन या संशोधन: सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों को वीटो (असहमति) का अधिकार प्राप्त है, जो कई बार प्रभावी निर्णय लेने में बाधा डालता है। UNO को इस वीटो अधिकार में संशोधन करना चाहिए, या यह विचार करना चाहिए कि वीटो का अधिकार केवल तब प्रयोग में आए जब 2/3 सदस्य देशों की सहमति हो।
- नए स्थायी सदस्य जोड़ना: वर्तमान में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य सिर्फ 5 देश हैं (संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, और फ्रांस)। इसमें नए देशों को शामिल किया जा सकता है, जैसे कि भारत, ब्राजील, जर्मनी, और जापान, जो वैश्विक राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इससे सुरक्षा परिषद का प्रतिनिधित्व और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
- विस्तारित अस्थायी सदस्य: सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य देशों की संख्या बढ़ाने से अधिक देशों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है, जिससे वैश्विक मुद्दों पर बेहतर समन्वय और निर्णय लिया जा सके।
2. विश्वास और निष्पक्षता का निर्माण
- सभी देशों की समान भागीदारी: UNO को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी देशों को समान रूप से निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी मिले। यह विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनकी आवाज़ अक्सर उपेक्षित रहती है।
- विकासशील देशों की चिंताओं को प्राथमिकता देना: UNO को विकासशील देशों के मुद्दों, जैसे गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, और जलवायु परिवर्तन, को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही, इन देशों के लिए विशेष सहायता और सहयोग के कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।
- निष्पक्षता और पारदर्शिता: UNO के निर्णयों में निष्पक्षता और पारदर्शिता होनी चाहिए, ताकि सभी सदस्य देशों को यह विश्वास हो कि उनके हितों की रक्षा की जा रही है और कोई पक्षपाती रवैया नहीं अपनाया जा रहा है।
3. संघर्षों का प्रभावी समाधान
- शांति अभियानों को सशक्त बनाना: UNO को अपने शांति अभियानों को और अधिक प्रभावी बनाना चाहिए। इसके लिए शांति सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीकी उपकरण, और संसाधन प्रदान किए जाने चाहिए, ताकि वे संघर्ष क्षेत्रों में त्वरित और प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप कर सकें।
- संघर्षों के समाधान में त्वरिता: UNO को संघर्षों के समाधान में तेजी लानी चाहिए। शांति प्रस्तावों और बातचीत के लिए विशेष टीमों का गठन किया जा सकता है, जो तुरंत हस्तक्षेप करें और वार्ता की प्रक्रिया को तेज करें।
- स्थिरता के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ: UNO को संघर्ष क्षेत्रों में केवल तात्कालिक राहत नहीं बल्कि दीर्घकालिक विकास और पुनर्निर्माण योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि शांति की स्थिति मजबूत हो और पुनः संघर्ष न हो।
4. संयुक्त राष्ट्र के अंगों का समन्वय सुधारना
- समन्वय में सुधार: UNO के विभिन्न अंगों और एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। इसके लिए, विभिन्न अंगों के बीच सूचना का आदान-प्रदान, योजनाओं का साझा करना और संयुक्त कार्यों का आयोजन किया जा सकता है, ताकि सभी एजेंसियाँ एक दूसरे की गतिविधियों से अनजान न रहें।
- केंद्रित नेतृत्व: UNO के विभिन्न अंगों का नेतृत्व अधिक केंद्रित और स्पष्ट होना चाहिए। इसके लिए महासचिव को एक सक्षम नेतृत्व प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि वे संगठन की सभी गतिविधियों को एकीकृत रूप से चला सकें।
5. वित्तीय स्थिरता और संसाधनों की उपलब्धता
- सदस्य देशों के वित्तीय योगदान में वृद्धि: UNO को अपने कार्यक्रमों और अभियानों के संचालन के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाने की आवश्यकता है। इसके लिए सदस्य देशों को अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरी तरह से निभाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। साथ ही, सदस्य देशों को उनके आर्थिक संसाधनों के आधार पर योगदान का अनुरोध किया जा सकता है।
- नई वित्तीय योजनाओं का विकास: UNO को वित्तीय संसाधनों की कमी से निपटने के लिए नई वित्तीय योजनाओं और क्राउडफंडिंग के तरीके अपनाने चाहिए। यह संगठन को अतिरिक्त धन जुटाने और अपने कार्यों को बेहतर तरीके से पूरा करने में मदद करेगा।
6. नवीनतम तकनीकी और विज्ञान का उपयोग
- आधुनिक तकनीकी उपकरणों का उपयोग: UNO को अपनी शांति, सुरक्षा, और आपदा राहत कार्यों में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए, डाटा एनालिटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और अन्य तकनीकी उपायों को अपनाया जा सकता है, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाएंगे।
- विज्ञान और नवाचार में सहयोग: UNO को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहिए, ताकि वैश्विक समस्याओं का समाधान तकनीकी दृष्टिकोण से किया जा सके। उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन, महामारी, और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर तकनीकी उपायों का सहयोग बढ़ाना।
7. मानवाधिकारों की प्रभावी रक्षा
- मानवाधिकार उल्लंघन पर कड़ी निगरानी: UNO को मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं पर अधिक निगरानी रखनी चाहिए और दोषी देशों के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। इसके लिए मानवाधिकार परिषद और अन्य संबंधित अंगों को अधिक शक्तिशाली बनाना होगा।
- मानवाधिकार शिक्षा और जागरूकता: UNO को दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए और अधिक कार्यक्रम चलाने चाहिए, ताकि लोग अपने अधिकारों को समझ सकें और उनका उल्लंघन रोकने के लिए जागरूक हो सकें।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र को एक बेहतर वैश्विक शासकीय संस्था बनाने के लिए यह आवश्यक है कि संगठन में संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधार किए जाएं। सुरक्षा परिषद में सुधार, संसाधनों की वृद्धि, समन्वय में सुधार, और सदस्य देशों के बीच निष्पक्षता और सहयोग सुनिश्चित करने से UNO अपने उद्देश्यों को और अधिक प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकता है। यह सुधार UNO को न केवल शांति और सुरक्षा के लिए एक मजबूत स्तंभ बनाएगा, बल्कि वह विकास, मानवाधिकार, और वैश्विक संकटों से निपटने में भी अपनी भूमिका को मजबूत करेगा।
प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र महासभा के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (2022)
-
- संयुक्त राष्ट्र महासभा गैर-सदस्य राज्यों को पर्यवेक्षक स्थिति प्रदान कर सकती है।
- अंतर-सरकारी संगठनों को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्यवेक्षक स्थिति प्राप्त करने का अधिकार है।
- महासभा में स्थायी पर्यवेक्षक संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मिशन बनाए रख सकते हैं।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
सभी तीन कथन सही हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा गैर-सदस्य राज्यों को पर्यवेक्षक स्थिति प्रदान कर सकती है, अंतर-सरकारी संगठनों को भी पर्यवेक्षक स्थिति प्राप्त करने का अधिकार है, और महासभा में स्थायी पर्यवेक्षक मुख्यालय में मिशन बना सकते हैं।
प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र महासागर विधि संधि (UNCLOS) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
-
- एक तटीय राज्य को अपनी क्षेत्रीय समुद्र की चौड़ाई 12 समुद्री मील से अधिक नहीं स्थापित करने का अधिकार है, जो संधि के अनुसार बेसलाइन से मापी जाती है।
- सभी देशों के जहाजों, चाहे तटीय हों या भूमि-रहित, को क्षेत्रीय समुद्र से निर्दोष मार्ग के माध्यम से गुजरने का अधिकार है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र 200 समुद्री मील से अधिक नहीं बढ़ सकता, जो उस बेसलाइन से मापा जाता है जिससे क्षेत्रीय समुद्र की चौड़ाई निर्धारित की जाती है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
सभी तीन कथन सही हैं। UNCLOS के तहत तटीय राज्य को अपनी क्षेत्रीय समुद्र की चौड़ाई 12 समुद्री मील तक स्थापित करने का अधिकार है। सभी देशों के जहाजों को निर्दोष मार्ग का अधिकार प्राप्त है, और विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) 200 समुद्री मील से अधिक नहीं हो सकता है।
- प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें (2021)
- संयुक्त राष्ट्र पूंजी विकास कोष (UNCDF) और आर्बर डे फाउंडेशन ने हाल ही में हैदराबाद को 2020 “ट्री सिटी ऑफ़ द वर्ल्ड” के रूप में मान्यता दी है।
- हैदराबाद को यह मान्यता शहरी वनस्पतियों को बढ़ाने और बनाए रखने के अपने वादे के कारण मिली।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा सही है?
उत्तर: (a) दोनों कथन सही हैं और कथन 2, कथन 1 की सही व्याख्या है
दोनों कथन सही हैं। हैदराबाद को 2020 में “ट्री सिटी ऑफ़ द वर्ल्ड” के रूप में मान्यता प्राप्त हुई, और यह मान्यता शहरी वनस्पतियों को बढ़ाने और बनाए रखने के उसके वादे के कारण मिली।
पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs)
मेन्स
- प्रश्न: COVID-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में WHO की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। (2020)
- प्रश्न: “बहुत कम नकद, बहुत अधिक राजनीति, UNESCO को जीवन के लिए संघर्ष करने पर मजबूर करता है।” इस बयान पर चर्चा करें, US के बाहर निकलने और सांस्कृतिक संस्था पर ‘इजरायल विरोधी पक्षपाती’ होने के आरोपों के संदर्भ में। (2019)
- प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) के मुख्य कार्य क्या हैं? इसके साथ जुड़ी विभिन्न कार्यात्मक आयोगों को समझाएं। (2017)
- प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2016 को अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित करने के कारणों का उल्लेख करें, खासकर दलहनी फसलों की खेती के लाभों के संदर्भ में। (2017)
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